मूलतः शतृ प्रत्यय का अर्थ वर्तमान काल है। वैसे तो संस्कृत भाषा में वर्तमान काल के लिए लट् लकार का प्रयोग करते हैं। तथापि लट् लकार के स्थान पर शतृ प्रत्यय का भी प्रयोग कर सकते हैं। और साथ ही शतृ प्रत्यय का प्रयोग भविष्यत् काल (लृट् लकार) (Future tense) के लिए भी हो सकता है। शतृ प्रत्यय का प्रयोग विशेषण के रूप में भी करते हैं। इस प्रकार से शतृ प्रत्यय संस्कृत भाषा में एक बहूपयोगी प्रत्यय है।
इस लेख में हम सरल प्रक्रिया के द्वारा शतृ प्रत्यय का अध्ययन करेंगे। जो की कक्षा ९ तथा १० आदि शालेय स्तर के छात्रों के लिए उपयुक्त है।
यदि आप अधिक विस्तार से शतृ प्रत्यय का अभ्यास करना चाहते हैं तो शतृ प्रत्यय (ससूत्र अध्ययन) इस लेख को पढ़िए।
शतृ प्रत्यय का अर्थ
शतृ प्रत्यय का प्रयोग दो अर्थों में होता है।
- लट् लकार – वर्तमान काल
- लृट् लकार – भविष्यत् काल
शतृ प्रत्यय का अर्थ वर्तमान काल है। आप तो जानते ही हैं कि संस्कृत भाषा में वर्तमान काल के लिए लट् लकार का प्रयोग करते हैं। तथापि विकल्प से हम वर्तमान काल के लिए लट् लकार के स्थान पर शतृ प्रत्यय का भी प्रयोग कर सकते हैं। जैसे कि –
- रामः पठन् लिखति।
इस वाक्य में पठन् यह शब्द शत्रन्त है। यानी पठ् धातु को शतृ प्रत्यय लगा है। इस वाक्य का अर्थ हुआ – राम पढ़ता है, राम लिखता है। अर्थात् राम पढ़ते हुए लिखता है।
और साथ ही साथ एक विशेष बात यह है कि शतृ प्रत्यय का प्रयोग भविष्यत् काल (लृट् लकार) (Future tense) के लिए भी हो सकता है। भविष्यकाल के लिए शतृप्रत्यय का प्रयोग बहुत सारे लोगों को पता नहीं है। जैसे कि –
- रामः पठिष्यन् लिखिष्यति।
इस वाक्य में हम देख सकते हैं कि पठिष्यन् इस रूप में शतृ प्रत्यय भविष्यत् काल को व्यक्त कर रहा है।
शत्रन्त का निर्माण
शत्रन्त का अर्थ है – जिस के अन्त में शतृ प्रत्यय लगा है वह। शतृ + अन्त – शत्रन्त (यण् सन्धि)
धातु से शत्रन्त बनाने के लिए इन तीन बिन्दुओं को देखें –
- जिस धातु से शतृ प्रत्यय लगाना है, उस धातु का लट् लकार में प्रथम पुरुष का बहुवचन रूप देखिए।
- वहाँ न्ति यह भाग लगा होगा, उसे हटाईए।
- और न्ति के स्थान पर त् यह वर्ण रखिए।
शतृ प्रत्यय का उदाहरण
ऊपर जो तीन बिन्दु दिए हैं, उन के अनुसार हम गम् इस धातु के उदाहरण से शतृ प्रत्यय लगा कर देखते हैं।
- गम् इस धातु का लट् लकार, प्रथम पुरुष और बहुवचन में रूप होता है – गच्छन्ति।
- गच्छन्ति इस रूप से न्ति को हटाना है – गच्छ।
- न्ति के स्थान पर त् को रखना है – गच्छत्
- गच्छत्
इस प्रकार से हमें हमारा शत्रन्त रूप मिल गया है। गम् धातु का शत्रन्त रूप है – गच्छत्।
यहाँ गच्छत् का अर्थ है – जो जा रहा है (One who is going)
ठीक इस ही प्रकार से हम अन्य धातुओं से भी शत्रन्त रूप बना सकते हैं। जैसे कि –
धातु | ल॰प्र॰ब॰ | शत्रन्त |
---|---|---|
पठ् | पठन्ति | पठत् |
