कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग

वाच्य / प्रयोग की लेखमाला में हम ने इससे पूर्व दो लेख प्रकाशित किए हैं। हम अनुशंसा करते हैं कि आप उन लेखों को भी एक बार पढ़ लीजिए। –

इस लेख में हम कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) सीखेंगे –

कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) क्या है?

जिस वाक्य की क्रिया कर्म के अनुसार चलती है वह वाक्य कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) कहलाता है।

ध्यान रखिए – संस्कृत भाषा में कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) केवल सकर्मक वाक्यों से ही होता है। अर्थात् जिस वाक्य में कर्म नहीं है (जैसे कि – बालकः हसति।) ऐसे वाक्यों में कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) की कोई गुंजाईश नहीं है। ऐसे वाक्यों से भाववाच्य / भावे प्रयोग होता है।

कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) का सूत्र

(कर्ता + तृतीया) (कर्म + प्रथमा) (क्रिया = धातु + य + कर्मानुरूप आत्मनेपद)

अर्थात् कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) में –

  • कर्ता तृतीया विभक्ति में होता है।
  • कर्म की प्रथमा विभक्ति होती है।
  • धातु को य लगाकर कर्मानुरूप आत्मनेपद का प्रत्यय लगाकर क्रिया बनती है।

कर्मानुरूप आत्मनेपद क्या है?

कर्मानुरूप इस शब्द का अर्थ है – कर्म के अनुरूप। यानी वाक्य में कर्म (Object) जिस पुरुष और वचन में हो, उस ही पुरुष और वचन का आत्मनेपद का प्रत्यय लगाकर क्रिया बनती है।

आत्मनेपद

कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) में धातु को हमेश आत्मनेपद ही लगता है।

 एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमःतेइतेन्ते
मध्यमःसेइथेध्वे
उत्तमःवहेमहे

कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) के उदाहरण

प्रश्न १ – बालकः श्लोकं लिखति। अस्य वाक्यस्य वाच्यपरिवर्तनं कुरुत।

इस वाक्य को कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) में परिवर्तित करना है। इस वाक्य में कर्ता है – बालकः, कर्म है – श्लोकम् और क्रिया है – लिखति। अब हम क्रमशः इस वाक्य को परिवर्तित करेंगे। हमारा सूत्र है –

(कर्ता + तृतीया) (कर्म + प्रथमा) (क्रिया = धातु + य + कर्मानुरूप आत्मनेपद)

  • कर्ता की तृतीया विभक्ति होती है। अतः –
    बालकः -> बालकेन
  • कर्म की द्वितीया विभक्ति होती है। अतः –
    श्लोकम् -> श्लोकः
  • धातु को लगाकर कर्म के अनुसार आत्मनेपदी प्रत्यय लगाकर क्रिया –
    लिख् + य + ते -> लिख्यते
    इस वाक्य में कर्म (श्लोकः) प्रथम पुरुष एकवचन में है, अतः क्रिया को भ प्रथम पुरुष एकवचन का ही प्रत्यय होगा। जो है – ते। अतः लिख्यते।

उत्तर – बालकेन श्लोकः लिख्यते।

प्रश्न २ – बालकः श्लोकान् लिखति। अस्य वाक्यस्य वाच्यपरिवर्तनं कुरुत।

इस वाक्य में कर्ता है – बालकः, कर्म है – श्लोकान् और क्रिया है – लिखति। अब हम क्रमशः इस वाक्य को परिवर्तित करेंगे। हमारा सूत्र है –

(कर्ता + तृतीया) (कर्म + प्रथमा) (क्रिया = धातु + य + कर्मानुरूप आत्मनेपद)

  • कर्ता की तृतीया विभक्ति होती है। अतः –
    बालकः -> बालकेन
  • कर्म की द्वितीया विभक्ति होती है। अतः –
    श्लोकान् –> श्लोकाः
  • धातु को लगाकर कर्म के अनुसार आत्मनेपदी प्रत्यय लगाकर क्रिया –
    लिख् + य + न्ते -> लिख्यन्ते
    इस वाक्य में कर्म (श्लोकाः) प्रथम पुरुष बहुवचन में है, अतः क्रिया को भ प्रथम पुरुष बहुवचन का ही प्रत्यय होगा। जो है – ते। अतः लिख्यन्ते।

