भाषा के बारे में वैदिक साहित्य में उल्लेख मिलता है –
वाचं देवा उपजीवन्ति विश्वे वाचं गन्धर्वाः पशवो मनुष्याः। वाचीमा विश्वा भुवनान्यर्पिता सानो हवं जुषतामिन्द्र पत्नी॥
महर्षि पतंजलि के अनुसार भाषा –
व्यक्ता वाचि वर्णा येषां त इमे व्यक्तवाचः।
अमरकोष में भाषा के पर्यायी शब्द इस प्रकार दिए हैं –
ब्राह्मी तु भारती भाषा गीर्वाग्वाणी सरस्वती।