क्त प्रत्यय

संस्कृत व्याकरण में, आम संस्कृत संभाषण में क्त और क्तवतु इन दोनों प्रत्ययों का बहुत प्रयोग किया जाता है। इन दोनों प्रत्ययों का प्रयोग भूतकाल व्यक्त करने के लिए करते हैं। हम इस लेख में क्त इस संस्कृत प्रत्यय का अभ्यास करने वाले हैं।

क्तवतु प्रत्यय के अध्ययन हेतु इस लेख को पढ़िए –
https://kakshakaumudi.in/प्रत्यय/कृदन्त/क्तवतु-प्रत्यय/

क्त प्रत्यय की जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ना जारी रखिए

क्त प्रत्यय का अर्थ

क्तक्तवतू निष्ठा (१.१.२६) इत्युक्तं, स निष्ठसंज्ञकः प्रत्ययो भूते भवति।

इति – निष्ठा (३।२।१०२॥) इत्यत्र काशिका

इसका अर्थ यह है कि – क्त और क्तवतु इन दोनों प्रत्ययों को निष्ठा कहते हैं (यानी इन दोनों प्रत्ययों को मिलाकर निष्ठा ऐसा नाम दिया गया है)। वे निष्ठा नाम के दो प्रत्यय (क्त और क्तवतु) भूतकाल में होते हैं।

अर्थात् क्त एक निष्ठा प्रत्यय है।

अब हम देखते हैं कि क्त इस प्रत्यय के बारे में विद्वानों ने क्या कहा हैं –

भावकर्मणोः क्त

– निष्ठा ३.२.१०२ इत्यत्र कौमुदी ३०१३

इसका अर्थ यह हुआ कि भाव और कर्म इस अर्थ में क्त प्रत्यय का प्रयोग होता है।

चलिए अब हम इसे आसानी से समझाते हैं।

क्त प्रत्यय का प्रयोग भूतकाल में ही होता है, परन्तु इस का प्रयोग भाववाच्य अथवा कर्मवाच्य (Passive Voice) में होता है। जिनको क्रमशः भावे प्रयोग और कर्मणि प्रयोग भी कहते हैं।

यदि अंग्रेजी की मदद से समझाएं तो तो क्त प्रत्यय संस्कृत में पास्ट पैसिव्ह पार्टिसिपल (Past Passive Participle in Sanskrit) होता है।

कुछ वाक्यों की मदद से क्त प्रत्यय के अर्थ का अनुमान कर सकते हैं।

  • छात्र के द्वारा पाठ पढ़ा गया
    छात्रेण पाठः पठितः
  • शिक्षक के द्वारा कविता पढ़ाई गई
    शिक्षकेण कविता पाठिता
  • राम के द्वारा रावण मारा गया
    रामेण रावणः मारितः
  • महाभारत गणेश के द्वारा लिखा गया
    महाभारतं गणेशेन लिखितम्
  • व्यास के द्वारा महाभारत रचा गया
    व्यासेन महाभारतं रचितम्

यहाँ पठितः (पढ़ा गया), पाठिता (पढ़ाई गई), मारितः (मारा गया), लिखितम् (लिखा गया), रचितम् (रचा गया) ये सारे क्तप्रत्यय वाले शब्द हैं। इस लेख में हम ऐसे शब्दों को बनाना सीखेंगे।

क्त प्रत्यय का अनुबन्धलोप

क्त प्रत्यय का प्रयोग करने से पहले उस से अनचाहे वर्ण को निकालना होता है। इस प्रक्रिया को अनुबन्धलोप कहते हैं।

क्त यह प्रत्यय तीन वर्णों सबे बना है।

  • क् + त् + अ

इन तीनों में से क् को हटाते हैं।

  • क् + त् + अ
  • त् + अ

इस प्रकार से हमारे पास अब केवल त् + अ – त इतना ही अंश बचा है। इसका अर्थ यह हुआ कि जब भी किसी धातु से क्त प्रत्यय होगा, तब धातु से क्त नहीं लगाना है। अपितु क्त के स्थान पर केवल त इतना ही अंश होता है। अर्थात् –

