इकारान्त शब्द किसे कहते हैं?
जिन शब्दों के अन्त में – इ यह ध्वनि सुनाई देती है वे शब्द इकारान्त शब्द होते हैं। जैसे कि मुनि, हरि, कवि, रवि, सारथि इत्यादि। इन शब्दों के अन्त में इ यह स्वह है।
इकारान्त शब्दों में पुँल्लिंग स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग – अर्थात् तीनों लिंग के शब्द पाए जाते हैं।
इस लेख में हम इकारान्त पुँल्लिङ्ग शब्दों में से उदाहरण के लिए मुनि शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से अन्य इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।
मुनि शब्द के रूप। इकारान्त पुँल्लिंग शब्द
एक॰ | द्वि॰ | बहु॰ | |
---|---|---|---|
प्रथमा | मुनिः | मुनी | मुनयः |
द्वितीया | मुनिम् | मुनी | मुनीन् |
तृतीया | मुनिना | मुनिभ्याम् | मुनिभिः |
चतुर्थी | मुनये | मुनिभ्याम् | मुनिभ्यः |
पञ्चमी | मुनेः | मुनिभ्याम् | मुनिभ्यः |
षष्ठी | मुनेः | मुन्योः | मुनीनाम् |
सप्तमी | मुनौ | मुन्योः | मुनिषु |
सम्बोधनम् | मुने | मुनी | मुनयः |
सामान्यतः इस प्रकार से इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूप बनते हैं। परन्तु कुछ कुछ शब्दों में णत्वविधान लागू होता है। जैसे कि – हरि, रवि, ऋषि। ऐसे शब्दों के रूपों का अभ्यास करने के लिए इस कड़ी – शब्दरूपों में णत्व पर क्लिक कीजिए।
इकारान्त पुँल्लिंग शब्द के रूपों का वाक्यों में प्रयोग
प्रथमा
- मुनिः यज्ञं करोति।
मुनि यज्ञ करता है। - मुनी यज्ञं कुरुतः।
दो मुनी यज्ञ करते हैं। - मुनयः यज्ञं कुर्वन्ति।
बहुत सारे मुनि यज्ञ करते हैं।
द्वितीया
- राजा मुनिं प्रणमति।
राजा मुनि को प्रणाम करता है। - राजा मुनी प्रणमति।
राजा (दो) मुनियों को प्रणाम करता है। - राजा मुनीन् प्रणमति।
राजा मुनियों को प्रणाम कता है।
तृतीया
- मुनिना यज्ञः क्रियते।
मुनि के द्वारा यज्ञ किया जाता है। - मुनिभ्यां यज्ञः क्रियते।
(दो) मुनियों के द्वारा यज्ञ किया जाता है। - मुनिभिः यज्ञः क्रियते।
मुनियों के द्वारा यज्ञ किया जाता है।
चतुर्थी
- राजा मुनये धेनुं ददाति।
राजा मुनि को गाय देता है। - राजा मुनिभ्यां धेनुं ददाति।
राजा दो मुनियों को गाय देता है। - राजा मुनिभ्यः धेनुं ददाति।
राजा बहुत सारे मुनियों को गाय देता है।
पञ्चमी
- राजा मुनेः ज्ञानं गृह्णाति।
राजा मुनि से ज्ञान लेता है। - राजा मुनिभ्याम् ज्ञानं गृह्णाति।
राजा दो मुनियों से ज्ञान लेता है। - राजा मुनिभ्यः ज्ञानं गृह्णाति।
राजा बहुत सारे मुनियों से ज्ञान लेता है।
षष्ठी
- एषः मुनेः आश्रमः अस्ति।
यह मुनि का आश्रम है। - एषः मुन्योः आश्रमः अस्ति।
यह दो मुनियों का आश्रम है। - एषः मुनीनाम् आश्रमः अस्ति।
यह बहुत सारे मुनियों का आश्रम है।
सप्तमी
- राजा मुनौ विश्वसिति।
राजा मुनि पर विश्वास करता है। - राजा मुन्योः विश्वसिति।
राजा दोनों मुनियों पर विश्वास करता है। - राजा मुनिषु विश्वसिति।
राजा सभी मुनियों पर विश्वास करता है।
संबोधनम्
- हे मुने! यज्ञं करोतु।
हे मुनि! यज्ञ करो। - हे मुनी! यज्ञं करोतु।
हे दोनों मुनियों! यज्ञ कीजिए। - हे मुनयः! यज्ञं करोतु।
हे मुनियों! यज्ञ कीजिए।
उहसंहार
इस प्रकार से हमने मुनि के माध्यम से इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूपों को समझाने की चेष्टा की है। मुनि को आधार मानकर आप कवि, दधीचि, बृहस्पति, शनि वगैरह शब्दों का भी संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।
Muni shabda roop, Shabda roop, Ikarant shaba roop
kakshakaumudi
🙂