परीक्षा में कुछ ऐसा प्रश्न पूछा जाता है –
प्रश्नः – स्थूलपदम् आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत।
- रामः दशरथस्य पुत्रः अस्ति।
(राम दशरथ का पुत्र है।)
इस प्रश्न में दशरथस्य यह पद स्थूल अक्षरों से लिखा है। अब छात्रों को कुछ ऐसा प्रश्न बनाना है कि जिसका उत्तर दशरथस्य यह पद होना चाहिए। जैसे कि –
- रामः कस्य पुत्रः अस्ति?
(राम किस का पुत्र है)
आईए देखते हैं कि ऐसे प्रश्नों का निर्माण संस्कृत भाषा में कैसे किया जाता है।
संस्कृत में प्रश्न निर्माण कैसे करते हैं?
हमें सर्वप्रथम देख लेना चाहिए कि अपेक्षित उत्तर (यानी हमें उत्तर में जो शब्द चाहिए वह शब्द) किस प्रकार का शब्द है? हमारा शब्द इन प्रकारों में से कोई एक प्रकार का शब्द हो सकता है –
- नाम / सर्वनाम
- विशेषण
- संख्या
- अन्य
अब हम क्रमशः इन सभी प्रकार के शब्दों पर विचार करेंगे।
नाम से प्रश्न निर्माण
यदि हमारा अपेक्षित उत्तर कोई नाम (अथवा कभी कभी सर्वनाम) हो, तो उस पर आधारित प्रश्ननिर्माण कैसे किया जाता है इस बात को अब हम देख रहे हैं।
नाम से प्रश्ननिर्माण का सूत्र –
अपेक्षित उत्तर को अनुरूप किम् शब्द से बदल देना
अर्थात हमें जो शब्द उत्तर में चाहिए उसी के लिंग, वचन और विभक्ति के अनुसार योग्य किम् शब्द को लिख कर हम प्रश्न बना सकते हैं।
किम् शब्द के रूपों को जानने के लिए इस जालसूत्र पर जा सकते हैं –
निम्न उदाहरण से समझने का प्रयत्न कीजिए।
नाम से प्रश्ननिर्माण के उदाहरण
उदाहरण १
- महाभारतस्य रचयिता व्यासः अस्ति।
इस उदाहरण में महाभारतस्य यह पद स्थूलाक्षरों से लिखा है। अर्थात महाभारतस्य यह हमारा अपेक्षित उत्तर है। यानी हमे ऐसा प्रश्न बनाना है जिसका उत्तर महाभारतस्य यह शब्द आना चाहिए।
इस स्थिति में हमें पंचकर्म (पांच काम) करने होते हैं।
- अपेक्षित उत्तर का लिंग पहचानना।
- उत्तर की विभक्ति पहचानना।
- उत्तर का वचन पहचानना।
- अपेक्षित उत्तर को उस ही के लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार मिलते-जुलते किम् शब्द के रूप से बदलना।
- वाक्य अन्त में प्रश्नचिह्न लिखना।
हमारा वाक्य है – महाभारतस्य रचयिता व्यासः अस्ति॥ इस वाक्य में अपेक्षित उत्तर है – महाभारतस्य॥ अब हम हमारे पंचकर्म करेंगे
- महाभारतस्य इस शब्द का लिंग पुँल्लिंग है।
- महाभारतस्य इस शब्द की विभक्ति षष्ठी है।
- महाभारतस्य इस शब्द का वचन एकवचन है।
- किम् शब्द का पुँल्लिंग षष्ठी एकवचनी रूप – कस्य है।
- और अन्त में प्रश्नचिह्न (?) लिख कर हमारा प्रश्न पूरा होगा।
अब हमारा प्रश्न कुछ ऐसे बनेगा –
- कस्य रचयिता व्यासः अस्ति?
उदाहरण २
- रामः पुरुषेषु उत्तमः अस्ति।
यहां अपेक्षित उत्तर पुरुषेषु यह शब्द है। इस शब्द का –
- लिंग – पुँल्लिंग
- विभक्ति – सप्तमी
- वचन – बहुवचन
इस के अनुरूप किम् शब्द पुँल्लिंग सप्तमी एकवचनी का रूप है –
- केषु
अतः हमारा प्रश्न है –
- रामः केषु उत्तमः अस्ति?
उदाहरण ३
- राक्षसः वानरैः मारितः।
यहां अपेक्षित उत्तर वानरैः यह शब्द है। इस शब्द का –
- लिंग – पुँल्लिंग
- विभक्ति – तृतीया
- वचन – बहुवचन
इस के अनुरूप किम् शब्द पुँल्लिंग तृतीया एकवचनी का रूप है –
- कैः
अतः हमारा प्रश्न है –
- राक्षसः कैः मारितः?
