टाप् प्रत्यय क्या है?
टाप् प्रत्यय का प्रयोग पुँल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग में बदलने के लिए किया जाता है। इसीलिए इस प्रत्यय को स्त्रीप्रत्यय कहा जाता है।
हालांकि केवल अकेला टाप् ही स्त्रीप्रत्यय नहीं है। संस्कृत व्याकरण में और भी स्त्रीप्रत्यय हैं – टाप्, डाप्, ङीप्, ङीष् इ॰।
इस लेख में हम टाप् प्रत्यय पर चर्चा कर रहे हैं। अश्व, गज, शिक्षक जैसे अकारान्त शब्दों को स्त्रीलिंग में परिवर्तित करने के लिए सामान्यतः टाप् प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए आप इन शब्दों की जोड़ियों को देख सकते हैं –
- अश्वः – अश्वा
- घोड़ा – घोड़ी
- गजः – गजा
- हाथी – हथिनी
- मूषकः – मूषिका
- चूहा – चुहिया
- गायकः – गायिका
- गानेवाला – गानेवाली
- चालकः – चालिका
- चलानेवाला – चालनेवाली
ऊपर आप ने जो उदाहरण देख लिए हैं, उन के बारे में हम बात कर रहे हैं। हम इस लेख में विस्तार से जानने का प्रयत्न करेंगे कि
अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों को टाप् प्रत्यय की मदद से स्त्रीलिंग में परिवर्तित कैसे करते हैं?
टाप् प्रत्यय का अनुबन्धलोप
यदि हमें नारियल को खाने की इच्छा हो, तो हम सम्पूर्ण नारियल को नहीं खा सकते। नारियल का ऊपरी हिस्सा हमें फोड़ कर फेंक देना पड़ता है और अन्दरवाला हिस्सा ही हम खा सकते हैं।
ठीक इसी प्रकार से प्रत्ययों के बारे में किया जाता है। इस को अनुबन्धलोप कहते हैं।
हमारे प्रत्यय का नाम है – टाप्। परन्तु किसी भी शब्द को टाप् प्रत्यय लगाने से पहले उस का अनुपयोगी हिस्सा हटाना पड़ता है। इस के लिए हम सर्वप्रथम टाप् इस शब्द का वर्णविग्रह करेंगे –
- ट् + आ + प्
इन में से ट् और प् का लोप हो जाता है।
ट्+ आ +प् .
अर्थात् अब हमारे पास केवल एक ही वर्ण बच जाता है –
- आ
यानी हमारा प्रत्यय है – टाप्
और अनुबन्धलोप के बाद बचता है – आ
अर्थात् यदि हमें टाप् प्रत्यय लगा कर किसी शब्द (अकारान्त पुँल्लिंग) का स्त्रीलिंग बनाना है, तो उसे आ लगाना पड़ेगा।
- टाप् = आ
जैसे कि –
- अश्व + टाप् … टाप् प्रत्यय
- अश्व + आ … ट् और प् का लोप होना (यानी अनुबन्धलोप)
- अश्वा … सवर्ण दीर्घ सन्धि से अ + आ = आ
इसी प्रकार से अजः – अजा, गजः – गजा, बालः – बाला इत्यादि शब्द बनते हैं।
टाप् प्रत्यय का प्रयोग कहां किया जाता है?
