धातुरूपाणि

लकार प्रक्रिया के द्वारा धातु से क्रियापद बनाया जाता है। यूँ तो लकार दस प्रकार के होते हैं –
  • लट्
  • लिट्
  • लुट्
  • लृट्
  • लेट्
  • लोट्
  • लङ्
  • लिङ्
  • लुङ्
  • लृङ्
तथापि सामान्य भाषा में तथा शालेय परीक्षा हेतु पांच लकार पर्याप्त  होते हैं –
  • लट् – वर्तमान काल । बालकः पठति। बालक पढता है।
  • लङ् – भूत काल। बालकः अपठत्। बालक ने पढ़ा।
  • लृट् – भविष्यत् काल। बालकः पठिष्यति। बालक पढ़ेगा।
  • लोट् – आज्ञार्थ। बालकः पठतु। बालक पढ़े।
  • विधिलिङ् – विध्यर्थ। बालकः पठेत्। बालक को पढ़ना चाहिए।
संस्कृत भाषा में लगभग दो हजार धातु हैं। उन सभी के रूप देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक कीजिए। आप को सभी धातुओं से सभी लकारों में रूप मिल सकते हैं।
इस वेबसाईट का निर्माण श्री॰ नीलेश बोडस के द्वारा किया गया है।
यहाँ धातुरूप बहुत अच्छी तरह से मिल जाते हैं। इसीलिए हम पुनः धातुरूप बनाने की चेष्टा नहीं कर सकते।
श्री॰ नीलेश जी एक सॉफ्टवेर इंजीनियर हैं। जो गूगल (कॅलिफोर्निया) में सेवा दे रहे हैं। इतने बड़े दर्जे पर काम करने के बावजूद भी इन्हे संस्कृत व्याकरण में रुचि है। श्री॰ नीलेश जी मात्र १० वर्ष की आयु से ही संस्कृत पढ़ रहे हैं। और आज वे बहुत अच्छे संस्कृत शिक्षक हैं। गूगल जैसी बड़ी संस्था में व्यस्तता के बावजूद भी वे ऑनलाईन कक्षा के माध्यम से छात्रों को उच्च स्तरीय व्याकरण पढ़ाते हैं।
श्री॰ नीलेश जी ने अपनी तान्त्रिक योग्यताओं के बलबूते पर एक बहुत ही अच्छी वेबसाईट बनाई है – http://ashtadhyayi.com/ जो पाणिनीय व्याकरण पढ़ने वाले छात्रों के लिए बहुत उपयोगी है। उपर्युक्त धातुपाठ की कड़ी भी इसी वेबसाईट से ली गई है।

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