
पुस्तक यह एक अकारान्त नपुंसकलिंग शब्द है।
अकारान्त शब्द किसे कहते हैं?
जिन शब्दों के अन्त में – अ यह ध्वनि सुनाई देती है वे शब्द अकारान्त शब्द होते हैं। जैसे कि पुस्तक, फल, वन, पत्र, पर्ण, मित्र, नेत्र, ज्ञान, पुष्प इत्यादि। इन शब्दों के अन्त में अ यह स्वर है।
अकारान्त शब्दों में पुँल्लिंग तथा नपुंसकलिंग – अर्थात् दोनों लिंग के शब्द पाए जाते हैं। अकारान्त शब्द स्त्रीलिंग में नहीं होते हैं।
इस लेख में हम अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों में से उदाहरण के लिए पुस्तक शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से अन्य अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।
पुस्तक शब्द के रूप। अकारान्त नपुंसकलिंग शब्द
एक॰ | द्वि॰ | बहु॰ | |
---|---|---|---|
प्रथमा | पुस्तकम् | पुस्तके | पुस्तकानि |
द्वितीया | पुस्तकम् | पुस्तके | पुस्तकानि |
तृतीया | पुस्तकेन | पुस्तकाभ्याम् | पुस्तकैः |
चतुर्थी | पुस्तकाय | पुस्तकाभ्याम् | पुस्तकेभ्यः |
पञ्चमी | पुस्तकात् | पुस्तकाभ्याम् | पुस्तकेभ्यः |
षष्ठी | पुस्तकस्य | पुस्तकयोः | पुस्तकानाम् |
सप्तमी | पुस्तके | पुस्तकयोः | पुस्तकेषु |
सम्बोधनम् | पुस्तक | पुस्तके | पुस्तकानि |
सामान्यतः इस प्रकार से अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप बनते हैं। परन्तु कुछ कुछ शब्दों में णत्वविधान लागू होता है। जैसे कि – पुष्प। ऐसे शब्दों के रूपों का अभ्यास करने के लिए इस कड़ी – शब्दरूपों में णत्व पर क्लिक कीजिए।
अकारान्त नपुंसकलिंग पुस्तक शब्द के रूपों का वाक्यों में प्रयोग
प्रथमा
- पुस्तकं ज्ञानं ददाति।
पुस्तक ज्ञान देती है। - पुस्तके ज्ञानं दत्तः*।
दो पुस्तकें ज्ञान देती हैं। - पुस्तकानि ज्ञानं ददति*।
बहुत सारी पुस्तकें ज्ञानी देते हैं।
द्वितीया
- शिक्षकः पुस्तकं पाठयति।
शिक्षक पुस्तक को पढ़ाता है। - शिक्षकः पुस्तके पाठयति।
शिक्षक (दो) पुस्तकों को पढ़ाता है। - शिक्षकः पुस्तकानि पाठयति।
शिक्षक पुस्तकों को पढ़ाता है।
तृतीया
- पुस्तकेन अभ्यासः क्रियते।
पुस्तक के द्वारा अभ्यास किया जाता है। - पुस्तकभ्यां अभ्यासः क्रियते।
(दो) पुस्तकों के द्वारा अभ्यास किया जाता है। - पुस्तकैः अभ्यासः क्रियते।
पुस्तकों के द्वारा अभ्यास किया जाता है।
चतुर्थी
- शिक्षकः पुस्तकाय आवरणं ददाति।
शिक्षक पुस्तक को आवरण (Cover) देता है। - शिक्षकः पुस्तकभ्यां आवरणं ददाति।
शिक्षक दो पुस्तकों को आवरण (Cover) देता है। - शिक्षकः पुस्तकेभ्यः आवरणं ददाति।
शिक्षक बहुत सारे पुस्तकों को आवरण (Cover) देता है।
पञ्चमी
- शिक्षकः पुस्तकात् वाक्यं गृह्णाति।
शिक्षक पुस्तक से वाक्य लेता है। - शिक्षकः पुस्तकाभ्यां वाक्यं गृह्णाति।
शिक्षक दो पुस्तकों से वाक्यं लेता है। - शिक्षकः पुस्तकेभ्यः वाक्यं गृह्णाति।
शिक्षक बहुत सारे पुस्तकों से वाक्यं लेता है।
षष्ठी
- एतत् पुस्तकस्य स्थानम् अस्ति।
यह पुस्तक का स्थान है। - एतत् पुस्तकयोः स्थानम् अस्ति।
यह दो पुस्तकों का स्थान है। - एतत् पुस्तकानां स्थानम् अस्ति।
यह बहुत सारे पुस्तकों का स्थान है।
सप्तमी
- पुस्तके पाठाः सन्ति।
पुस्तक में पाठ हैं। - पुस्तकयोः पाठाः सन्ति।
दोनों पुस्तकों में पाठ हैं। - पुस्तकेषु पाठाः सन्ति।
सभी पुस्तकों में पाठ हैं।
संबोधनम्
- हे पुस्तक! ज्ञानं यच्छ।
हे पुस्तक! ज्ञान दो। - हे पुस्तके! ज्ञानं यच्छतम्।
हे दोनों पुस्तकों! ज्ञान दो। - हे पुस्तकानि! ज्ञानं यच्छत।
हे पुस्तकों! ज्ञान दो।
उहसंहार
इस प्रकार से हमने पुस्तक के माध्यम से अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूपों को समझाने की चेष्टा की है। पुस्तक को आधार मानकर आप पुस्तक, फल, वन, पत्र, पर्ण, मित्र, नेत्र, ज्ञान, पुष्प इ॰ शब्दों का संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।
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