फल शब्द रूप। अकारान्त नपुंसकलिंग। संस्कृत वाक्य प्रयोग

फल यह एक अकारान्त नपुंसकलिंग शब्द है।

अकारान्त शब्द किसे कहते हैं?

जिन शब्दों के अन्त में – यह ध्वनि सुनाई देती है वे शब्द अकारान्त शब्द होते हैं। जैसे कि फल, पुस्तक, वन, पत्र, पर्ण, मित्र, नेत्र, ज्ञान, पुष्प इत्यादि। इन शब्दों के अन्त में यह स्वर है।

अकारान्त शब्दों में पुँल्लिंग तथा नपुंसकलिंग – अर्थात् दोनों लिंग के शब्द पाए जाते हैं। अकारान्त शब्द स्त्रीलिंग में नहीं होते हैं।

इस लेख में हम अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों में से उदाहरण के लिए फल शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से अन्य अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।

फल शब्द के रूप। अकारान्त नपुंसकलिंग शब्द

एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमाफलम्फलेफलानि
द्वितीयाफलम्फलेफलानि
तृतीयाफलेनफलाभ्याम्फलैः
चतुर्थीफलायफलाभ्याम्फलेभ्यः
पञ्चमीफलात्फलाभ्याम्फलेभ्यः
षष्ठीफलस्यफलयोःफलानाम्
सप्तमीफलेफलयोःफलेषु
सम्बोधनम्फलफलेफलानि
फल शब्द रूप। संस्कृत

सामान्यतः इस प्रकार से अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप बनते हैं। परन्तु कुछ कुछ शब्दों में णत्वविधान लागू होता है। जैसे कि – पुष्प। ऐसे शब्दों के रूपों का अभ्यास करने के लिए इस कड़ी – शब्दरूपों में णत्व पर क्लिक कीजिए।

अकारान्त नपुंसकलिंग फल शब्द के रूपों का वाक्यों में प्रयोग

फल शब्दरूप अकारान्त नपुंसकलिंग
फल – अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दरूप

प्रथमा

  1. फलं वृक्षात् पतति।
    फल पेड़ से गिरता है।
  2. फले वृक्षात् पततः।
    दो फल पेड़ से गिरते हैं।
  3. फलानि वृक्षात् पतन्ति।
    बहुत सारे फल पेड़ से गिरते हैं।

द्वितीया

  1. बालकः पुस्तकं खादति।
    बालक फल को खाता है।
  2. बालकः फले खादति।
    बालक (दो) फलों को खाता है।
  3. बालकः फलानि खादति।
    बालक फलों को खाता है।

तृतीया

  1. फलेन वृक्षः शोभते।
    फल के द्वारा वृक्ष सुशोभित होता है।
  2. फलभ्यां वृक्षः शोभते।
    (दो) फलों के द्वारा वृक्ष सुशोभित होता है।
  3. फलैः वृक्षः शोभते।
    फलों के द्वारा वृक्ष सुशोभित होता है।

चतुर्थी

  1. बालकः फलाय कोलाहलं करोति।
    बालक फल के लिए झगड़ा करता है।
  2. बालकः फलभ्यां कोलाहलं करोति।
    बालक दो फलों के लिए झगड़ा करता है।
  3. बालकः फलेभ्यः कोलाहलं करोति।
    बालक बहुत सारे फलों के लिए झगड़ा करता है।

पञ्चमी

  1. बालकः फलात् ऊर्जां प्राप्नोति।
    बालक फल से ऊर्जा प्राप्त करता है।
  2. बालकः फलाभ्यां ऊर्जां प्राप्नोति।
    बालक दो फलों से ऊर्जा प्राप्त करता है।
  3. बालकः फलेभ्यः ऊर्जां प्राप्नोति।
    बालक बहुत सारे फलों से ऊर्जा प्राप्त करता है।

षष्ठी

  1. एतस्य फलस्य वर्णः रक्तः अस्ति।
    इस फल का रंग लाल है।
  2. एतयोः फलयोः वर्णः रक्तः अस्ति।
    इन दोनों फलों का रंग लाल है।
  3. एतेषां फलानां वर्णः रक्तः अस्ति।
    इन सभी फलों का रंग लाल है।

सप्तमी

  1. फले कीटकाः सन्ति।
    फल में कीड़े हैं।
  2. फलयोः कीटकाः सन्ति।
    दोनों फलों में कीड़े हैं।
  3. फलेषु कीटकाः सन्ति।
    सभी फलों में पाठ हैं।

संबोधनम्

  1. हे फल! अधः पत।
    हे फल! नीचे गिर।
  2. हे फले! अधः पततम्।
    हे दोनों फलों! नीचे गिर जाओ।
  3. हे फलानि! अधः पतत।
    हे फलों! नीचो गिर जाओ।

उहसंहार

इस प्रकार से हमने फल के माध्यम से अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूपों को समझाने की चेष्टा की है। फल को आधार मानकर आप फल, पुस्तक, वन, पत्र, पर्ण, मित्र, नेत्र, ज्ञान, पुष्प इ॰ शब्दों का संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।

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