देवनागरी लिपि
देवनागरी इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ, सबसे शुद्ध और शास्त्रीय लिपि है।
देवनागरी लिपि की अन्य लिपियों से तुलना
चूंकि संस्कृत, हिन्दी, मराठी तथा नेपाली भाषाओं के लिए एक ही लिपि देवनागरी का प्रयोग होता है, इसीलिए यह लेख इन सभी भाषाओं के लिए उपयोगी है। और साथ ही साथ गुजराती, कन्नड, तेलुगु, बाग्ला आदि भाषाओं कि बस लिपियाँ अलग – अलग है किन्तु वर्णमाला तो एक समान ही है। अतः यह लेख सभी भारतीयों के लिए है। तथा स्पेलिंग की समस्या से ग्रस्त अंग्रेजों के लिए भी यह लेख उपयुक्त है। (यदि हिन्दी ना समझे तो गूगल से अनुवाद कर लें) पांच – छः हजार कांजी चिह्नों को याद रखने के कष्ट से पीडित चीनी तथा जापानी लोगों के लिए भी यह लेख बहुत उपयुक्त है। (पुनः वे अनुवाद कर ले।) हम विषय की शुरुआत करते हैं। आजकल के अधपढे लोग तो हिन्दी – मराठी को तक केवल दिखावे के लिए रोमन में लिख रहे हैं – Hme to english boht stylish lgt h.
तो चलिए सर्वप्रथम अंग्रेजी को ही देखते हैं –
अंग्रेजी (रोमन लिपि)
जैसे कि हम जानते हैं – अंग्रेजी लिखने के लिए रोमन वर्णमाला का प्रयोग होता है।
१. स्वर –
अंग्रेजी वर्णमाला में पांच स्वर हैं – a, e, i, o, u.
लेकिन ये जो स्वर हैं वे सब अंग्रेजी वर्णामाला के a से z तक के वर्णों में बिखरे पडे हैं। क्या किसी अंग्रेज विद्वान् को यह पता नहीं लगा की स्वरों की कुछ अपनी विशेषताएं होती हैं जिस वजह से बाकी व्यंजनों से वे अलग होते हैं। इन्हे अलग से निकाल कर अलग पंक्ति में रखना चाहिए। जैसे कि हमारी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन अलग अलग दिखाई देते हैं वैसे अंग्रेजी में नहीं है। स्वर और व्यंजन ठीक उसी तरह बिखरे हुए हैं जैसे किसी खिचड़ी में दाल।
२. वर्णों की एक से ज्यादा ध्वनियाँ
अंग्रेज़ी वर्णमाला में वैसे तो कुल २६ वर्ण होते हैं। लेकिन ये किस वक्त कौन सी ध्वनि दे यह नहीं कहा जा सकता। यही अंग्रेजी कि सबसे बडी मुसीबत है कि एक वर्ण अनेक ध्वनियों के लिए होता है। अब उदाहरण के लिए – A – इस वर्ण को ही ले लीजिए। इसके उच्चारण – About, All, Any इन तीनों शब्दों में अलग अलग है। ठीक इसी b से z तक ज्यादातर वर्णों का यही मामला है कि कब किस शब्द का उच्चार कैसे करना है इसे खुदबखुद जानना मुश्किल होता है।
इस बारे में एक मजेदार बात बताई जाती है। यह एक प्रसिद्ध उदाहरण है।
Ghoti
ज्यादातर लोग इसे घोती या घोटी ऐसा कुछ पढेगे। परन्तु यदि इसे –
फिश (Fish)
ऐसे पढा जाए तो? हाँ, Ghoti = Fish. इस बात को साबित भी किया जा सकता है।
देखिए –
- Enough
- gh – फ् – f
- Women
- o – इ – i
- Nation
- ti – श् – sh
इस तरह से इन तीनों को मिला कर Ghoti यह शब्द Fish इस तरह से पढा जा सकता है।
है ना गोलमाल?