उत्तर – बालकेन श्लोकाः लिख्यन्ते।

प्रश्न ३. त्वं कवितां शृणोषि। तुम कविता सुनते हो।

इस वाक्य में –

  • कर्ता – त्वम् (मध्यम पुरुष एकवचन)
  • कर्म – कविताम्
  • क्रिया – शृणोषि। (मध्यम पुरुष एकवचन)

कर्मवाच्य में –

  • कर्ता की तृतीया – त्वया
  • कर्म की द्वितीया – कविता (प्रथम पुरुष एकवचन)
  • क्रिया – श्रूयते (प्रथम पुरुष एकवचन)

ध्यान दीजिए – शृणोति इस क्रिया का धातु श्रू है। अतः श्रू से कर्मवाच्य हुआ – श्रू + य + ते – श्रूयते।

उत्तर – त्वया कविता श्रूयते। तुम्हारे द्वारा कविता सुनी जाती है।

प्रश्न ४. जननी त्वां मारयति। माँ तुम्हे मारती है।

इस वाक्य में –

  • कर्ता – जननी (प्रथम पुरुष एकवचन)
  • कर्म – त्वाम्
  • क्रिया – मारयति। (प्रथम पुरुष एकवचन)

कर्मवाच्य में –

  • कर्ता की तृतीया – जनन्या
  • कर्म की द्वितीया – त्वम् (मध्यम पुरुष एकवचन)
  • क्रिया – मार्यसे (उत्तम पुरुष एकवचन)

पश्यति इस क्रिया का धातु मार् है। अतः मार् से कर्मणि प्रयोग हुआ – मार् + य + से – मार्यसे।

उत्तर – जनन्या त्वं मार्यसे। माँ के द्वारा तुम मारे जाते हो।

प्रश्न ५. अहं पाठं पठामि। मैं पाठ पढ़ता हूँ।

इस वाक्य में –

  • कर्ता – अहम् (उत्तम पुरुष एकवचन)
  • कर्म – पाठम्
  • क्रिया – पठामि। (उत्तम पुरुष एकवचन)

कर्मवाच्य में –

  • कर्ता की तृतीया – मया
  • कर्म की द्वितीया – पाठः (प्रथम पुरुष एकवचन)
  • क्रिया – पठ्यते (प्रथम पुरुष एकवचन)

उत्तर – मया पाठः पठ्यते। मेरे द्वारा पाठ पढ़ा जाता है।

प्रश्न ६. रमेशः मां पश्यति। रमेश मुझे देखता है।

इस वाक्य में –

  • कर्ता – रमेशः (प्रथम पुरुष एकवचन)
  • कर्म – माम्
  • क्रिया – पश्यति। (प्रथम पुरुष एकवचन)

कर्मवाच्य में –

  • कर्ता की तृतीया – रमेशेन
  • कर्म की द्वितीया – अहम् (उत्तम पुरुष एकवचन)
  • क्रिया – दृश्ये (उत्तम पुरुष एकवचन)

पश्यति इस क्रिया का धातु दृश् है। अतः दृश् से कर्मणि प्रयोग हुआ – दृश् + य + इ – दृश्ये।

उत्तर – रमेशेन अहं दृश्ये। रमेश के द्वारा मैं देखा जाता हूँ।

कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive Voice) का अभ्यास

निम्न वाक्यों का वाच्य परिवर्तित कीजिए।

  • देवः राक्षसं मारयति।
  • देवः राक्षसान् मारयति।
  • देवाः राक्षसं मारयन्ति।
  • देवाः राक्षसान् मारयन्ति।
  • अश्वौ रथं कर्षतः।
  • छात्राः लेखं लिखन्ति।
  • छात्रौ लेखान् लिखतः।

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