देव यह एक अकारान्त पुँल्लिंग शब्द है।
अकारान्त शब्द किसे कहते हैं?
जिन शब्दों के अन्त में – अ यह ध्वनि सुनाई देती है वे शब्द अकारान्त शब्द होते हैं। जैसे कि देव, राम, श्याम, बालक, कृष्ण इत्यादि। इन शब्दों के अन्त में अ यह स्वह है।
अकारान्त शब्दों में पुँल्लिंग तथा नपुंसकलिंग – अर्थात् तीनों लिंग के शब्द पाए जाते हैं। स्त्रीलिंग शब्द अकारान्त नहीं होते हैं।
देव इस शब्द के अन्त में अ यह स्वर है – (देव = द् + ए + व् + अ) अतः देव यह शब्द भी अकारान्त शब्द है।
इस लेख में हम अकारान्त पुँल्लिङ्ग शब्दों में से उदाहरण के लिए देव शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से अन्य अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।
देव शब्द के रूप। अकारान्त पुँल्लिंग शब्द
एक॰ | द्वि॰ | बहु॰ | |
---|---|---|---|
प्रथमा | देवः | देवौ | देवाः |
द्वितीया | देवम् | देवौ | देवान् |
तृतीया | देवेन | देवाभ्याम् | देवैः |
चतुर्थी | देवाय | देवाभ्याम् | देवेभ्यः |
पञ्चमी | देवात् | देवाभ्याम् | देवेभ्यः |
षष्ठी | देवस्य | देवयोः | देवानाम् |
सप्तमी | देवे | देवयोः | देवेषु |
सम्बोधनम् | देव | देवौ | देवाः |
सामान्यतः इस प्रकार से अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूप बनते हैं। परन्तु कुछ कुछ शब्दों में णत्वविधान लागू होता है। जैसे कि – राम। ऐसे शब्दों के रूपों का अभ्यास करने के लिए इस कड़ी – शब्दरूपों में णत्व पर क्लिक कीजिए।
अकारान्त पुँल्लिंग देव शब्द के रूपों का वाक्यों में प्रयोग
प्रथमा
- देवः स्वर्गे निवसति।
देव स्वर्ग में रहता है। - देवौ स्वर्गे निवसतः।
दो देव स्वर्ग में रहते हैं। - देवाः स्वर्गे निवसन्ति।
सभी देव स्वर्ग में रहते हैं।
द्वितीया
- भक्तः देवं प्रणमति।
भक्त देव को प्रणाम करता है। - भक्तः देवौ प्रणमति।
भक्त दो देवों को प्रणाम करता है। - भक्तः देवान् प्रणमति।
भक्त देवों को प्रणाम कता है।
तृतीया
- देवेन यज्ञः क्रियते।
देव के द्वारा यज्ञ किया जाता है। - देवभ्यां यज्ञः क्रियते।
(दो) देवों के द्वारा यज्ञ किया जाता है। - देवैः यज्ञः क्रियते।
देवों के द्वारा यज्ञ किया जाता है।
चतुर्थी
- भक्तः देवाय पुष्पं ददाति।
भक्त देव को फूल देता है। - भक्तः देवभ्यां पुष्पं ददाति।
भक्त दो देवों को फूल देता है। - भक्त देवेभ्यः पुष्पं ददाति।
भक्त बहुत सारे देवों को फूल देता है।
पञ्चमी
- भयभीतः राक्षसः देवात् दूरं पलायते।
भयभीत राक्षस देव से दूर भागता है। - भयभीतः राक्षसः देवाभ्यां दूरं पलायते।
भयभीत राक्षस दो दोवों से दूर भागता है। - भयभीतः राक्षसः देवेभ्यः दूरं पलायते।
भयभीतः राक्षसः देवों से दूर भागता है।
षष्ठी
- एषः देवस्य देवालयः अस्ति।
यह देव का मन्दिर है। - एषः देवयोः देवालयः अस्ति।
यह दो देवों का मन्दिर है। - एषः देवानाम् देवालयः अस्ति।
यह बहुत सारे देवों का मन्दिर है।
सप्तमी
- भक्तः देवे विश्वसिति।
भक्त देव पर विश्वास करता है। - भक्तः देवयोः विश्वसिति।
भक्त दोनों देवों पर विश्वास करता है। - भक्तः देवेषु विश्वसिति।
भक्त सभी देवों पर विश्वास करता है।
संबोधनम्
- हे देव! रक्षतु माम्।
हे देव! मुझे बचाओ। - हे देवौ! रक्षतां माम्।
हे दोनों देवों! मुझे बचाओ। - हे देवाः! रक्षन्तु माम्।
हे सभी देवों! मुझे बचाओ।
उहसंहार
इस प्रकार से हमने देव के माध्यम से अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूपों को समझाने की चेष्टा की है। देव को आधार मानकर आप श्याम, कृष्ण, बालक वगैरह शब्दों का भी संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।
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