३. दिखाया कुछ – दिया कुछ
H यह अंग्रेजी वर्णमाला का एक बहुप्रतिष्ठित वर्ण है। ज्यादातर वाक्यों में इसकी मौजूदगी होती ही है। लेकिन इस में मजे की बात देखिए।
H इस वर्ण को – एच् ऐसे पढा जाता है। लेकिन यह ध्वनि देता है – ह् इस वर्ण की। यानी दिखाया एच् और दिया ह्।
कमाल है।
इसके साथ C भी है।
C इस वर्ण का उच्चार – सी ऐसे किया जाता है। और कई बार यह शब्द स् की ध्वनि भी देता है। लेकिन बहुत बार क् की भी ध्वनि देता है। जैसे कि – Cat, Canon, Cut इत्यादि।
४. लिखने मेें और पढने में अन्तर
जैसे कि साफ जाहिर है। अंग्रेजी पढना एक टेढी खीर इसलिए है क्योंकि इस में जो लिखा जाता है, वह पढा नहीं जाता। और जो बोला जाता है वह लिखा नहीं जाता। उदाहरण के लिए –
- Chemistry – केमिस्ट्री
- Chessboard – चेसबोर्ड
इन दोनों शब्दों में Che यह वर्णसमूह सामान्य है। तथापि दोनों शब्दों में इसे भिन्न भिन्न तरह से पढा जाता है।
अब एक अलग तरह का उदाहरण देखिए। यहाँ एक ही उच्चार के लिए दो अलग अलग वर्ण हैं।
- Put – पुट
- Look – लुक
इस उदाहरण में उ इस स्वर के लिए दो अलग तरह से लिखा गया है।
५. अनुच्चारित वर्ण
यह तो हद है भई। लिखा है। लेकिन पढना नहीं है।
- Psychology
- Half
- Hour
इन शब्दों में एक एक वर्ण अनुच्चारित है। यानी उसे लिखा है लेकिन पढना नहीं है। तो लिखा क्यों?
एक मजेदार बात बताता हूँ।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेडुलकर का नाम तो सब जानते हैं। सचिन इस नाम को अंग्रेजी में – Sachin ऐसा लिखा जाता है। लेकिन कभी भी किसी अंग्रेजी समालोचक (कॉमेंटेटर) ने सचिन को सचिन कहा है?
नहीं।
हमेशा – सॅचन या फिर सॅचाईन ऐसा ही अंग्रेज लोग Sachin को पढते हैं। अगर आपको अंग्रेजों से सचिन ऐसा ही बुलवाना है तो आप को Suchen ऐसा लिखना होगा। तो संभवतः मुमकिन है कि कोई अंग्रेज सचिन ऐसा कुछ उच्चार कर पाए। लेकिन बात तो फिर भी बिगडनी ही है। क्योंकि यहाँ भारत में उस का सुचेन बना जाएगा।
मुझे लगता है कि इन अंग्रेजी स्पेलिंग, लिखने पढने के दिमागखाऊ ढंग की वजह से हमारे करोडो हिन्दुस्तानियों की जिन्दगी खराब हुई है। हमारे बच्चों ने यदि अंग्रेजी के हजारो शब्दों के स्पेलिंग रटने में अपने दिमाग की कीमती जगह और वक्त बरबाद नहीं किया होता और उसी जगह कोई ढंग का काम सीखते तो शायद यह बेहतर होता।
अब इसका मतलब यह कतई नहीं है कि अंग्रेजी सीखनी नहीं है। लेकिन अंग्रेजी स्कूल में अनिवार्य (कम्पलसरी) नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन स्कूली शिक्षा में अंग्रेजी अनिवार्य करने से बहुत से होशियार और अक्लमन्द विद्यार्थी स्कूल छोडने पर मज़बूर हुए। जो आगे चल कर अच्छे वैज्ञानिक या कोई और काबिल इन्सान बन पाते।
क्या आप बता सकते हैं कि हम हिन्दुस्तानी लोग जुगाड़ करने में इतने माहिर क्यों हैं?
