शालेय संस्कृत विद्यार्थी को क्या क्या कण्ठस्थ करना चाहिए?

प्रायः जो शालेय छात्र होते हैं, उनको संस्कृत शिक्षक हमेशा कुछ ना कुछ रटने के लिए दे ही देते हैं। जैसे विभक्ति या लकार कि तालिकाएं। और उन्हें बार-बार रट के याद रखना पड़ता है। और बहुत सारे विद्यार्थी इससे परेशान हो जाते हैं।

वस्तुतः इतनी सारी तालिकाओं को रटने की आवश्यकता नहीं होती है। हम आप को कुछ सामान्य तालिकाएं और सूत्र संक्षेप में बता रहे हैं, जिनको कण्ठस्थ करना सामान्य स्कूली छात्र के लिए बहुत जरूरी है। इन तालिकाओं को कंठस्थ करना किसी भी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र को आवश्यक है। परीक्षा की दृष्टि से भी यह बहुत फायदेमंद है। इन को कंठस्थ करने से संस्कृत व्याकरण की एक सामान्य कल्पना हो जाती है। तथा बाकी अन्य विषय समझने में आसानी हो जाती है।

वर्णमाला

वर्णमाला प्रकरण के लिए दो तालिकाएं हम ने बनाई हैं। आप उन्हे यहाँ से खोल सकते हैं।

सन्धि

स्वर सन्धि

दीर्घ सन्धि

  • अ/आ + अ/आ – आ … देवालयः
  • इ/ई + इ/ई – ई … महीशः
  • उ/ऊ + उ/ऊ – ऊ … बहूपयोगी
  • ऋ/ॠ + ऋ/ॠ – ॠ … पितॄणम्

गुण सन्धि

  • अ/आ + इ/ई – ए … महेशः
  • अ/आ + उ/ऊ – ओ … महोत्सवः
  • अ/आ + ऋ/ॠ – अर् … महर्षिः
  • अ/आ + ऌ – अल् … तवल्कारः

वृद्धि सन्धि

  • अ/आ + ए/ऐ – ऐ … सदैव
  • अ/आ + ओ/औ … कण्ठौष्ठम्

यण् सन्धि

  • इ/ई + स्वर – इ/ई → य् … इत्यादि
  • उ/ऊ + स्वर – उ/ऊ → व् … भान्वस्तः
  • ऋ/ॠ + स्वर – ऋ/ॠ → र् … पित्राज्ञा
  • ऌ + स्वर – ऌ –> ल् … लाकृतिः

अयादि सन्धि

इसे अयवायाव सन्धि अथवा यान्तवान्तादेश सन्धि भी कहते हैं।

  • ए + अन्यस्वर – ए → अय् … नयनम्
  • ओ + अन्यस्वर – ओ → अव् … भवति
  • ऐ + अन्यस्वर – ऐ → आय् … नायक
  • औ + अन्यस्वर – औ → आव् … तावुभौ

व्यञ्जन सन्धि

जश्त्व सन्धि

वर्गीय प्रथमाक्षराणां तृतीयवर्णे परिवर्तनम्

  • कचटतप + मृदुवर्ण – कचटतप → गजडदब … जगदीशः

अनुनासिकत्व सन्धि

वर्गीय प्रथमाक्षराणां पञ्चमवर्णे परिवर्तनम्

  • कचटतप + अनुनासिक – कचटतप → स्ववर्गीयपञ्चमवर्ण … जगन्नाथः

मोऽनुस्वार

  • पदान्त म् + व्यञ्जन – म् → ं (अनुस्वार) … हरिं वन्दे।

परसवर्ण सन्धि

  • अपदान्त म् + व्यञ्जन – म् → परसवर्ण … गङ्गा

विसर्ग सन्धि

उत्व सन्धि

  • अ + : + मृदुवर्ण – : → उ
  • अ + उ – ओ … यशोधाम

रुत्व सन्धि

  • अ / आ से भिन्न स्वर + : + मृदुवर्ण – : → र् … धनुर्धरः

विसर्ग लोप

निम्न स्थितयों में विसर्ग का लोप हो जाता है।

  • अ + : + अभिन्नस्वर … अर्जुन उवाच
  • आ + : + मृदुवर्ण … अश्वा धावन्ति
  • सः / एषः + अभिन्नवर्ण … स गच्छति

विभक्ति

विभक्ति प्रकरण के बहुत सारे टेबल कंठस्थ करने पड़ते हैं। लेकिन यहां पर कुछ आवश्यक टेबल दे रहे हैं, जिन्हें एक बार याद करने से विभक्ति प्रकरण में बहुत फायदा होता है।