चल् | चलन्ति | चलत् |
अस् | सन्ति | सत् |
पाठ् | पाठयन्ति | पाठयत् |
कृ | कुर्वन्ति | कुर्वत् |
ज्ञा | जानन्ति | जानत् |
क्रुध् | क्रुध्यन्ति | क्रुध्यत् |
श्रू | शृण्वन्ति | शृण्वत् |
शतृ प्रत्यय के रूप
ऊपर हमने धातु को शत्रन्त कैसे बनाने तरीका देखा। अब हम शत्रन्त के रूप देखते हैं।
शत्रन्त के तीनों लिंगों में, तीनों वचनों में तथा सभी विभक्तियों में भिन्न-भिन्न रूप बनते हैं। हम उदाहरण के लिए गम् धातु का शत्रन्त रूप – गच्छत् का अध्ययन करेंगे।
ध्यान रखिए कि हमारा मूल प्रातिपदिक शब्द है – गच्छत्। और इसके ही सभी रूप हम उदाहरण के रूप में देख रहे हैं। गच्छत् के समान अन्य शब्दों के भी रूप बन सकते हैं।
पुँल्लिंग रूप
मूल शब्द | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
गच्छत् | गच्छन् | गच्छन्तौ | गच्छन्तः |
ध्यान रखिए कि ये रूप केवल प्रथमा विभक्ति के हैं। शत्रन्त के रूप सभी विभक्तियों में होते हैं। उनका अभ्यास हम आगे करेंगे।
- गच्छन् – जो जा रहा है।
- गच्छन्तौ – जो (दोनों) जा रहे हैं।
- गच्छन्तः – जो (सब) जा रहे हैं।
स्त्रीलिंग रूप
मूल शब्द | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
गच्छत् | गच्छन्ती | गच्छन्त्यौ | गच्छन्त्यः |
गच्छत् शब्द के स्त्रीलिंग रूप बनाने के लिए ङीप् इस प्रत्यय का प्रयोग होता है। साथ ही साथ नुम् आगम होने से बीच में न् भी आ जाता है।
- गच्छन्ती – जो जा रही है।
- गच्छन्त्यौ – जो (दोनों) जा रही हैं।
- गच्छन्त्यः – जो (सब) जा रहे हैं।
स्त्रीलिंग रूपों में नुम् आगम
कुछ धातुओं के स्त्रीलिंग शत्रन्त रूपों में नुम् आगम होता है, तो कुछ में नही। और तो और कुछ धातुओं में नुम् आगम विकल्प से भी होता है। इसके बारे में यह पठनीय है –
जिन धातुओं के लट् लकार, प्रथम पुरुष और एक वचन के रूप से ति यह प्रत्यय निकाल ने पर बचे हुए अंग के अन्त में अ होता है उन धातुओं के स्त्रीलिंग शत्रन्त रूप में नुम् आगम होता है।
जैसे कि –
- गम् धातु का लट् लकार, प्रथम पुरुष और एकवचन का रूप है – गच्छति।
- गच्छति से ति हटाने पर बचता है – गच्छ।
- गच्छ के अन्त में कौन सा स्वर है? – अ
- गच्छ = ग् + अ + च् + छ् + अ
इस प्रकार से हम ने देखा की गच्छ एक अकारान्त अंग है। अतः इसके स्त्रीलिंग रूप में नुम् आगम होता है। इसीलिए गम् का स्त्रीलिंग शत्रन्त रूप गच्छती ऐसे ना हो कर गच्छन्ती ऐसे हुआ।
और जिन धातुओँ के लट्॰ प्रथम॰ एकवचन का अंग के अन्त में अकारभिन्न (अर्थात अ के अलावा कोई अन्य) स्वर हो तो वहाँ नुम् आगम नहीं होता।
जैसे कि – कृ धातु
- कृ धातु का लट्॰ प्रथम॰ एकवचन रूप है – करोति।
- करोति से ति हाटने पर बचा हुआ अंग है – करो।
- करो इस अंग के अन्त में कौनसा स्वर है? – ओ
- करो = क् + अ + र् + ओ