क्यों कि अच्छे वैज्ञानिक बनने की योग्याता रखने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा पल्ले नहीं पडी। (इस में अंग्रेजी का बहुत बडा हाथ है।) मैं ने हमेशा ऐसे जुगाडू लोगों में बदनसीब वैज्ञानिकों को देखा है जो ज्ञान हासिल नहीं कर पाए और उनकी बुद्धि मिट्टी में मिल गई।
उर्दू
बहुत से लोग उर्दू को देख कर इस बारे में नाखुश होते हैं कि उर्दू को उलटा लिखा जाता है। लेकिन मेरी दृष्टि से यह नाराजगी का मुद्दा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि हम भी तो उर्दू की नजर में उलटे हैं। उलटा या सीधा – यह बात सापेक्ष है। दुनिया में कुछ भाषाएं तो ऊपर से नीचे भी लिखी जाती है। कोई भी भाषा हो, वह चाहे ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर, दाएं या बाएं कैसे भी लिखी जाए इस बात से कोई भी फर्क नहीं पडता। बशर्ते जो कुछ भी लिखा गया हो उसे पढने वाला वहीं पढे जो लिखने वाले ने लिखते समय सोचा था। लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य है कि दुनिया कि ज्यादातर भाषाएं ऐसी नहीं होती है। लिखना और पढना हम हिन्दुस्तानीयों के लिए जितना आसान है उतना शायद ही किसी और लोगों के सौभाग्य में हो। फिर भी हमारे लोग जब मात्राओं के नाम पर नाक मरोडने लगते हैं तब अफसोस होता है।
१. लिखते समय वर्णों का दूसरा रूप।
उर्दू वर्णमाला |
- . میرا نام مدھوکر ہے
- .میں ایک استاد ہوں
- .میں ہر دن بچوں کو سکھاتا ہوں
२. शब्दों में अन्तर समझने में कठिनाई।
میرا نام مدھوکر ہے
अब इस वाक्य को मैं ने स्वयं लिखा है। इसे ऐसे पढा जाना चाहिए –
मेरा नाम मधुकर है।
चूँकि प्रस्तुत उर्दू वाक्य का लेखक अस्मादिक ही हैं। अतः मैं इसे सही तरह से पढ सकता हूँ। लेकिन कोई अन्य व्यक्ति इसे इस तरह भी पढ सकती है –
मीर अनाम मद हूकर है।
شکتی مان
३. एक जैसे उच्चार के लिए अनेक चिह्न
- अ
- آدمی – आदमी
- عورت – औरत
इन दोनों शब्दों में अ है। लेकिन आदमी वाला अ – ا – ऐसा है। और औरत वाला अ – ع – ऐसा है। यहाँ एक और परेशानी है। आ की मात्रा के लिए भी इन दोनों का ही प्रयोग किया जाता है। अब हमें तो पता है की हर दूसरे – तीसरे शब्द में आ की मात्रा होती है। हर वक्त इस बारे में सोचना पडता है कि मात्रा – ا – से देनी है या – ع – से।
- क्
- سڑک – सड़क
- بندوق – संदूक
इन दोनों भी शब्दों में क् है। सडक वाला क् – ک। संदूक वाला क् – ق।
- त
- عورت – औरत
- غلط – गलत
औरत वाला त् – ت। गलत वाला त् – ط।
- ड
- ڈر – डर
- لڑکا – लडका
डर वाला ड् – ڈ। लडका वाला ड् -ڑ।
- ग
- غلط – गलत
- آگ – आग
गलत वाला ग् – غ। आग वाला ग् – گ।
- स
- اکثر – अक्सर
- سرکار – सरकार
- اصلی – असली
अक्सर वाला स् – ث। सरकार वाला स् – س।
असली वाला स् – ص। (असली का मतबल असली इस शब्द में जिसक प्रयोग होता है वह। उर्दू के लिए तो तीनों भी असली ही है।)
- ज
अब तीन भी कम हो गए थे। चार भी कम। यदि आप उर्दू लिख रहे हैं और ज् वाला कोई शब्द लिखने का काम पड जाए। तो …….. ईश्वर से प्रार्थना करनी होगी कि कोई गलती ना हो जाए। क्यों कि यहाँ ५ प्रकार के ज् होते हैं।- آج – आज
- ذاکر – जाकिर
- مرکز – मरकज
- ضروری – जरूरी
- نظر – नजर
आज वाला ज् – ج। जाकिर वाला ज् – ذ।
फौरन, मसलन, जबरन इत्यादि
ऊपर लिखे जितने भी चिह्न हैं वे कम-अज़-कम उर्दू वर्णमाला में तो हैं। लेकिन फौरन इत्यादि शब्दों में जो न है उस के लिए जो चिह्न हैं वह तो वर्णमाला मे भी नहीं है।
दर असल न् इस व्यंजन के लिए उर्दू में – ن – यह चिह्न है। लेकिन जरा देखिए इन फौरनादि शब्दों को –
- فوراً – फौरन
- مثلاً – मसलन
- جبراً – जबरन
- یقیناً – यकीनन
४. मात्राचिह्नों को प्रायः नहीं लिखा जाता है।
उदाहरण देखिए –
- اس इस शब्द को तीन तरह से पढा जाता है।
- अस
- उस
- इस
इन तीनों में से कौन सा सही है इसे समझने के लिए पूरा वाक्य पढना पडता है। अगर लिखने वाला चाहे तो सही ऐराब की मदद से इन्हे सही तरीके से लिख सकता है। परन्तु ज्यादातर लिखते ही नहीं है।
- اور
- और
- ओर
- ऊर
- अवर
- ہے
- हे
- है
- میں
- मैं
- में
अगर आप को मेरी बात पर विश्वास नहीं है, तो गूगल अनुवाद पर इस बात की पुष्टि की जा सकती है। आप हिन्दी में – मैं गांव में हूँ। इस वाक्य का उर्दू अनुवाद देख सकते हैं। क्या उर्दू विद्वान मैं और में इन दोनों पदों में अन्तर नहीं मानते?