  • पठ् + क्त = पठ् + त

इडागम

कभी कभी धातु और प्रत्यय के बीच में इट् यह आगम आता है।

इट् इस आगम का भी अनुबन्धलोप होता है।

इट् आगम (इडागम) का अनुबन्धलोप

  • इट्
  • इ + ट्
  • इ + ट्

इट् आगम में केवल  बचता है।

यदि आप को इडागम नहीं समझा, तो कोई चिन्ता मत कीजिए। बस इतना ही ध्यान में रखिए कि इडागम का मतलब  होता है। यानी जब इडागम की बात हो, तो समझिए की हमें इ लगाना है।

प्रायः हलन्त (जैसे कि – पठ्, लिख्, चल् आदि) धातुओं से इडागम होता है। और अजन्त (जो हलन्त नहीं है। जैसे कि – नी, ज्ञा, क्री आदि) धातुओं से इडागम नहीं होता है।

परन्तु इस इडागम के कुछ भी अपवाद हैं।

क्त प्रत्यय के उदाहरण

हलन्त धातु से

पठ् + क्त – पठित

चलिए अब पठ् (पठति) धातु को क्त प्रत्यय लगाकर देखते हैं।

  • पठ् + क्त

यहाँ है धातु पठ्, और पठ् इस धातु से हम ने क्त यह संस्कृत प्रत्यय किया है। परन्तु हम जानते हैं कि यहाँ क्त इस प्रत्यय से क् का लोप होता है। और केवल ही बचता है। इसे अनुबन्धलोप कहते हैं। तो अब हमारी स्थिति ऐसी होगी।

  • पठ् + क्त
  • पठ् + त

चूँकि पठ् एक हलन्त धातु है। और सामान्यतः हलन्त धातु और क्त प्रत्यय के बीच इडागम होता है। इसीलिए अब ऐसा होगा –

  • पठ् + इट् + त

और इट्-आगम से भी ट् हटाकर अनुबन्धलोप होता है। अर्थात् –

  • पठ् + इ + त = पठित

इस प्रकार से हमारा प्रातिपदिक तैयार है – पठित।

ठीक ऐसे ही अन्य क्तान्त शब्द बन सकते हैं –

  • लिख् (लिखति) – लिखित
  • चल् (चलति) – चलित
  • चाल् (चालयति) – चालित
  • मार् (मारयति)- मारति

अजन्त धातु से

अजन्त धातु यानी ऐसे धातु जिनके अन्त में कोई स्वर हो। जैसे कि –

  • भू – भ् +
  • ज्ञा – ज्ञ् +
  • क्री – क् + र् +
  • कृ – क् +
  • नी – न् +

इन धातुओं के अन्त में स्वर है। इसीलिए ये धातु अजन्त धातु कहलाते हैं।

भू + क्त – भूत

चलिए अब भू (भवति) धातु को क्त प्रत्यय लगाकर देखते हैं।

  • भू + क्त

यहाँ है धातु भू, और भू इस धातु से हम ने क्त यह संस्कृत प्रत्यय किया है। परन्तु हम जानते हैं कि यहाँ क्त इस प्रत्यय से क् का लोप होता है। और केवल ही बचता है। इसे अनुबन्धलोप कहते हैं। तो अब हमारी स्थिति ऐसी होगी।

  • भू + क्त
  • भू + त

चूँकि भू एक अजन्त धातु है। और सामान्यतः अजन्त धातु और क्त प्रत्यय के बीच इडागम नहीं होता है। इसीलिए –

  • भू + त = ज्ञात

इस प्रकार से हमारा प्रातिपदिक तैयार है – भूत।

ठीक ऐसे ही अन्य क्तान्त शब्द बन सकते हैं –

  • ज्ञा (जानाति) – ज्ञात
  • क्री (क्रीणाति) – क्रीत
  • कृ (करोति) – कृत
  • नी (नयति) – नीत
  • हृ (हरति) – हृत
  • श्रू (शृणोति) – श्रुत
  • स्मृ (स्मरति) – स्मृत

कुछ विशेष रूप

कुछ धातु ऐसे होते हैं, जिनका रूप किसी विशेष प्रक्रिया की वजह से अलग दिखता है। उनके यहा हम केवल रूप दे रहे हैं। यदि इनके बारे में विस्तार से पढ़ना है, तो इस के लिए आप को पाणिनीय अष्टाध्यायी अथवा कौमुदी ग्रन्थ पढ़ने होगे।