इसीलिए कृ धातु का लट्॰ प्रथम॰ एकवचनी अंग अकारभिन्नान्त है। यानी उसके अन्त में अ से भिन्न कोई अन्य स्वर (ओ) है। इसीलिए इसके स्त्रीलिंग शत्रन्त के रूप में नुम् आगम नहीं होता। इस प्रकार कृ धातु का स्त्रीलिंग शत्रन्त रूप केवल कुर्वती ऐसा होगा। यहाँ कुर्वन्ती ऐसा रूप नहीं होगा।
इस बात को इस आकृति से समझिए।
कुछ उदाहरणों से इस विषय को समझते हैं –
अकारान्त अंग वाले धातु
इन धातुओं के अंग अकारान्त हैं। अर्थात् इन के स्त्रीलिंग शत्रन्त रूप में नुमागम होगा।
जैसे कि –
धातु | लट्॰ प्र॰ एक॰ | स्त्रीलिंग शत्रन्त |
---|---|---|
गम् | गच्छति | गच्छन्ती |
भू | भवति | भवन्ती |
जि | जयति | जयन्ती |
कुप् | कुप्यति | कुप्यन्ती |
सिध् | सिध्यति | सिध्यन्ती |
तुद् | तुदति | तुदन्ती |
कथ् | कथयति | कथयन्ती |
चुर् | चोरयति | चोरयन्ती |
अकारभिन्नान्त अंग वाले धातु
इन धातुओं के अंग अकारान्त नहीं हैं। अतः इनमेंं नुमागम नहीं किया तो ठीक रहेगा।
जैसे कि –
धातु | लट्॰ प्र॰ एक॰ | स्त्रीलिंग शत्रन्त |
---|---|---|
अस् | अस्ति* | सती |
दा | ददाति | ददती |
धा | दधाति | दधती |
प्र + आप् | प्राप्नोति | प्राप्नुती |
गृह् | गृह्णाति | गृह्णती |
वैसेे तो नुम् (न्) आगम के विषय में बहुत सारे नियम हैं। औन नए छात्रों को उसमें बहुत सारा भ्रम हो सकता है। इसीलिए इस एक नियम को ध्यान में रखिए। आप के लिए इतना पर्याप्त है। तथापि यदि आप इस बात का विशेष विस्तार से अध्ययन करना चाहते हैं, तो हम अनुशंसा करते हैं कि आप इस लेख को पढ़े – शतृ प्रत्यय (ससूत्र अध्ययन)
ध्यान रखिए - शत्रन्त रूप बनाने के लिए बहुवचन का रूप देखना पड़ता है। जबकि स्त्रीलिंग शत्रन्त रूप में नुम् (न्) का निर्णय करने के लिए हमें धातु का एकवचन देखना होता है, जैसे कि - ज्ञा धातु 1. शत्रन्त बनाना 1.1. ज्ञा धातु का बहवचन - जानन्ति। 1.2. जानन्ति से न्ति को हटाना - जान 1.3. जान के त् लगाना - जानत् इस प्रकार से हम ने जा धातु का शत्रन्त बनाया - जानत्। अब इसका स्त्रीलिंग बनाते हैं। स्त्रीलिंग रूप ङीप् प्रत्यय से बनता है - जानती। अब देखते हैं कि यहाँ नुम् होता है या नहीं। 2. नुमागम का निर्णय 2.1. ज्ञा धातु का एकवनच - जानाति। 2.2. जानाति से ति को हटाना - जाना। 2.3. जाना के अन्त में कौनसा स्वर है? - आ। चूँकि ज्ञा धातु का अंग अकारभिन्नान्त, इसीलिए यहाँ नुम् ना करे तो सही है। इस प्रकार से ज्ञा धातु का स्त्रीलिंग शत्रन्त रूप बनता है - जानती। यहाँ जानन्ती ऐसा रूप बनाने की आवश्यकता नहीं है।
नपुंसकलिंग रूप
मूल शब्द | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
गच्छत् | गच्छत् | गच्छती | गच्छन्ति |
नपुंसकलिंग के रूप जगत् शब्द के समान ही चलते हैं।
चूँकि हिन्दी भाषा में नपुंसकलिंग नहीं होता है, इसीलिए यहाँ हिन्दी अनुवाद में पुँल्लिंग के ही वाक्य दिए हैं।
- गच्छत् – जो जा रहा है।
- गच्छती – जो (दोनों) जा रहे हैं।