चीनी भाषा की कांजी लिपि
अगर लिपि के मामले में सबसे कठिन भाषा अगर कोई होगी तो वह है चीनी भाषा। चीनी भाषा को लिखने के लिए कांजी लिपि का प्रयोग किया जाता है। यह एक चित्रलिपि है। अर्थात् वस्तुओं को उनके नामों से नहीं लिखा जाता। अपितु उनके चिह्न बने हैं।
प्राचीन चीन में जब लिखने का प्रयत्न किया गया, तो मुंह से निकलने वाली ध्वनियों को एकत्रित कर उनकी वर्णमाला बनाने के अलावा चीनी लोगों ने अलग तरीका अपनाया। चीनी लोगों ने वस्तुओं के नाम नहीं लिखे। उन्होंने वस्तुओं के साक्षात् चित्र ही बानाए और उन चित्रों को ही लिपि बना लिया। इस का एक लाभ यह हुआ कि यदि कोई उनकी भाषा भी ना जाने, तो भी वह उनकी लिपि से पढ कर बात समझ सकेगा। क्योंकि लिखा हुआ लेख शब्दों में नहीं होता था। वह तो चित्रों मे होता था। और चित्रों को समझने में भाषा की ज़रूरत नहीं होती। यह तो मज़ेदार बात है कि आप बाते करने लगे तो नहीं समझेगा। लेकिन लिखा तो समझ सकते हैं। यही वजह है कि जापानी लोग भी चीनी अखबार को लगभग – लगभग समझ सकते हैं। क्योंकि कांजी का प्रयोग जापानी लिखने में भी एक तरह से होता है। लेकिन उसी अखबार को कोई चीनी मनुष्य पढे तो उसके मुँह से अलग ही ध्वनि उत्पन्न होगी और जापानी मनुष्य उस अखबार की कांजी को पढेगा तो अलग ध्वनी होगी। क्योंकि दोनो भाषाएं अलग अलग हैं।
यदि अभी भी विषय समझने में कठिनाई हो तो विस्तार से समझाने का प्रयत्न करता हूँ।
इस चित्र को देखिए। इस चित्र में गाय को व्यक्त करने वाली –
इस चित्र से अनुमान लगाया जा सकता है कि किस तरह से चित्रों से आज के चीनी लिपि कांजी के चिह्न बने होगे। कुछ और उदाहरण देखिए –
- 上 – ऊपर
- 下 – नीचे
- 木 – वृक्ष
- 森林 – वन
- 山 – पर्वत
山
藤山
इसे चीन में हंगशान् पढते हैं और जापान में फुजियामा।
मेरी बात
धन्यवाद
खुप चांगली पोस्ट आहे तुमची मला वाचून खुप आनंद झाला कारण तुम्ही पोस्ट बनवताना खुप कष्ट घेतले असतील ते या पोस्ट मध्ये दिसून येत आहे
Nirmal Academy
धन्यवाद
आपली प्रतिक्रिया वाचून खूप आनंद झाला।