अहम् आवाम् वयम् इन तीनों को उत्तम पुरुष कहते हैं।
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमा | अहम् (मैं) | आवाम् (हम दोनों) | वयम् (हम सब) |
द्वितीया | माम् (मुझे) | आवाम् (हम दोनों को) | अस्मान् (हम सब को) |
तृतीया | मया (मेरे द्वारा) | आवाभ्याम् (हम दोनों के द्वारा) | अस्माभिः (हम सब के द्वारा) |
लट् लकार – उत्तमपुरुषी प्रत्यय
परस्मैपद – मि, वः, मः
आत्मनेपद – इ, वहे, महे
कर्तृवाच्य – उत्तम पुरुष
- मैं संस्कृत पढ़ाता हूँ।
अहं संस्कृतं पाठयामि।- मैं फल खाता हूँ।
अहं फलं खादामि।
- मैं फल खाता हूँ।
- हम दोनों संस्कृत पढ़ाते हैं।
आवां संस्कृतं पाठयावः।- हम दोनो फल खाते हैं।
आवां फलं खादावः।
- हम दोनो फल खाते हैं।
- हम सब संस्कृत पढ़ाते हैं।
वयं संस्कृतं पाठयामः।- हम सब फल खाते हैं।
वयं फलं खादामः।
- हम सब फल खाते हैं।
कर्मवाच्य – उत्तम पुरुष
- शिक्षक मुझे पढ़ाता है।
शिक्षकः मां पाठयति।- शिक्षक के द्वारा मैं पढ़ाया जाता हूँ।
शिक्षकेण अहं पाठ्ये।
- शिक्षक के द्वारा मैं पढ़ाया जाता हूँ।
- विनायक मुझे नमन करता है।
विनायकः मां नमति।- विनायकेन अहं नम्ये।
- बालकः मां मारयति।
- बालकेन अहं मार्ये।
- रावणः मां नयति। (नी)
- रावणेन अहं नीये।
- देवः मां रक्षति।
- देवेन अहं रक्ष्ये।
- सः मां पश्यति। (दृश्)
- तेन अहं दृश्ये।
- देवः आवां रक्षति।
- देवेन आवां रक्ष्यावहे।
- शिक्षकः आवां पाठयति।
- शिक्षकेण आवां पाठ्यावहे।
- राक्षसः आवां खादति।
- राक्षसेन आवां खाद्यावहे।
- देवः अस्मान् रक्षति।
- देवेन वयं रक्ष्यामहे।
- शिक्षकः अस्मान् पाठयति।
- शिक्षकेण वयं पाठ्यामहे।
- राक्षसः अस्मान् खादति।
- राक्षसेन वयं खाद्यामहे।
- सः अस्मान् पश्यति। (दृश्)
- तेन वयं दृश्यामहे।
अभ्यासः
- मैं संस्कृत पढ़ाता हूँ।
अहं संस्कृतं पाठयामि।
मया संस्कृतं पाठ्यते।- मैं फल खाता हूँ।
अहं फलं खादामि।
मया फलं खाद्यते।
- मैं फल खाता हूँ।
- हम दोनों संस्कृत पढ़ाते हैं।
आवां संस्कृतं पाठयावः।
आवाभ्यां संस्कृतं पाठ्यते।- हम दोनो फल खाते हैं।
आवां फलं खादावः।
आवाभ्यां फलं खाद्यते।
- हम दोनो फल खाते हैं।
- हम सब संस्कृत पढ़ाते हैं।
वयं संस्कृतं पाठयामः।
अस्माभिः संस्कृतं पाठ्यते।- हम सब फल खाते हैं।
वयं फलं खादामः।
अस्माभिः फलं खाद्यते।
- हम सब फल खाते हैं।