उदाहरण ४
- एतत् राधिकायाः पुस्तकम्।
यहां अपेक्षित उत्तर राधिकायाः यह शब्द है। इस शब्द का –
- लिंग – स्त्रीलिंग
- विभक्ति – षष्ठी
- वचन – एकवचन
इस के अनुरूप किम् शब्द स्त्रीलिंग षष्ठी एकवचन का रूप है –
- कस्याः
अतः हमारा प्रश्न है –
- एतत् कस्याः पुस्तकम्?
नाम से प्रश्ननिर्माण करने में ये सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
ध्यान रखिए कि हमें अपेक्षित उत्तर के लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार किम् शब्द लिखना है। ना कि उसके दृश्य के अनुसार।
सावधानी १ – अकारान्त शब्दों के सामान्यतः समान प्रत्यय
हमने देखा कि अपेक्षित उत्तर के अनुरूप किम् शब्द के रूप को लिखने से हमारा प्रश्न बन जाता है। और उदाहरणों में हमने देखा है कि प्रायः अपेक्षित उत्तर और उसके अनुरूप किम् शब्द के प्रत्यय समान होते हैं। सामान्यतः अकारान्त पुँल्लिंग शब्द के रूप और किम् शब्द के रूप काफ़ी हद तक मिलते-जुलते हैं। जैसे कि –
- महाभारतस्य – कस्य
- पुरुषेषु – केषु
- वानरैः – कैः
परन्तु हर बार ऐसा नहीं होता। कुछ कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ किम् शब्द के रूप भिन्न होते हैं। ऐसी स्थिति में बहुतेरे छात्र किम् शब्द का गलत रूप लिखते हैं। जैसे कि इस तालिका में हम देव शब्द के उदाहरण से समझा रहे हैं –
विभक्ति और वचन | देव शब्द | किम् शब्द का अयोग्य रूप | किम् शब्द का योग्य रूप |
प्रथमा बहु॰ | देवाः | काः | के |
चतुर्थी एक॰ | देवाय | काय | कस्मै |
पञ्चमी एक॰ | देवात् | कात् | कस्मात् |
षष्ठी बहु॰ | देवानाम् | कानाम् | केषाम् |
सप्तमी एक॰ | देवे | के | कस्मिन् |
उदाहरण
- उत्तरम् – देवाः स्वर्गे निवसन्ति।
- प्रश्नः –
काःस्वर्गे निवसन्ति? x
- के स्वर्गे निवसन्ति? ✓
- उत्तरम् – पार्वती गणेशाय वस्त्रं ददाति।
- प्रश्नः –
- पार्वती
कायवस्त्रं ददाति? x
- पार्वती कस्मै वस्त्रं ददाति? ✓
- पार्वती
- उत्तरम् – सुग्रीवः वानराणां राजा।
- प्रश्नः –
- सुग्रीवः
काणांराजा? x
- सुग्रीवः केषां राजा? ✓
- सुग्रीवः
सावधानी २ – भिन्न लिंग शब्दों के समान रूप। परन्तु किम् शब्द के भिन्न रूप
हमने सावधानी १ में देखा की अकारान्त शब्द और किम् शब्द के रूपों में भी कुछ कुछ स्थानों पर भेद होते हैं। ठीक उसी प्रकार अन्य शब्दों में और किम् शब्द के रूपों में तो बहुत ही अन्तर देखने मिलता है।
उसमें भी यदि इ/उकारान्त पुँल्लिंग और स्त्रीलिंग शब्दों में परेशानी होती है।
उदाहरण १
- गणेशः मुनिभिः पूजितः।
- गणेशः मतिभिः पूजितः
यहाँ दोनों भी शब्द तृतीया बहुवचनी हैं। तथापि मुनिभिः यह शब्द पुँल्लिंग है और मतिभिः शब्द स्त्रीलिंग है। अतः मुनिभिः के स्थान पर किम् शब्द का पुँल्लिंग तृतीया बहुवचनी रूप – कैः आएगा। तथा मतिभिः के स्थान पर किम् शब्द का स्त्रीलिंग तृतीया बहुवचनी रूप काभिः आएगा।
जैसे कि –
- उ॰ – गणेशः मुनिभिः पूजितः।
- प्र॰ – गणेशः कैः पूजितः?
और
- उ॰ – गणेशः मतिभिः पूजितः।
- प्र॰ – गणेशः काभिः पूजितः?
उदाहरण २
- भक्तः भानवे पुष्पम् अर्पयति।
- भक्तः धेनवे पुष्पम् अर्पयति।
यहाँ भानवे और धेनवे ये दोनों भी शब्द क्रमः भानु (पुँ॰) और धेनु (स्त्री॰) इन उकारान्त शब्दों के चतुर्थी एकवचनी रूप हैं। तथापि किम् शब्द के पुँल्लिंग और स्त्रीलिंग में चतुर्थी एकवचनी रूप भिन्न हैं – कस्मै (पुँ॰) और कस्यै (स्त्री॰)
- उ॰ – भक्तः भानवे पुष्पम् अर्पयति।
- प्र॰ – भक्तः कस्मै पुष्पम् अर्पयति?