- गच्छन्ति – जो (सब) जा रहे हैं।
शतृ प्रत्यय का अभ्यास
धातु को शतृ प्रत्यय लगाकर बने शत्रन्त का किसी वाक्य में प्रयोग कैसे करते हैं है, वह हम यहाँ देखेंगे। सर्वप्रथम हम गम् धातु का शत्रन्त – गच्छत् देखेंगे।
युगपत् क्रिया
युगपत् का अर्थ होता है – एक साथ (Simultaneously)। यदि एक ही कर्ता एक ही समय में एक साथ दो या अधिक क्रियाएँ कर रहा हो, तो वहाँ शतृ प्रत्यय का प्रयोग कर सकते हैं।
संभवतः आप ने क्त्वा और ल्यप् इन दोनों प्रत्ययों के बारे में पढ़ा होगा। जब एक ही कर्ता दो क्रियाएं करता है, तो क्त्वा अथवा ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग करके हम एक वाक्य बना सकते हैं। जैसे कि –
- बालकः पठित्वा लिखति।
- छात्रः श्रुत्वा वदति।
- भक्तः देवं प्रणम्य प्रार्थनां करोति।
इसीप्रकार हम शतृ प्रत्यय का प्रयोग करते हुए भी ऐसे ही वाक्य बना सकते है। परन्तु यहाँ भेद यह है कि यदि दोनों क्रियाएं एक के बाद दूसरी इस क्रम से हो रही हो, तो क्त्वा – ल्यप् का प्रयोग होता है। और यदि दोनों भी क्रियाएं युगपत् (यानी एकसाथ) हो रही हो, तो शतृ-शानच् का प्रयोग होता है।
हम यूँ कह सकते हैं –
यदि किसी वाक्य में कोई कर्ता एक ही समय दो क्रियाएं वर्तमान काल में युगपत् (एक साथ) कर रहा हो, तो हम वहाँ शतृ प्रत्यय का प्रयोग कर सकते हैं।
जैसे कि –
- बालकः पठन् लिखति।
- छात्रः शृण्वन् लिखति।
- भक्तः देवं प्रणमन् प्रार्थनां करोति।
ध्यान रखिए कि यहाँ दोनों भी क्रियाएं एक साथ हो रही हैं। यानी प्रथम वाक्य में बालक का पढ़ना और लिखना दोनों भी क्रियाएं एकसाथ हो रही है। दूसरे वाक्य में छात्र का सुनना और लिखना ये दोनों क्रियाएं एकसाथ चल रही है।
शतृ प्रत्यय के उदाहरण – युगपत् क्रिया
शतृ प्रत्यय के उदाहरण – पुँल्लिंग
- बालकः चलति। बालकः पश्यति।
बालकः चलन् पश्यति।- बालक चलता है। बालक देखता है।
बालक चलते हुए (चलते चलते) देखता है।
- बालक चलता है। बालक देखता है।
- बालकौ चलतः। बालकौ पश्यतः।
बालकौ चलन्तौ पश्यतः।- (दो) बालक चलते हैं। (दोनों) बालक देखते हैं।
(दो) बालक चलते चलते देखते हैं।
- (दो) बालक चलते हैं। (दोनों) बालक देखते हैं।
- बालकाः चलन्ति। बालकाः पश्यन्ति।
बालकाः चलन्तः पश्यन्ति।- (बहुत सारे) बालक चलते हैं। (बहुत सारे) बालक देखते हैं।
(बहुत सारे) बालक चलते चलते देखते हैं।
- (बहुत सारे) बालक चलते हैं। (बहुत सारे) बालक देखते हैं।
- छात्रः पठति। छात्रः लिखति।
छात्रः पठन् लिखति। - छात्रौ पठतः। छात्राः लिखतः।
छात्रौ पठन्तौ लिखतः। - छात्राः पठन्ति। छात्राः लिखन्ति।
छात्राः पठन्तः लिखन्ति।
- शिक्षकः लिखति। शिक्षकः पाठयति।
शिक्षकः लिखन् पाठयति। - शिक्षकौ लिखतः। शिक्षकौ पाठयतः।
शिक्षकौ लिखन्तौ पाठयतः। - शिक्षकाः लिखन्ति। शिक्षकाः पाठयन्ति।
शिक्षकाः लिखन्तः पाठयन्ति।
शतृ प्रत्यय के उदाहरण – स्त्रीलिंग
