ऋषि शब्द रूप। वाक्य में प्रयोग – हिन्दी अनुवाद। इकारान्त पुँल्लिंग शब्द।

ऋषि शब्द रूप संस्कृत - इकारान्त पुँल्लिंग
ऋषि शब्द रूप – संस्कृत

मुनि यह इकारान्त पुँल्लिंग शब्द है और ऋषि यह शब्द भी इकारान्त पुँल्लिंग शब्द है।

मुनि शब्द का

  • तृतीया एकवचन – मुनिना
  • षष्ठी बहुवचन – मुनीनाम्

परन्तु

ऋषि इस शब्द का

  • तृतीया एकवचन – ऋषिणा
  • षष्ठी बहुवचन – ऋषीणाम्

इस के पीछे कारण है – णत्वविधान

इस लेख में हम णत्वविधान के उदाहरण हेतु ऋषि शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से जिन शब्दों में णत्व लागू होता है (ऋषि, रवि इ॰) उन इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।

ऋषि शब्द के रूप।

इकारान्त पुँल्लिंग शब्दरूप में णत्वविधान का उदाहरण

एकद्विबहु॰
प्रथमाऋषिःऋषीऋषयः
द्वितीयाऋषिम्ऋषीऋषीन्
तृतीयाऋषिणा ऋषिभ्याम्ऋषिभिः
चतुर्थीहरयेऋषिभ्याम्ऋषिभ्यः
पञ्चमीऋषेःऋषिभ्याम्ऋषिभ्यः
षष्ठीऋषेःऋष्योःऋषीणाम्
सप्तमीऋषौऋष्योःऋषिषु
सम्बोधनम्ऋषेऋषीऋषयः
ऋषि शब्द रूप – संस्कृत

१) ऋषिणा तथा ऋषीणाम् इन दोनों शब्दों में णत्वविधान सन्धिकार्य होता है।

जिन इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों में णत्वविधान लागू होता है, उन शब्दों के रूप ऋषि शब्द के अनुरूप होते हैं। जैसे कि – हरि, रवि इत्यादि। लेकिन जिन शब्दों में णत्व लागू नहीं होता है, उनके रूपों के लिए – सामान्य शब्द रूप इस कड़ी पर क्लिक करें।

इकारान्त पुँल्लिंग शब्द के रूपों का वाक्यों में प्रयोग

प्रथमा

  1. ऋषिः श्लोकं पठति।
    ऋषि श्लोक पढ़ता है।
  2. ऋषी श्लोकं पठतः।
    दो ऋषि श्लोक पढ़ते हैं।
  3. ऋषयः श्लोकं पठन्ति।
    बहुत सारे ऋषि श्लोक पढ़ते हैं।

द्वितीया

  1. राजा ऋषिं प्रणमति।
    राजा ऋषि को प्रणाम करता है।
  2. राजा ऋषी प्रणमति।
    राजा (दो) ऋषियों को प्रणाम करता है।
  3. राजा ऋषीन् प्रणमति।
    राजा ऋषियों को प्रणाम कता है।

तृतीया

  1. ऋषिणा श्लोकः पठ्यते।
    ऋषि के द्वारा श्लोक पढ़ा जाता है।
  2. ऋषिभ्यां श्लोकः पठ्यते।
    (दो) ऋषियों के द्वारा श्लोक पढ़ा जाता है।
  3. ऋषिभिः श्लोकः पठ्यते।
    ऋषियों के द्वारा श्लोक पढ़ा जाता है।

चतुर्थी

  1. राजा ऋषये धेनुं ददाति।
    राजा ऋषि को गाय देता है।
  2. राजा ऋषिभ्यां धेनुं ददाति।
    राजा दो ऋषियों को गाय देता है।
  3. राजा ऋषिभ्यः धेनुं ददाति।
    राजा बहुत सारे ऋषियों को गाय देता है।

पञ्चमी

  1. राजा ऋषेः ज्ञानं गृह्णाति।
    राजा ऋषि से ज्ञान लेता है।
  2. राजा ऋषिभ्याम् ज्ञानं गृह्णाति।
    राजा दो ऋषियों से ज्ञान लेता है।
  3. राजा ऋषिभ्यः ज्ञानं गृह्णाति।
    राजा बहुत सारे ऋषियों से ज्ञान लेता है।

षष्ठी

  1. एषः ऋषेः गृहम् अस्ति।
    यह ऋषि का घर है।
  2. एषः ऋष्योः गृहम् अस्ति।
    यह दो ऋषियों का घर है।
  3. एषः ऋषीनाम् गृहम् अस्ति।
    यह बहुत सारे ऋषियों का घर है।

सप्तमी

  1. राजा ऋषौ विश्वसिति।
    राजा ऋषि पर विश्वास करता है।
  2. राजा ऋष्योः विश्वसिति।
    राजा दोनों ऋषियों पर विश्वास करता है।
  3. राजा ऋषिषु विश्वसिति।
    राजा सभी ऋषियों पर विश्वास करता है।

संबोधनम्

  1. हे ऋषे! यज्ञं करोतु।
    हे ऋषि! यज्ञ करो।
  2. हे ऋषी! यज्ञं करोतु।
    हे दोनों ऋषियों! यज्ञ कीजिए।
  3. हे ऋषयः! यज्ञं करोतु।
    हे ऋषियों! यज्ञ कीजिए।

उहसंहार

इस प्रकार से हमने ऋषि इस शब्द के माध्यम से इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूपों के साथ साथ णत्वविधान किन रूपों में होता है इस बात को समझाने की चेष्टा की है। ऋषि शब्द को आधार मानकर णत्वविधान लागू होनेवाले (रवि, हरि इ॰) अन्य शब्दों का भी संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।

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