क्त (kta) और क्तवतु (ktawatu) ये दोनों भी प्रत्यय भूतकालवाचक हैं। परन्तु इन दोनों में अन्तर है। क्त प्रत्यय भाव और कर्म इस अर्थ में (यानी कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग) होता है। तथा क्तवतु कर्ता इस अर्थ में होता है। इसीलिए क्तवतु प्रत्यय का प्रयोग हमेश कर्तृवाच्य (कर्तरि प्रयोग) में होता है। वैसे
क्तवतु प्रत्यय का अर्थ
क्तक्तवतू निष्ठा (१.१.२६) इत्युक्तं, स निष्ठसंज्ञकः प्रत्ययो भूते भवति।
इति – निष्ठा (३।२।१०२॥) इत्यत्र काशिका
इसका अर्थ यह है कि – क्त और क्तवतु इन दोनों प्रत्ययों को निष्ठा कहते हैं (यानी इन दोनों प्रत्ययों को मिलाकर निष्ठा ऐसा नाम दिया गया है)। वे निष्ठा नाम के दो प्रत्यय (क्त और क्तवतु) भूतकाल में होते हैं।
हम ने क्त प्रत्यय को स्वतन्त्र लेख में समझाया है। यदि आप क्त प्रत्यय को समझना चाहते हैं, तो इस सूत्र से जाएं –
https://kakshakaumudi.in/प्रत्यय/कृदन्त/क्त-प्रत्यय/
अर्थात इस से साफ है कि क्तवतु प्रत्यय भूतकाल (Past) के अर्थ में होता है। परन्तु यहाँ भी हमें यह बात ध्यान में रखनी है कि क्तवतु प्रत्यय किसे व्यक्त करता है? इसे इस वाक्य से समझ सकते हैं –
कर्तरि कृदिति कर्तरि क्तवतु।
इति – सिद्धान्त कौमुदी (३०१३)
अर्थात क्तवतु प्रत्यय वाक्य के कर्ता को व्यक्त करता है। यानी वाक्य के कर्ता का जो भी लिंग, वचन तथा विभक्ति होती है, वैसा ही क्तवतु प्रत्यय रूप धारण कर लेता है।
इस विशेष बात को ध्यान रखिए –
क्तवतु प्रत्यय के उपयोग से भूतकाल के वाक्य बनाना आसान बन जाता है।
क्तवतु प्रत्यय का अनुबन्धलोप
- क् + त् + अ + व् + अ + त् + उ
क्+ त् + अ + व् + अ + त् +उ- त् + अ + व् + अ + त्
- तवत्
क्तवतु प्रत्यय में क्तवतु की जगह पर केवल तवत् इतना ही बचा हुआ हिस्सा लगाया जाता है।
क्तवतु प्रत्यय में इडागम
कभी कभी धातु और प्रत्यय के बीच में इट् यह आगम आता है।
इट् इस आगम का भी अनुबन्धलोप होता है।
इट् आगम (इडागम) का अनुबन्धलोप
- इट्
- इ + ट्
- इ +
ट् - इ
इट् आगम में केवल इ बचता है।
यदि आप को इडागम नहीं समझा, तो कोई चिन्ता मत कीजिए। बस इतना ही ध्यान में रखिए कि इडागम का मतलब इ होता है। यानी जब इडागम की बात हो, तो समझिए की हमें इ लगाना है।
उदाहरण
लिख्
- लिख् + क्तवतु …. क्तवतु का अनुबन्धलोपः
- लिख् + तवत् …. इडागम
- लिख् + इट् + तवत् …. इट् का अनुबन्धलोपः
- लिख् + इ + तवत्
- लिखितवत्
क्तवतु प्रत्यय के रूप
क्तवतु प्रत्यय के लिंग के अनुसार रूप
उदाहरण के लिए धातु = लिख् – लिखितवत्
- पुँल्लिंग – लिखितवान्
- बालक ने लिखा।
- बालकः लिखितवान्।
- स्त्रीलिंग – लिखितवती
- बालिका ने लिखा।
- बालिका लिखितवती।
- नपुंसकलिंग – लिखितवत्
- यन्त्र ने लिखा।
