मुनि यह इकारान्त पुँल्लिंग शब्द है और हरि यह शब्द भी इकारान्त पुँल्लिंग शब्द है।
मुनि शब्द का
- तृतीया एकवचन – मुनिना
- षष्ठी बहुवचन – मुनीनाम्
परन्तु
हरि इस शब्द का
- तृतीया एकवचन – हरिणा
- षष्ठी बहुवचन – हरीणाम्
इस के पीछे कारण है – णत्वविधान
इस लेख में हम णत्वविधान के उदाहरण हेतु हरि शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से जिन शब्दों में णत्व लागू होता है (ऋषि, रवि इ॰) उन इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।
हरि शब्द के रूप।
इकारान्त पुँल्लिंग शब्दरूप में णत्वविधान का उदाहरण
एक. | द्वि. | बहु. | |
प्रथमा | हरिः | हरी | हरयः |
द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
तृतीया | हरिणा १ | हरिभ्याम् | हरिभिः |
चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
पञ्चमी | हरेः | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
षष्ठी | हरेः | हर्योः २ | हरीणाम् १ |
सप्तमी | हरौ | हर्योः २ | हरिषु |
सम्बोधनम् | हरे | हरी | हरयः |
१) हरिणा तथा हरीणाम् इन दोनों शब्दों में णत्वविधान सन्धिकार्य होता है।
२) हर्योः इस शब्दरूप में छात्र परेशान हो सकते हैं कि र कहाँ चला गया?- यहां र् रेफ बनकर यो के सिर पर चढ़ गया है।
जिन इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों में णत्वविधान लागू होता है, उन शब्दों के रूप हरि शब्द के अनुरूप होते हैं। जैसे कि – ऋषि, रवि इत्यादि। लेकिन जिन शब्दों में णत्व लागू नहीं होता है, उनके रूपों के लिए – सामान्य शब्द रूप इस कड़ी पर क्लिक करें।
इकारान्त पुँल्लिंग शब्द के रूपों का वाक्यों में प्रयोग
प्रथमा
- हरिः श्लोकं पठति।
हरि श्लोक पढ़ता है। - हरी श्लोकं पठतः।
दो हरि श्लोक पढ़ते हैं। - हरयः श्लोकं पठन्ति।
बहुत सारे हरि श्लोक पढ़ते हैं।
द्वितीया
- राजा हरिं प्रणमति।
राजा हरि को प्रणाम करता है। - राजा हरी प्रणमति।
राजा (दो) हरियों को प्रणाम करता है। - राजा हरीन् प्रणमति।
राजा हरियों को प्रणाम कता है।
तृतीया
- हरिणा श्लोकः पठ्यते।
हरि के द्वारा श्लोक पढ़ा जाता है। - हरिभ्यां श्लोकः पठ्यते।
(दो) हरियों के द्वारा श्लोक पढ़ा जाता है। - हरिभिः श्लोकः पठ्यते।
हरियों के द्वारा श्लोक पढ़ा जाता है।
चतुर्थी
- राजा हरये धेनुं ददाति।
राजा हरि को गाय देता है। - राजा हरिभ्यां धेनुं ददाति।
राजा दो हरियों को गाय देता है। - राजा हरिभ्यः धेनुं ददाति।
राजा बहुत सारे हरियों को गाय देता है।
पञ्चमी
- राजा हरेः ज्ञानं गृह्णाति।
राजा हरि से ज्ञान लेता है। - राजा हरिभ्याम् ज्ञानं गृह्णाति।
राजा दो हरियों से ज्ञान लेता है। - राजा हरिभ्यः ज्ञानं गृह्णाति।
राजा बहुत सारे हरियों से ज्ञान लेता है।
षष्ठी
- एषः हरेः गृहम् अस्ति।
यह हरि का घर है। - एषः हर्योः गृहम् अस्ति।
यह दो हरियों का घर है। - एषः हरीनाम् गृहम् अस्ति।
यह बहुत सारे हरियों का घर है।
सप्तमी
- राजा हरौ विश्वसिति।
राजा हरि पर विश्वास करता है। - राजा हर्योः विश्वसिति।
राजा दोनों हरियों पर विश्वास करता है। - राजा हरिषु विश्वसिति।
राजा सभी हरियों पर विश्वास करता है।
संबोधनम्
- हे हरे! यज्ञं करोतु।
हे हरि! यज्ञ करो। - हे हरी! यज्ञं करोतु।
हे दोनों हरियों! यज्ञ कीजिए। - हे हरयः! यज्ञं करोतु।
हे हरियों! यज्ञ कीजिए।
उहसंहार
इस प्रकार से हमने हरि इस शब्द के माध्यम से इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूपों के साथ साथ णत्वविधान किन रूपों में होता है इस बात को समझाने की चेष्टा की है। हरि शब्द को आधार मानकर णत्वविधान लागू होनेवाले (रवि, ऋषि इ॰) अन्य शब्दों का भी संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।
Hari shabda roop, hari shabda roop, ikarant pulling shabda roop
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