अत्र और तत्र ये दोनों भी संस्कृत अव्यय हैं। यूँ तो इनके खुद के स्वतन्त्र अर्थ भी हैं –
- अत्र – यहाँ
अत्र पुष्पम् अस्ति। यहाँ फूल है। - तत्र – वहाँ
तत्र फलम् अस्ति। वहाँ फल है।
अत्र-तत्र का एकसाथ प्रयोग
तथापि इन दोनों को अत्र-तत्र ऐसा एकसाथ लिखकर भी कभी कभी एक खास उद्देश्य से लिखा जाता है।
- अत्र-तत्र = यहाँ-वहाँ
उदाहरण के माध्यम से इस बात को हम समझने वाले हैं –
उदाहरण
बच्चें मैंदान में यहाँ-वहाँ घूमते हैं।
- बालकाः क्रीडाङ्गणे अत्र-तत्र भ्रमन्ति।
भौंरा फूलों पर यहाँ-वहाँ घूमता है।
- भ्रमरः पुष्पेषु अत्र-तत्र भ्रमति।
हिरण जंगल में यहाँ-वहाँ भागते हैं।
- मृगाः वने अत्र-तत्र धावन्ति।
अत्र और तत्र का दो वाक्यों को जोड़ने के लिए प्रयोग।
दो वाक्यों को जोड़ने के लिए भी अत्र और तत्र का प्रयोग करते हैं। इस स्थिति में उन्हे उभयान्वयी अव्यय कहा जा सकता है।
उदाहरण
अत्र गणेशः पठति, तत्र रमेशः लिखति।
- यहाँ गणेश पढ़ रहा है, वहा रमेश लिख रहा है।
अत्र नदी प्रवहति, तत्र ग्रामः अस्ति।
- यहाँ नदी बहती है, वहाँ गांव है।