और
- उ॰ – भक्तः धेनवे पुष्पम् अर्पयति।
- प्र॰ – भक्तः कस्यै पुष्पम् अर्पयति?
उदाहरण ३
- माता पुत्रेषु स्निह्यति।
- पिता पुत्रेषु स्निह्यति।
यहाँ माता और पिता ये दोनों शब्द क्रमशः मातृ और पितृ शब्द के प्रथमा एकवचनी रूप हैं। परन्तु दोनों का लिंग भिन्न है। अतः किम् शब्द के रूप भी भिन्न होंगे।
जैसे कि –
- उ॰ – माता पुत्रेषु स्निह्यति।
- प्र॰ – का पुत्रेषु स्निह्यति?
और
- उ॰ – पिता पुत्रेषु स्निह्यति।
- प्र॰ – कः पुत्रेषु स्निह्यति?
सावधानी २ – अपरिचित हलन्त शब्द
बहुतेरे हलन्त शब्द के रूप विचित्र होते हैं। जिनके लिंग, वचन और विभक्ति की पहचान मुष्किल होती है। उन शब्दों में छात्र प्रायः गलतियाँ करते हैं।
उदाहरण
मतुप् प्रत्यय
- उ॰ – हनुमान् लङ्कां गच्छति।
- हनुमान् – हनुमत् शब्द का पुँल्लिंग प्रथमा एकवनच
- प्र॰ – कः लङ्कां गच्छति?
इन् प्रत्यय
- उ॰ – गुणी गुणं वेत्ति।
- गुणी – गुणिन् शब्द का पुँल्लिंग प्रथमा एकवनच
- प्रायः यहाँ छात्र गुणी इस शब्द को ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्द मानते हैं। परन्तु ऐसा नहीं है। इस के बारे में अधिक जानकारी के लिए इन् प्रत्यय के बारे में यहाँ पढ़िए।
- प्र॰ – कः गुणं वेत्ति?
सकारान्त नपुंसक शब्द
- उ॰ – मनः भ्रमति।
- मनः – मनस् शब्द का प्रथमा एकवचन
- परन्तु मनस् यह शब्द नपुंसक है। बहुतेरे छात्र इस पुँल्लिंग मान कर – कः लिख देते हैं। जो कि गलत है।
- प्र॰ – किं भ्रमति?
सावधानी ३ – पुँल्लिंग और नपुंसकलिंग का द्वितीया एकवचन
- रमेशः देवं पश्यति।
- रमेशः पुष्पं पश्यति।
देवम् और पुष्पम् ये दोनों शब्द समान दिखते हैं। लेकिन ये समान नहीं हैं। इनकी विभक्ति भलेही एक ही हो, तथापि लिंग अलग है। देव शब्द पुँल्लिंग है और पुष्प शब्द नपुंसक है। और इनके लिए किम् शब्द के रूप भी भिन्न हैं।
जैसे कि –
- उ॰ – रमेशः देवं पश्यति।
- प्र॰ – रमेशः कं पश्यति?
और
- उ॰ – रमेशः पुष्पं पश्यति।
- प्र॰ – रमेशः किं पश्यति?
उपसंहार
इस प्रकार से अनेकों बातें बताई जा सकती हैं। इसीलिए हमेश ध्यान रखिए – हमें अपेक्षित उत्तर के लिंग, विभक्ति और वचन के अनुसार किम् शब्द लिखना है। ना कि उसके दृश्य के अनुसार। इस सूत्र को यदि आप ने आत्मसात कर लिया तो आप को कुछ भी परेशानी नहीं होगी।
हमने प्रश्ननिर्माण की इस श्रुंखला के पहले भाग में देखा कि प्रश्ननिर्माण क्या होता है? तथा अपेक्षित उत्तर के अनुसार कैसे प्रकार प्रश्ननिर्माण के हो सकते हैं? यदि अपेक्षित उत्तर कोई नाम हो, तो संस्कृत में कैसे प्रश्ननिर्माण किया जाता है?
आगामी संस्कृत प्रश्ननिर्माण भाग २ में हम देखेंगे कि हमारा अपेक्षित उत्तर यदि कोई विशेषण हो, तो संस्कृत में प्रश्ननिर्माण कैसे किया जाता है।
संस्कृत प्रश्ननिर्माण भाग २
इस लेख का उत्तरार्ध हम ने संस्कृत प्रश्ननिर्माण भाग २ इस नाम से लिखा है। उस लेख तक पहुंचने का सूत्र यहाँ है –
https://kakshakaumudi.in/प्रश्ननिर्माण/संस्कृत-प्रश्ननिर्माण-२/
दूसरे भाग को पढ़ने के लिए उपर्युक्त सूत्र पर क्लिक करें।