कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग

कर्तृवाच्य को कर्तरि प्रयोग भी कहते हैं। तथा अंग्रेजी में इसे Active Voice इस नाम से जाना जाता है। वाच्य / प्रयोग सीखने के लिए कुछ व्याकरण के बिन्दुओं का ज्ञान होना आवश्यक होता है। जैसे कि –

  • विभक्ति और शब्दरूप
  • पुरुषज्ञान
  • कर्ता और कर्म
  • धातु
  • सकर्मक और अकर्मक
  • धातुओं के तीन प्रकार – परस्मैपद, आत्मनेपद और उभयपद

यदि आप को इन बिन्दुओं का पुनरावलोकन करना चाहते हैं तो कृपया इस जालसूत्र पर क्लिक कीजिए। इस में हम ने वाच्य परिवर्तन / प्रयोग सीखने के लिए अपेक्षित पूर्वज्ञान पर चर्चा की है। हम अनुशंसा करते हैं कि वाच्य सीखने से पहले इस लेख को पढ़ ले –

कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active Voice) किसे कहते हैं?

जिस संस्कृत वाक्य में क्रिया कर्ता के अनुसार होती है वह कर्तृवाच्य अथवा कर्तरि प्रयोग कहा जाता है।

कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active Voice) कहाँ होता है?

kartru vachya - kartari prayog
कर्तृवाच्य कर्मवाच्य भाववाच्य

क्रिया के दो प्रकार हैं –

  • सकर्मक और अकर्मक

दोनों भी प्रकार के वाक्यों में कर्तृवाच्य हो सकता है।

संस्कृत में कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active Voice) का सूत्र

(कर्ता + प्रथमा) (कर्म + द्वितीया) (क्रिया = धातु + कर्त्रनुरूप लकार)

संस्कृत भाषा में जो वाक्य कर्तृवाच्य होता है, उस वाक्य में –

  • कर्ता प्रथमा विभक्ति में होता है।
  • कर्म द्वितीया विभक्ति में होता है। और,
  • धातु से कर्ता के अनुरूप लकार प्रक्रिया से क्रिया बनती है।

कर्त्रनुरूप लकार का अर्थ

अर्थात् कर्ता के जो भी पुरुष तथा वचन होते हैं उस ही पुरुष और वचन का लकार प्रत्यय लगाना।

पुरुष के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए –

कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग में धातुओं के प्रकार के अनुसार परस्मैपद अथवा आत्मनेपद के प्रत्यय हो सकते हैं –

परस्मैपदी प्रत्यय

 एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमः पुरुषःतितःन्ति
मध्यमः पुरुषःसिथः
उत्तमः पुरुषःमिवःमः
परस्मैपदी प्रत्यय

आत्मनेपदी प्रत्यय

 एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमः पुरुषःतेइतेन्ते
मध्यमः पुरुषःसेइथेध्वे
उत्तमः पुरुषःवहेमहे
आत्मनेपदी प्रत्यय

जैसे कि –

छात्रः श्लोकं पठति। इस वाक्य में –

  • कर्ता – छात्रः। (प्रथम पुरुष एकवचन)
  • क्रिया– पठति। (इस को जो ति यह प्रत्यय लगा है, वह भी प्रथम पुरुष एकवचन का है।)

ध्यान रहे कि कर्तृवाच्य में कर्ता और क्रिया एक ही पुरुष और वचन में होनी चाहिए।

बालकः विद्यालयं गच्छति। इस वाक्य में –

  • कर्ता – बालकः – प्रथम पुरुष एकवचन
  • क्रिया – पठति – प्रथम पुरुष एकवचन

संस्कृत में कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active Voice) के उदाहरण

सकर्मक वाक्यों में संस्कृत में कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active Voice)

  • भक्तः देवं नमति।
    भक्त देव को नमन करता है।
  • देवः भक्तं रक्षति।
    देव भक्त की रक्षा करता है।
  • आञ्जनेयः रामं भजते।
    हनुमान राम की भक्ति करता है।
  • अश्वौ रथं कर्षतः।
    (दो) घोड़े रथ खींचते हैं।
  • छात्राः पाठं पठन्ति।
    छात्र पाठ पढ़ते हैं।
  • वानराः राक्षसान् मारयन्ति।
    वानर राक्षसों को मारते हैं।
  • मुनयः यज्ञं कुर्वन्ति।
    मुनि यज्ञ करते हैं।
  • नद्यः जलं यच्छन्ति।
    नदियाँ पानी देती हैं।

अकर्मक वाक्यों में कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोक (Active Voice)

  • बालकः हसति।
    बालक हँसता है।
  • कुम्भकर्णः निद्राति।
    कुम्भकर्ण सोता है।
  • शिशुः रोदिति।
    शिशु रोता है।
  • खगाः उड्डयन्ते।
    पंछी उड़ते हैं।

उपसंहार

इस प्रकार से हम ने कर्तृवाच्य को समझाने का प्रयत्न किया है। इस लेखमाला में अगला लेख प्रकाशित होगा जिसमें हम कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) पर चर्चा करेंगे।

उस को पढ़ने से पहले कृपया इस अभ्यास में प्रदत्त प्रश्नों के उत्तरों को नीचे आप जरूर दीजिए। यदि आप की कोई शंका, समस्य अथवा प्रश्न हो, तो हम उसका समाधान जरूर करेंगे।

धन्यवाद

कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active Voice) का अभ्यास

प्रश्न १. कर्ता के अनुसार धातु का उचित रूप लिखिए –

नारदः सर्वत्र …..। (भ्रम्)
नारदः सर्वत्र भ्रमति

  • रामः वनं …..। (गम्)
  • रावणः सीतां …..। (नी)
  • चन्द्रमा रात्रौ …..। (वि + राज्)
  • शिष्यः गुरुं …..। (सेव्)
  • हस्तौ कार्यं …..। (कृ)
  • वृषभौ हलं …..। (कृष्)
  • नयने चित्रं …..। (दृश्)
  • कर्णौ गीतं …..। (श्रू)
  • छात्राः पाठं …..। (पठ्)
  • गुरुः शिष्यान् …..। (पाठ्)
  • गुरवः शिष्यान् …..। (पाठ्)
  • सारथयः रथं …..। (चाल्)

प्रश्न २. निम्न वाक्य सकर्मक है अथवा अकर्मक है यह पहचानिए –

  • नदी प्रवहति।
  • वृक्षः फलति।
  • वृक्षः फलं ददाति।
  • वृक्षः वर्धते।
  • रामः रावणं मारयति।
  • सूर्यस्य उदयः भवति।
  • अश्वः भूमौ पतति।
  • नायकः अभिनयं करोति।
  • सेने युध्यतः।

कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive voice)

यदि आप को कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग समझ गया है, तो अब आप कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive voice) पढ़ सकते हैं –

और बाद में भाववाच्य भी –

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