  • दृश् (पश्यति) – दृष्ट
  • नश् (नष्यति) – नष्ट
  • दिश् (दिशति) – दिष्ट
  • स्पृश् (स्पर्शति) – स्पृष्ट
  • प्रच्छ् (पृच्छति) – पृष्ट
  • हृष् (हर्षति) – हृष्ट
  • रुष् (रुष्यति) – रुष्ट
  • पुष् (पुष्णाति) – पुष्ट

इस प्रकार से हम ने क्त प्रत्यय की प्रक्रिया देखी। अब हम क्त प्रत्यय का वाक्य में प्रयोग देखेंगे।

क्त प्रत्यय के रूप

चूँकि क्त प्रत्यय एक विशेषण होता है, इसके तीनों लिंगों में, तीनों वचनों में तथा सभी विभक्तियों में अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं।

उदाहरण के लिए हम पठ् इस धातु के रूप ले रहे हैं।

पुँल्लिंग में क्त प्रत्यय के रूप

क्त प्रत्ययान्त शब्द अकारान्त होते हैं। अतः पुँल्लिंग में क्त प्रत्ययान्त शब्दों के रूप भी राम, देव, बालक इत्यादि अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों जैसे ही होगे। जैसे कि –

  • पठितः। पठितौ। पठिताः॥
  • लिखितः। लिखितौ। लिखिताः॥
  • गतः। गतौ। गताः॥

स्त्रीलिंग में क्त प्रत्यय के रूप

स्त्रीलिंग में क्त प्रत्यय के रूप स्त्रीप्रत्यय – टाप् से बनते हैं। आसान भाषा में बताएं तो लता, माला, बालिका आदि आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों जैसे रूप बनते हैं। जैसे कि –

  • पठिता। पठिते। पठिताः॥
  • लिखिता। लिखिते। लिखिताः॥
  • गता। गते। गताः॥

नपुंसकलिंग में क्त प्रत्यय के रूप

फल, वन, पुष्प, मित्र इत्यादि अकारान्त शब्दों जैसे ही क्त प्रत्यय के नपुंसकलिंग में रूप बनेंगे। जैसे कि –

  • पठितम्। पठिते। पठितानि॥
  • लिखितम्। लिखिते। लिखितानि॥
  • गतम्। गते। गतानि॥

क्त प्रत्यय का वाक्य में प्रयोग

क्त प्रत्यय का वाक्य में प्रयोग सामान्यतः दो प्रकारों से कर सकते हैं।

  • कर्मवाच्य में भूतकाल
  • विशेषण के रूप में

हालांकि इनके अलावा भी बहुत तरह से क्त प्रत्यय का प्रयोग कर सकते हैं।

कर्मवाच्य में भूतकाल

इस लेख में हम ने पूर्व में ही कहा है कि क्त प्रत्ययान्त शब्द संस्कृत भाषा का पास्ट पैसिव पार्टिसिपल (Past Passive Participle in Sanskrit) होता है। हम कुछ उदाहरणों से इस का अभ्यास करेंगे। इस लेख के आरंभ में कुछ वाक्य दिए थे, वे वाक्य भी इसी का उदाहरण है।

  • छात्र के द्वारा पाठ पढ़ा गया
    छात्रेण पाठः पठितः
  • शिक्षक के द्वारा कविता पढ़ाई गई
    शिक्षकेण कविता पाठिता
  • राम के द्वारा रावण मारा गया
    रामेण रावणः मारितः
  • महाभारत गणेश के द्वारा लिखा गया
    महाभारतं गणेशेन लिखितम्
  • व्यास के द्वारा महाभारत रचा गया
    व्यासेन महाभारतं रचितम्

अब हम और अधिक वाक्यों की मदद से क्त प्रत्यय को समझने का प्रयास करते हैं।

पठ् + क्त – पठित

पठ् धातु को क्त प्रत्यय लगाकर उसकी मदद से वाक्य बनाते हैं। चूंकि क्त प्रत्यय कर्मवाच्य (Passive Voice) में ही होता है, इसीलिए कर्म (Object) का जो भी लिंग, वचन और विभक्ति होता है, वही रूप क्तप्रत्ययान्त शब्द धारण कर लेता है।