- यन्त्रं लिखितवत्।
क्तवतु प्रत्यय के रूप – वचन के अनुसार
पुँल्लिंग
- एकवचनम् – लिखितवान्
- द्विवचनम् – लिखितवन्तौ
- बहुवचनम् – लिखितवन्तः
स्त्रीलिंग
- एक॰ – लिखितवती
- द्वि॰ – लिखितवत्यौ
- बहु॰ – लिखिवत्यः
नपुंसकलिंग
- एक॰ – लिखितवत्
- द्वि॰ – लिखितवन्ती
- बहु॰ – लिखितवन्ति
क्तवतु प्रत्यय का अभ्यास
पुँल्लिंग
बालक विद्यालय गया।
- लङ् – बालकः विद्यालयम् अगच्छत्।
- क्तवतु – बालकः विद्यालयं गतवान्।
शिक्षक ने पाठ सिखाया।
- लङ् – शिक्षकः पाठम् अपाठयत्।
- क्तवतु – शिक्षकः पाठं पाठितवान्।
छात्र ने पाठ पढ़ा।
- लङ् – छात्रः पाठम् अपठत्।
- क्तवतु – छात्रः पाठं पठितवान्।
बालक विद्यालय गए।
- लङ् – बालकाः विद्यालयम् अगच्छन्।
- क्तवतु – बालकाः विद्यालयं गतवन्तः।
शिक्षकों ने पाठ पढ़ाया।
- लङ् – शिक्षकाः पाठम् अपाठयन्।
- क्तवतु – शिक्षकाः पाठं पाठितवन्तः।
छात्रों ने पाठ पढ़ा।
- लङ् – छात्राः पाठम् अपठन्।
- क्तवतु – छात्राः पाठं पठितवन्तः।
स्त्रीलिंग
बालिका विद्यालय गई।
- लङ् – बालिका विद्यालयम् अगच्छत्।
- क्तवतु – बालिका विद्यालयं गतवती।
शिक्षिका ने पढ़ाया
- लङ् – शिक्षिका अपाठयत्।
- क्तवतु – शिक्षिका पाठितवती।
छात्रा ने पढ़ा।
- लङ् – छात्रा अपठत्।
- क्तवतु – छात्रा पठितवती।
बालिकाएं विद्यालय गई।
- लङ् – बालिकाः विद्यालयम् अगच्छन्।
- क्तवतु – बालिकाः विद्यालयं गतवत्यः।
शिक्षिकाओं ने पढ़ाया।
- लङ् – शिक्षिकाः अपाठयन्।
- क्तवतु – शिक्षिकाः पाठितवत्यः.
छात्रओं ने पढ़ा।
- लङ् – छात्राः अपठन्।
- क्तवतु – छात्राः पठितवत्यः।
नपुंसकलिंग
पत्ता पेड़ से गिरा।
- लङ् – पत्रं वृक्षात् अपतत्।
- क्तवतु – पत्रं वृक्षात् पतितवत्।
मित्र ने पैसा दिया।
- लङ् – मित्रं धनम् अददात्।
- क्तवतु – मित्रं धनं दत्तवत्।
यन्त्र ने काम किया
- लङ् – यन्त्रं कार्यम् अकरोत्।
- क्तवतु – यन्त्रं कार्यं कृतवत्।
पत्ते पेड से गिरे।
- लङ् – पत्राणि वृक्षात् अपतन्।
- क्तवतु – पत्राणि वृक्षात् पतितवन्ति।
मित्रों ने पैसा दिया।
- लङ् – मित्राणि धनं अददन्।
- क्तवतु – मित्राणि धनं दत्तवन्ति।
यन्त्रों ने काम किया।
- लङ् – यन्त्राणि कार्यम् अकुर्वन्।
- क्तवतु – यन्त्राणि कार्यं कृतवन्ति।
क्तवतु प्रत्यय लङ् लकार से आसान क्यों है?
लङ् लकार में प्रथम पुरुष, मध्यम पुरुष और उत्तम पुरुष का ध्यान रखना पड़ता है। तथा अतिरिक्त लकाररूपों को भी कण्ठस्थ करना पड़ता है। परन्तु क्तवतु में यह समस्या नहीं है। जैसे कि –
- लङ् लकार
- बालकः अपठत्।
- त्वम् अपठत्।
- अहम् अपठम्।
- क्तवतु प्रत्यय
- बालकः पठितवान्।
- त्वं पठितवान्।
- अहं पठितवान्।
जैसे कि आप देख सकते हैं कि लङ् लकार में तीन अलग-अलग रूप बनते हैं। और क्तवतु में केवल पठितवान् से ही काम चल जाता है।