टाप् प्रत्यय के विधान के बारे में पाणिनीय अष्टाध्यायी में निम्न सूत्र आता है –
अजाद्यतष्टाप् ४।१।४॥
(अजादि-अतः टाप्)
इस सूत्र के अनुसार टाप् प्रत्यय दो प्रकार के शब्दों से होता है –
- अजादि गण के शब्दों से
- अकारान्त शब्दों से
अजादि गण से टाप् प्रत्यय
पाणिनीय गणपाठ में अजादि नाम का एक गण है।
अजादि गण को यहां देखिए –
https://kakshakaumudi.in/पाणिनीय/गणपाठ/अजादि-गण
इस अजादि गण में मौजूद शब्दों को यदि स्त्रीलिंग में बदलना हो, तो उन से टाप् प्रत्यय होता है।
हम उदाहरण के लिए कुछ अजादि गण से शब्दों को ले कर उन से टाप् प्रत्यय करते हैं –
अज + टाप्
- अज + टाप् …. अज यह अजादि गण का शब्द है। अतः स्त्रीलिंग के अर्थ में टाप् प्रत्यय होता है।
- अज + आ …. अनुबन्धलोप
- अजा …. सवर्णदीर्घ
चटक + टाप्
- चटक + टाप् …. चटक अजादि गण का शब्द है। अतः टाप् प्रत्यय।
- चटक + आ …. अनुबन्धलोप
- चटका …. सवर्णदीर्घ सन्धि
बाल + टाप्
- बाल + टाप् …. बाल अजादि गण का शब्द है। अतः टाप् प्रत्यय।
- बाल + आ …. अनुबन्धलोप
- बाला …. सवर्णदीर्घ सन्धि
ध्यान रखिए – जो शब्द अजादि गण में हैं, उन का स्त्रीलिंग रूप बनाने के लिए केवल टाप् प्रत्यय का ही प्रयोग होता है। यदि किसी दूसरे सूत्र से ङीप् अथवा ङीष् प्रत्यय होते हैं, तो भी अजादि गण के शब्दों से केवल टाप् प्रत्यय ही होता है।
अकारान्त शब्दों से टाप् प्रत्यय
अजाद्यतष्टाप् इस सूत्र के अनुसार –
सभी अकारान्त शब्दों से भी स्त्रीलिंग के अर्थ में टाप् प्रत्यय का प्रयोग होता है।
जैसे कि –
खट्व + टाप्
हमें खट्व इस शब्द का स्त्रीलिंग बनाना है। परन्तु खट्व यह शब्द अजादि गण का शब्द नहीं है। तथापि यह अकारान्त शब्द है। अतः अकारान्त शब्दों से भी स्त्रीलिंग के अर्थ में टाप् प्रत्यय होता है।
- खट्व + टाप् …. अकारान्त शब्द से टाप्।
- खट्व + आ …. अनु॰
- खट्वा …. सवर्णदीर्घ
ध्यान रखिए – प्रत्येक अकारान्त शब्द से स्त्रीलिंग के लिए टाप् ही हो, ऐसा कुछ आवश्यक नहीं है। कभी कभी कोई दूसरा सूत्र अन्य रूप भी बना सकता है। जैसे कि – देवः – देवी। यहाँ टाप् प्रत्यय लगा कर देवा ऐसा रूप नहीं बना है।
शंका
यदि आप ने अजादि गण के सभी शब्दों को ध्यान से पढ़ा, तो आप एक चीज का निरीक्षण कर सकते हैं कि सभी अजादि गण के शब्द अकारान्त है। तो पुनः पाणिनि जी ने अजाद्यतष्टाप् इस सूत्र में दो बाते (अजादि गण से और अकारान्त शब्दों से टाप् होता है।) क्यों बताई
यदि सभी अजादि शब्द अकारान्त ही है, तो केवल – अतष्टाप् इतना ही क्यों नहीं कहा? अजादि+अतः टाप्। ऐसा क्यों कहा?
शंका का समाधान
अजादि कहने से तात्पर्य यह है कि अजादि गण के शब्दों से केवल टाप् प्रत्यय ही होता है। अन्य किसी सूत्र ने यदि कुछ अलग बात बोली, तो अजादि गण के शब्द सुनते नहीं है।
जैसे कि –
- बाल + टाप् … प्रस्तुत शब्द अकारान्त का है। अतः टाप् प्रत्यय।
- बाल + ङीप् …. परन्तु यहाँ वयसि प्रथमे ४।१।२०॥ इस सूत्र से टाप् की जगह ङीप् प्रत्यय आना चाहता है। (जिससे कि बाली यह रूप हो सकता था)
- बाल + टाप् …. परन्तु बाल यह शब्द अजादि गण का शब्द है। अतः टाप् प्रत्यय की वापसी होती है। अजादि गण के शब्द किसी दूसरे सूत्र की सुनते नहीं हैं।
- बाल + आ …. अनुबन्धलोप
- बाला …. सवर्णदीर्घ