द्वितीया विभक्ति का कारक अर्थ
द्वितीया विभक्ति का कारक अर्थ होता है – कर्म (object)। कर्म की व्याख्या इस सूत्र के द्वारा की है –
कर्तुरीप्सिततमं कर्म।१।४।२९॥
कर्ता क्रिया के द्वारा जिस सबसे ज्यादा चाहता है, वह कर्म है।
द्वितीया विभक्ति के सूत्र
कर्मणि द्वितीया।२।३।२॥
कर्तृवाच्य/कर्तरि प्रयोग (active voice) के वाक्य में कर्म की द्वितीया विभक्ति होती है।
द्वितीया विभक्ति के संस्कृत रूप
शब्द | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
अकारान्त पुँ॰ राम | रामम् | रामौ | रामान् |
राम को to Ram | दो रामों को To both Rams | सभी रामों को To all Rams | |
आकारान्त स्त्री॰ लता | लताम् | लते | लताः |
लता को To Lata | दोनों लताओं को To both Latas | सभी लताओं को To all Latas | |
इकारान्त पुँ॰ मुनि | मुनिम् | मुनी | मुनीन् |
मुनि को To the sage | दो मुनियों को To the both sages | सभी मुनियों को To the all sages | |
इकारान्त स्त्री॰ मति | मतिम् | मती | मतीः |
मति को To the Mati | दो मतियों को To the both Maties | सभी मतियों को To the all Maties |
द्वितीया विभक्ति के उदाहरण
बालक रोटी खाता है।
- बालकः रोटिकां खादति।
शिक्षक छात्र को पढाता है।
- शिक्षकः छात्रं पाठयति।
शिक्षक छात्रों को पढाता है।
- शिक्षकः छात्रान् पाठयति।
द्वितीया विभक्ति का अभ्यास
बालक कविता पढता है।
- बालकः कवितां पठति।
छात्र पाठ पढता है।
- छात्रः पाठं पठति।
छात्र दो पाठों पढता है।
- छात्रः पाठौ पठति।
गणेश फल खाता है।
- गणेशः फलं खादति।
राक्षस बकरे को खाता है।
- राक्षसः अजं खादति।
बकरा घास खाता है।
- अजः तृणं खादति।
राक्षस बकरों को खाता है।
- राक्षसः अजान् खादति।
बालक हाथों को धोता है।
- बालकः हस्तौ प्रक्षालयति।