चूँकि कर्मवाच्य (Passive Voice) में कर्म (ऑबजेक्ट) हमेशा प्रथमा विभक्ति में ही होता है। इसीलिए क्तप्रत्ययान्त भी प्रथमा में ही होगा। परन्तु कर्म (ऑबजेक्ट) का जो लिंगवचन होगा वही क्तप्रत्ययान्त का भी होगा।

पुँल्लिंग कर्म

यहाँ नीचे श्लोक यह कर्म पुँल्लिंग में है। इसीलिए पठित का भी पुँल्लिंग होगा।

  1. देवदत्त के द्वारा श्लोक पढ़ा गया।
    देवदत्तेन श्लोकः पठितः
  2. देवदत्त के द्वारा (दो) श्लोक पढ़े गए।
    देवदत्तेन श्लोकौ पठितौ।
  3. देवदत्त के द्वारा (बहुत सारे) श्लोक पढ़े गए।
    देवदत्तेन श्लोकाः पठिताः।
स्त्रीलिंग कर्म

निम्नलिखित वाक्यों में कविता यह कर्म स्त्रीलिंग है। अतः पठित के भी टाप् प्रत्यय लगाकर स्त्रीरूप होगे।

  1. देवदत्त के द्वारा कविता पढ़ी गयी।
    देवदत्तेन कविता पठिता।
  2. देवदत्त के द्वारा (दो) कविताएं पढ़ी गयी।
    देवदत्तेन कविते पठिते।
  3. देवदत्त के द्वारा (बहुत सारी) कविताएं पढ़ी गयी।
    देवदत्तेन कविताः पठिताः।
नपुंसकलिंग कर्म

यहाँ नाटक यह कर्म नपुंसक होने से पठित के नपुंसक रूप होगे।

  • देवदत्त के द्वारा नाटक पढ़ा गया।
    देवदत्तेन नाटकं पठितम्।
  • देवदत्त के द्वारा (दो) नाटक पढ़े गए।
    देवदत्तेन नाटके पठिते।
  • देवदत्त के द्वारा (बहुत सारे) नाटक पढ़े गए।
    देवदत्तेन नाटिकानि पठितानि।

गम् + क्त – गत

पुँल्लिंग कर्म
  • बालकेन ग्रामः गतः।
  • बालकेन ग्रामौ गतौ।
  • बालकेन ग्रामाः गताः।
स्त्रीलिंग कर्म
  • बालकेन नगरी गता।
  • बालकेन नगर्यौ गते।
  • बालकेन नगर्यः गताः।
नपुंसकलिंग कर्म
  • बालकेन नगरं गतम्।
  • बालकेन नगरे गते।
  • बालकेन नगराणि गतानि।

खाद् + क्त – खादित

पुँल्लिंग कर्म
  • बालकेन अपूपः खादितः।
  • बालकेन अपूपौ खादितौ।
  • बालकेन अपूपाः खादिताः।
स्त्रीलिंग कर्म
  • बालकेन रोटिका खादिता।
  • बालकेन रोटिके खादिते।
  • बालकेन रोटिकाः खादिताः।
नपुंसकलिंग कर्म
  • बालकेन फलं खादितम्।
  • बालकेन फले खादिते।
  • बालकेन फलानि खादितानि।

विशेषण के रूप में

अबतक हम ने क्त प्रत्यय का भूतकाल में क्रिया के रूप में उपयोग देखा। अब हम विशेषण के रूप में क्त प्रत्यय का उपयोग देखेगे। मूलतः क्त प्रत्यय एक विशेषण ही होता है। इस का विशेष्य जिस भी लिंग, वचन और विभक्ति में होगा, वही क्तप्रत्ययान्त शब्द का भी होगा।