- बालिका चलति। बालिका पश्यति।
बालिका चलन्ती पश्यति।- बालिका चलती है। बालिका देखती है।
बालिका चलते हुए (चलते चलते) देखती है।
- बालिका चलती है। बालिका देखती है।
- बालकौ चलतः। बालकौ पश्यतः।
बालकौ चलन्तौ पश्यतः।- (दो) बालिकाएं चलती हैं। (दोनों) बालिकाएं देखती हैं।
(दो) बालिका चलते चलते देखती हैं।
- (दो) बालिकाएं चलती हैं। (दोनों) बालिकाएं देखती हैं।
- बालकाः चलन्ति। बालकाः पश्यन्ति।
बालकाः चलन्तः पश्यन्ति।- (बहुत सारी) बालिकाँ चलती हैं। (बहुत सारी) बालिकाएं देखती हैं।
(बहुत सारी) बालिका चलते चलते देखती हैं।
- (बहुत सारी) बालिकाँ चलती हैं। (बहुत सारी) बालिकाएं देखती हैं।
- छात्रा पठति। छात्रा लिखति।
छात्रा पठन्ती लिखति। - छात्रे पठतः। छात्रे लिखतः।
छात्रे पठन्त्यौ लिखतः। - छात्राः पठन्ति। छात्राः लिखन्ति।
छात्राः पठन्त्यः लिखन्ति।
- शिक्षिका लिखति। शिक्षिका पाठयति।
शिक्षिका लिखन्ती पाठयति। - शिक्षिके लिखतः। शिक्षिके पाठयतः।
शिक्षिके लिखन्त्यौ पाठयतः। - शिक्षिकाः लिखन्ति। शिक्षिकाः पाठयन्ति।
शिक्षिकाः लिखन्त्यः पाठयन्ति।
शतृ प्रत्यय के उदाहरण – नपुंसकलिंग
- यानं धावति। यानं गच्छति।
यानं धावत् गच्छति।।- वाहन दौड़ता है। वाहन जाता है।
वाहन दौड़ते हुए जाता है।
- वाहन दौड़ता है। वाहन जाता है।
- याने धावतः। याने गच्छतः।
याने धावती गच्छतः।- (दो) वाहन दौड़ते हैं। (दोनों) यान जाते हैं।
(दो) वाहन दौड़ते हुए जाते हैं।
- (दो) वाहन दौड़ते हैं। (दोनों) यान जाते हैं।
- यानानि धावन्ति। यानानि गच्छन्ति।
यानानि धावन्ति गच्छन्ति।- (बहुत सारे) वाहन दौड़ते हैं। (बहुत सारे) यान जाते हैं।
(बहुत सारे) वाहन दौड़ते हुए जाते हैं।
- (बहुत सारे) वाहन दौड़ते हैं। (बहुत सारे) यान जाते हैं।
- पुष्पं विकसति। पुष्पं वर्धते।
पुष्पं विकसत् वर्धते। - पुष्पे विकसतः। पुष्पे वर्धेते।
पुष्पे विकसती वर्धेते। - पुष्पाणि विकसन्ति। पुष्पाणि वर्धन्ते।
पुष्पाणि विकसन्ति वर्धन्ते।
- मित्रं लिखति। मित्रं पाठयति।
मित्रं लिखत् पाठयति। - मित्रे लिखतः। मित्रे पाठयतः।
मित्रे लिखती पाठयतः। - मित्राणि लिखन्ति। मित्राणि पाठयन्ति।
मित्राणि लिखन्ति पाठयन्ति।
यहाँ शब्दों का क्रम अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है।
उपर्युक्त अभ्यास में शत्रन्त पद कर्ता के पश्चात् लिखा है। बहुत बार शत्रन्त को कर्ता के पूर्व में भी लिखते हैं। इसमें कोई बात गलत नहीं है। वस्तुतः संस्कृत भाषा में पदों के क्रम को अधिक महत्त्व नहीं है।
जैसे कि –
बालकः चलति। बालकः पश्यति।
- बालकः चलन् पश्यति।
- चलन् बालकः पश्यति।
यहाँ दोनों भी सही हैं।
विशेषण के रूप में शतृ प्रत्यय
शतृ प्रत्यान्त पद एक विशेषण ही होता है। कुछ उदाहरणों के द्वारा हम इसका अभ्यास करेंगे। इसको सभी विभक्तियाँ
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