बालक शब्द रूप। अकारान्त पुँल्लिंग शब्द। संस्कृत वाक्य प्रयोग

बालक शब्द रूप – संस्कृत

बालक यह एक अकारान्त पुँल्लिंग शब्द है।

अकारान्त शब्द किसे कहते हैं?

जिन शब्दों के अन्त में – यह ध्वनि सुनाई देती है वे शब्द अकारान्त शब्द होते हैं। जैसे कि देव, राम, श्याम, बालक, कृष्ण इत्यादि। इन शब्दों के अन्त में अ यह स्वह है।

अकारान्त शब्दों में पुँल्लिंग तथा नपुंसकलिंग – अर्थात् दोनों लिंग के शब्द पाए जाते हैं। अकारान्त शब्द स्त्रीलिंग में नहीं होते हैं।

इस लेख में हम अकारान्त पुँल्लिङ्ग शब्दों में से उदाहरण के लिए बालक शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से अन्य अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।

बालक शब्द के रूप। अकारान्त पुँल्लिंग शब्द

एक॰द्वि॰बहु॰
प्रथमाबालकःबालकौबालकाः
द्वितीयाबालकम्बालकौबालकान्
तृतीयाबालकेनबालकाभ्याम्बालकैः
चतुर्थीबालकायबालकाभ्याम्बालकेभ्यः
पञ्चमीबालकात्बालकाभ्याम्बालकेभ्यः
षष्ठीबालकस्यबालकयोःबालकानाम्
सप्तमीबालकेबालकयोःबालकेषु
सम्बोधनम्बालकबालकौबालकाः
बालक शब्द रूप। संस्कृत

बालक शब्द के रूपों का वीडिओ

शब्दरूपों को याद करने के लिए उन्हे बार बार रटना पड़ता है। लेकिन साथ में उच्चार भी योग्य होने चाहिए। इसके लिए इस वीडिओ को देखिए और शब्दरूपों को सुनिए, उनका सही उच्चर सीखने का प्रयत्न कीजिए।

अकारान्त पुँल्लिंग बालक शब्द रूप। योग्य उच्चारण

सामान्यतः इस प्रकार से अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूप बनते हैं। परन्तु कुछ कुछ शब्दों में णत्वविधान लागू होता है। जैसे कि – राम। ऐसे शब्दों के रूपों का अभ्यास करने के लिए इस कड़ी – शब्दरूपों में णत्व पर क्लिक कीजिए।

अकारान्त पुँल्लिंग शब्द बालक के रूपों का वाक्यों में प्रयोग

प्रथमा

  1. बालकः अभ्यासं करोति।
    बालक अभ्यास करता है।
  2. बालकौ अभ्यासं कुरुतः।
    दो बालकौ अभ्यास करते हैं।
  3. बालकाः अभ्यासं कुर्वन्ति।
    बहुत सारे बालक अभ्यास करते हैं।

द्वितीया

  1. शिक्षकः बालकं पाठयति।
    शिक्षक बालक को पढ़ाता है।
  2. शिक्षकः बालकौ पाठयति।
    शिक्षक (दो) बालकों को पढ़ाता है।
  3. शिक्षकः बालकान् पाठयति।
    शिक्षक बालकों को पढ़ाता है।

तृतीया

  1. बालकेन अभ्यासः क्रियते।
    बालक के द्वारा अभ्यास किया जाता है।
  2. बालकभ्यां अभ्यासः क्रियते।
    (दो) बालकों के द्वारा अभ्यास किया जाता है।
  3. बालकैः अभ्यासः क्रियते।
    बालकों के द्वारा अभ्यास किया जाता है।

चतुर्थी

  1. शिक्षकः बालकाय पुस्तकं ददाति।
    शिक्षक बालक को पुस्तक देता है।
  2. शिक्षकः बालकभ्यां पुस्तकं ददाति।
    शिक्षक दो बालकों को पुस्तक देता है।
  3. शिक्षकः बालकेभ्यः पुस्तकं ददाति।
    शिक्षक बहुत सारे बालकों को पुस्तक देता है।

पञ्चमी

  1. शिक्षकः बालकात् पुस्तकं गृह्णाति।
    शिक्षक बालक से पुस्तक लेता है।
  2. शिक्षकः बालकाभ्यां पुस्तकं गृह्णाति।
    शिक्षक दो बालकों से पुस्तक लेता है।
  3. शिक्षकः बालकेभ्यः पुस्तकं गृह्णाति।
    शिक्षक बहुत सारे बालकों से पुस्तक लेता है।

षष्ठी

  1. एतत् बालकस्य गृहम् अस्ति।
    यह बालक का घर है।
  2. एतत् बालकयोः गृहम् अस्ति।
    यह दो बालकों का घर है।
  3. एतत् बालकानां गृहम् अस्ति।
    यह बहुत सारे बालकों का घर है।

सप्तमी

  1. शिक्षकः बालके विश्वसिति।
    शिक्षक बालक पर विश्वास करता है।
  2. शिक्षकः बालकयोः विश्वसिति।
    शिक्षक दोनों बालकों पर विश्वास करता है।
  3. शिक्षकः बालकेषु विश्वसिति।
    शिक्षक सभी बालकों पर विश्वास करता है।

संबोधनम्

  1. रे बालक! अभ्यासं कुरु।
    रे बालक! अभ्यास कर।
  2. रे बालकौ! अभ्यासं कुरुतम्।
    रे दोनों बालकों! अभ्यास करो।
  3. रे बालकाः! अभ्यासं कुरुत।
    रे बालकों! अभ्यास करो।

उहसंहार

इस प्रकार से हमने बालक के माध्यम से अकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूपों को समझाने की चेष्टा की है। बालक को आधार मानकर आप देव, श्याम, कृष्ण इ॰ शब्दों का संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।

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