पठितः पाठः यानी पढ़ा हुआ पाठ। यहाँ हम इस उदाहरण से हम अध्ययन कर रहे हैं।

पुँल्लिंग

  1. पठितः पाठः ज्ञानं ददाति।
    पढ़ा हुआ पाठ ज्ञान देता है।
  2. छात्रः पठितं पाठं स्मरति।
    छात्र पढ़े हुए पाठ को याद करता है।
  3. पठितेन पाठेन ज्ञानं दत्तम्।
    पढ़े हुए पाठ ने ज्ञान दिया।
  4. पठिताय पाठाय पुनःस्मारणम् आवश्यकम्।
    पढ़े हुए पाठ के लिए पुनःस्मारण (रीविजन) आवश्यक है।
  5. पठितात् पाठात् ज्ञानम् प्राप्तम्।
    पढ़े हुए पाठ से ज्ञान प्राप्त हुआ।
  6. छात्रः पठितस्य पाठस्य स्मरणं करोति।
    छात्र पढ़े हुए पाठ का स्मरण करता है।
  7. पठिते पाठे ज्ञानम् अस्ति।
    पढ़े हुए पाठ में ज्ञान है।

इन उदाहरणों में हम ने देखा की पाठ यह शब्द विशेष्य था और पठित यह क्तप्रत्ययान्त उसका विशेषण था। उपर्युक्त वाक्यों में पाठ इस शब्द में जो परिवर्तन हुए वही पठित में भी हुए हैं। ऐसा ही एक उदाहरण देखते हैं।

स्त्रीलिंग

यहाँ हम शिक्ष् इस धातु के क्तान्त रूप पर विचार करेंगे। शिक्ष् + क्त – शिक्षित। यहाँ शिक्षत यानी पढ़ीलिखी (एजुकेटेड) यह विशेषण बालिका इस विशेष्य के लिए प्रयुक्त करेंगे।

  1. शिक्षिता बालिका उन्नतिं करोति।
    शिक्षित (एजुकेटेड educated) बालिका तरक्की करती है।
  2. जनाः शिक्षितां बालिकां प्रशंसन्ति।
    लोग शिक्षित बालिका की प्रशंसा करते हैं।
  3. शिक्षितया बालिकया धनम् उपार्जितम्।
    शिक्षित बालिका ने धन कमाया।
  4. पिता शिक्षितायै बालिकायै उपायनं ददाति।
    पिता शिक्षित बालिका को उपहार देता है।
  5. अहं शिक्षितायाः बालिकायाः ज्ञानं प्राप्नोमि।
    मैं शिक्षित बालिका से ज्ञान प्राप्त करता हूँ।
  6. अहं शिक्षितायाः बालिकायाः मित्रम् अस्मि।
    मैं शिक्षित बालिका का मित्र हूँ।
  7. माता शिक्षितायां बालिकायां स्निह्यति।
    माँ शिक्षित बालिका पर स्नेह (प्रेम) करती है।

नपुंसकलिंग

पत् + क्त – पतित। अर्थात् गिरा हुआ।

  1. वृक्षात् फलं पतितम्
    पेड़ से फल गिरा।
  2. बालकः पतितं फलम् उद्धरति।
    बालक गिरा हुआ फल उठाता है।
  3. बालकः पतितेन फलेन पात्रं पूरयितुम् इच्छति।
    बालक गिरे हुए फल से पात्र भरना चाहता है।
  4. बालकः पतिताय फलाय पात्रम् आनयति।
    बालक गिरे हुए फल के लिए बरतन लाता है।
  5. बालकः पतितात् फलात् मृत्तिकां अपसारयति।
    बालक गिरे हुए फल से मिट्टी हटाता है।
  6. बालकः पतितस्य फलस्य शकलानि करोति।
    बालक गिरे हुए फल के टुकड़े करता है।
  7. बालकः पतिते फले बीजानि पश्यति।
    बालक गिरे हुए फल में बीज देखता है।

उपसंहार

इस प्रकार से हम ने बहुत आसान शब्दों में क्त प्रत्यय को समझाने का प्रयत्न किया है। आशा है कि आप समझ गया होगा। यदि क्त प्रत्यय (kta pratyay) के विषय में कोई भी शंका, समस्या, प्रश्न हो तो जरूर हमें बताईए।

धन्यवाद

7 thoughts on “क्त प्रत्यय”

  1. क्त प्रत्ययः भवता संभक् पाठित : अस्ति । त्रिषु लिङ्गेषु कथमस्ति, सप्त विभक्तीषु तस्य उपयोगं कथम् भवति इत्याति विषयान् मया जातम् ।
    Very illustrative .One can easily understand क्त प्रत्ययः प्रयोगः
    Thanks lot,.

    Ganesan . S

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