विभक्तियों के अर्थ

हमें सब से पहले सभी विभक्तियों के अर्थों को समझना है

विभक्तिअर्थ
प्रथमाकर्ता
द्वितीयाको (to)
तृतीयासे (by) / के द्वारा
चतुर्थीको (for) / के लिए
पञ्चमीसे (from)
षष्ठीका / के / की
सप्तमीमें / पर
सम्बोधनहे / रे / अरे

देव – अकारान्त पुँल्लिङ्ग

एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमादेवःदेवौदेवाः
द्वितीयादेवम्देवौदेवान्
तृतीयादेवेनदेवाभ्याम्देवैः
चतुर्थीदेवायदेवाभ्याम्देवेभ्यः
पञ्चमीदेवात्देवाभ्याम्देवेभ्यः
षष्ठीदेवस्यदेवयोःदेवानाम्
सप्तमीदेवेदेवयोःदेवेषु
संबोधनम्देवदेवौदेवाः

माला – आकारान्त स्त्रीलिङ्ग

एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमामालामालेमालाः
द्वितीयामालाम्मालेमालाः
तृतीयामालयामालाभ्याम्मालाभिः
चतुर्थीमालायैमालाभ्याम्मालाभ्यः
पञ्चमीमालायाःमालाभ्याम्मालाभ्यः
षष्ठीमालायाःमालयोःमालानाम्
सप्तमीमालायाम्मालयोःमालासु
संबोधनम्मालेमालेमालाः

मुनि – इकारान्त पुँल्लिङ्ग

एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमामुनिःमुनीमुनयः
द्वितीयामुनिम्मुनीमुनीन्
तृतीयामुनिनामुनिभ्याम्मुनिभिः
चतुर्थीमुनयेमुनिभ्याम्मुनिभ्यः
पञ्चमीमुनेःमुनिभ्याम्मुनिभ्यः
षष्ठीमुनेःमुन्योःमुनीनाम्
सप्तमीमुनौमुन्योःमनिषु
सम्बोधनमनेमुनीमुनयः

सुहृद् – हलन्त पुँल्लिङ्ग (सुहृद् – मित्र)

एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमासुहृत् / द्सुहृदौसुहृदः
द्वितीयासुहृदम्सुहृदौसुहृदः
तृतीयासुहृदासुहृद्भ्याम्सुहृद्भिः
चतुर्थीसुहृदेसुहृद्भ्याम्सुहृद्भ्यः
पञ्चमीसुहृदःसुहृद्भ्याम्सुहृद्भ्यः
षष्ठीसुहृदःसुहृदोःसुहृदाम्
सप्तमीसुहृदिसुहृदोःसुहृत्सु
सम्बोधनसुहृत् / द्सुहृदौसुहृदः

लकार

लट् लकार

एक॰द्वि॰बहु॰
प्र॰पु॰तितःन्ति
म॰पु॰सिथः
उ॰पु॰मिवःमः
लट् लकार प्रत्यय

उदाहरण

एक॰द्वि॰बहु॰
प्र॰पु॰पठतिपठतःपठन्ति
म॰पु॰पठसिपठथःपठथ
उ॰पु॰पठामिपठावःपठामः
पठ् धातु – लट् लकार

लङ् लकार

एक॰द्वि॰बहु॰
प्र॰पु॰अ…त्अ…ताम्अ…न्
म॰पु॰अ…स्अ…तम्अ…त
उ॰पु॰अ…म्अ…वअ…म
लङ् लकार – प्रत्यय

उदाहरण

एक॰द्वि॰बहु॰
प्र॰पु॰अपठत्अपठताम्अपठन्
म॰पु॰अपठःअपठतम्अपठत
उ॰पु॰अपठम्अपठावअपठाम
पठ् धातु – लङ् लकार

लोट् लकार

एक॰द्वि॰बहु॰
प्र॰पु॰तुताम्अन्तु
म॰पु॰तम्
उ॰पु॰नि
लोट् लकार – प्रत्यय

उदाहरण

एक॰द्वि॰बहु॰
प्र॰पु॰पठतुपठताम्पठन्तु
म॰पु॰पठपठतम्पठत
उ॰पु॰पठानिपठावपठाम
पठ् धातु – लोट् लकार

विधिलिङ् लकार

एक॰द्वि॰बहु॰
प्र॰पु॰इत्इताम्इयुः
म॰पु॰इःइतम्इत
उ॰पु॰इयम्इवइम
विधिलिङ् लकार – प्रत्यय

उदाहरण

एक॰द्वि॰बहु॰
प्र॰पु॰पठेत्पठेताम्पठेयुः
म॰पु॰पठेःपठेतम्पठेत
उ॰पु॰पठेयम्पठेवपठेम
पठ् धातु – विधिलिङ् लकार

उपसंहार

प्राथमिक स्तर पर किसी भी छात्र को इतना तो कण्ठस्थ करना ही चाहिए।

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