
इकारान्त शब्द किसे कहते हैं?
जिन शब्दों के अन्त में – इ यह ध्वनि सुनाई देती है वे शब्द इकारान्त शब्द होते हैं। जैसे कि मुनि, हरि, कवि, रवि, सारथि इत्यादि। इन शब्दों के अन्त में इ यह स्वह है।
इकारान्त शब्दों में पुँल्लिंग स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग – अर्थात् तीनों लिंग के शब्द पाए जाते हैं।
इस लेख में हम इकारान्त पुँल्लिङ्ग शब्दों में से उदाहरण के लिए कवि शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से अन्य इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।
कवि शब्द के रूप। इकारान्त पुँल्लिंग शब्द
एक॰ | द्वि॰ | बहु॰ | |
---|---|---|---|
प्रथमा | कविः | कवी | कवयः |
द्वितीया | कविम् | कवी | कवीन् |
तृतीया | कविना | कविभ्याम् | कविभिः |
चतुर्थी | कवये | कविभ्याम् | कविभ्यः |
पञ्चमी | कवेः | कविभ्याम् | कविभ्यः |
षष्ठी | कवेः | कव्योः | कवीनाम् |
सप्तमी | मुनौ | कव्योः | कविषु |
सम्बोधनम् | कवे | कवी | कवयः |
सामान्यतः इस प्रकार से इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूप बनते हैं। परन्तु कुछ कुछ शब्दों में णत्वविधान लागू होता है। जैसे कि – हरि, रवि, ऋषि। ऐसे शब्दों के रूपों का अभ्यास करने के लिए इस कड़ी – शब्दरूपों में णत्व पर क्लिक कीजिए।
इकारान्त पुँल्लिंग शब्द के रूपों का वाक्यों में प्रयोग
प्रथमा
- कविः यज्ञं करोति।
कवि यज्ञ करता है। - कवी यज्ञं कुरुतः।
दो कवी यज्ञ करते हैं। - कवयः यज्ञं कुर्वन्ति।
बहुत सारे कवि यज्ञ करते हैं।
द्वितीया
- राजा मुनिं प्रणमति।
राजा कवि को प्रणाम करता है। - राजा कवी प्रणमति।
राजा (दो) कवियों को प्रणाम करता है। - राजा कवीन् प्रणमति।
राजा कवियों को प्रणाम कता है।
तृतीया
- कविना यज्ञः क्रियते।
कवि के द्वारा यज्ञ किया जाता है। - कविभ्यां यज्ञः क्रियते।
(दो) कवियों के द्वारा यज्ञ किया जाता है। - कविभिः यज्ञः क्रियते।
कवियों के द्वारा यज्ञ किया जाता है।
चतुर्थी
- राजा कवये धेनुं ददाति।
राजा कवि को गाय देता है। - राजा कविभ्यां धेनुं ददाति।
राजा दो कवियों को गाय देता है। - राजा कविभ्यः धेनुं ददाति।
राजा बहुत सारे कवियों को गाय देता है।
पञ्चमी
- राजा कवेः ज्ञानं गृह्णाति।
राजा कवि से ज्ञान लेता है। - राजा कविभ्याम् ज्ञानं गृह्णाति।
राजा दो कवियों से ज्ञान लेता है। - राजा कविभ्यः ज्ञानं गृह्णाति।
राजा बहुत सारे कवियों से ज्ञान लेता है।
षष्ठी
- एषः कवेः आश्रमः अस्ति।
यह कवि का आश्रम है। - एषः कव्योः आश्रमः अस्ति।
यह दो कवियों का आश्रम है। - एषः कवीनाम् आश्रमः अस्ति।
यह बहुत सारे कवियों का आश्रम है।
सप्तमी
- राजा मुनौ विश्वसिति।
राजा कवि पर विश्वास करता है। - राजा कव्योः विश्वसिति।
राजा दोनों कवियों पर विश्वास करता है। - राजा कविषु विश्वसिति।
राजा सभी कवियों पर विश्वास करता है।
संबोधनम्
- हे कवे! यज्ञं करोतु।
हे कवि! यज्ञ करो। - हे कवी! यज्ञं करोतु।
हे दोनों कवियों! यज्ञ कीजिए। - हे कवयः! यज्ञं करोतु।
हे कवियों! यज्ञ कीजिए।
उहसंहार
इस प्रकार से हमने कवि के माध्यम से इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूपों को समझाने की चेष्टा की है। कवि को आधार मानकर आप मुनि, दधीचि, बृहस्पति, शनि वगैरह शब्दों का भी संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।