चतुर्थी विभक्ति का कारक अर्थ संप्रदान होता है। संप्रदान का सामान्य अर्थ होता है – receiver। जैसे कि – माँ बालक को रोटी देती है। यहां इस वाक्य में बालक रोटी का स्वीकार करने वाला (receiver) है। इसीलिए इसे हम संप्रदान कह सकते हैं।
चतुर्थी विभक्ति के उदाहरण
एकवचन में चतुर्थी के उदाहरण
- शिक्षक छात्र को पुस्तक देता है।
शिक्षकः छात्राय पुस्तकं यच्छति।
- वृक्ष मनुष्य को फल देता है।
वृक्षः मनुष्याय फलं ददाति। - नदी मानव को पानी देती है।
नदी मानवाय जलं ददाति। - कौशल्या सीता को वस्त्र देती है।
कौशल्या सीतायै वस्त्रं ददाति। - पिता बालिका को अलंकार देते हैं।
पिता बालिकायै अलङ्कारं ददाति। - माता पुत्री को रोटी देती है।
माता पुत्र्यै रोटिकां ददाति। - राजा मुनि को दान करता है।
राजा मुनये दानं करोति।
द्विवचन में चतुर्थी के उदाहरण
- धनिक दो किसानों को धन देता है।
धनिकः कृषकाभ्यां धनं ददाति। - शिव दोनों पुत्रों को मिठाई देते हैं।
शिवः पुत्राभ्यां मिष्टान्नं ददाति। - किसान दोनों बैलों को चारा देता है।
कृषकः वृषभाभ्यां तृणं ददाति। - सारथि दोनों घोडों को पानी देता है।
सारथिः अभ्वाभ्यां जलं ददाति।
बहुवचन में चतुर्थी के उदाहरण
- शिक्षक छात्रों को ज्ञान देता है।
शिक्षकः छात्रेभ्यः ज्ञानं ददाति। - ईश्वर भक्तों को सबकुछ देता है।
ईश्वरः भक्तेभ्यः सर्वं ददाति। - वृक्ष मानवों को फल देता है।
वृक्षः मानवेभ्यः फलं ददाति। - नदी मनुष्यों को पानी देती है।
नदी मनुष्येभ्यः जलं ददाति।