उकारान्त शब्द किसे कहते हैं?
जिन शब्दों के अन्त में – उ यह ध्वनि सुनाई देती है वे शब्द उकारान्त शब्द होते हैं। जैसे कि भानु, रघु, राहु, केतु, शन्तनु इत्यादि। इन शब्दों के अन्त में उ यह स्वह है।
उकारान्त शब्दों में पुँल्लिंग स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग – अर्थात् तीनों लिंग के शब्द पाए जाते हैं।
इस लेख में हम उकारान्त पुँल्लिङ्ग शब्दों में से उदाहरण के लिए भानु शब्द के रूप दे रहे हैं। इसीप्रकार से अन्य उकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के भी रूप आप आसानी से बना सकते हैं।
भानु शब्द के रूप। उकारान्त पुँल्लिंग शब्द
एक॰ | द्वि॰ | बहु॰ | |
प्रथमा | भानुः | भानू | भानवः |
द्वितीया | भानुम् | भानू | भानून् |
तृतीया | भानुना | भानुभ्याम् | भानुभिः |
चतुर्थी | भानवे | भानुभ्याम् | भानुभ्यः |
पञ्चमी | भानोः | भानुभ्याम् | भानुभ्यः |
षष्ठी | भानोः | भान्वोः | भानूनाम् |
सप्तमी | भानौ | भान्वोः | भानुषु |
सम्बोधनम् | भानो | भानू | भानवः |
भानु शब्द रूप। संस्कृत
सामान्यतः इस प्रकार से उकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूप बनते हैं। परन्तु कुछ कुछ शब्दों में णत्वविधान लागू होता है। जैसे कि – शत्रु। गुरु॥ ऐसे शब्दों के रूपों का अभ्यास करने के लिए इस कड़ी – शब्दरूपों में णत्व पर क्लिक कीजिए।
उकारान्त पुँल्लिंग शब्द के रूपों की इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूपों से तुलना
यदि आप को इकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूप (जैसे कि – मुनि) कण्ठस्थ हैं, तो आप उकारान्त शब्दों को कण्ठस्थ करने में अधिक कष्ठ उठाने की आवश्यकता नहीं है।
इकारान्त (मुनि) शब्दों के रूपों में जहाँ-जहाँ य् का प्रयोग होता है, वहा उकारान्त (भानु) शब्दों में व् का प्रयोग होता है। जैसे कि –
- मुनयः – भानवः
- मुनये – भानवे
- मुन्योः – भान्वोः
और पञ्चमी और षष्ठी का एकवचन किंचित भिन्न होता है।
- मुनेः – भानोः
बाकी सभी रूप लगभग समान ही होते हैं। यदि आप इस बात का ख्याल रख कर उकारान्त शब्दों के रूपों को पढ़ते हैं, तो आप को रूपों का अभ्यास करने में बहुत आसानी होगी।

उकारान्त पुँल्लिंग शब्द के रूपों का वाक्यों में प्रयोग
प्रथमा
- भानुः यज्ञं करोति।
भानु यज्ञ करता है। - भानू यज्ञं कुरुतः।
दो भानु यज्ञ करते हैं। - भानवः यज्ञं कुर्वन्ति।
बहुत सारे भानु यज्ञ करते हैं।
द्वितीया
- राजा भानुं प्रणमति।
राजा भानु को प्रणाम करता है। - राजा भानू प्रणमति।
राजा (दो) भानुओं को प्रणाम करता है। - राजा भानून् प्रणमति।
राजा भानुओं को प्रणाम कता है।
तृतीया
- भानुना यज्ञः क्रियते।
भानु के द्वारा यज्ञ किया जाता है। - भानुभ्यां यज्ञः क्रियते।
(दो) भानुओं के द्वारा यज्ञ किया जाता है। - भानुभिः यज्ञः क्रियते।
भानुओं के द्वारा यज्ञ किया जाता है।
चतुर्थी
- राजा भानवे धेनुं ददाति।
राजा भानु को गाय देता है। - राजा भानुभ्यां धेनुं ददाति।
राजा दो भानुओं को गाय देता है। - राजा भानुभ्यः धेनुं ददाति।
राजा बहुत सारे भानुओं को गाय देता है।
पञ्चमी
- राजा भानोः ज्ञानं गृह्णाति।
राजा भानु से ज्ञान लेता है। - राजा भानुभ्याम् ज्ञानं गृह्णाति।
राजा दो भानुओं से ज्ञान लेता है। - राजा भानुभ्यः ज्ञानं गृह्णाति।
राजा बहुत सारे भानुओं से ज्ञान लेता है।
षष्ठी
- एषः भानोः आश्रमः अस्ति।
यह भानु का आश्रम है। - एषः भान्वोः आश्रमः अस्ति।
यह दो भानुओं का आश्रम है। - एषः भानूनाम् आश्रमः अस्ति।
यह बहुत सारे भानुओं का आश्रम है।
सप्तमी
- राजा भानौ विश्वसिति।
राजा भानु पर विश्वास करता है। - राजा भान्वोः विश्वसिति।
राजा दोनों भानुओं पर विश्वास करता है। - राजा भानुषु विश्वसिति।
राजा सभी भानुओं पर विश्वास करता है।
संबोधनम्
- हे भानो! यज्ञं करोतु।
हे भानु! यज्ञ करो। - हे भानू! यज्ञं करोतु।
हे दोनों भानुओं! यज्ञ कीजिए। - हे भानवः! यज्ञं करोतु।
हे भानुओं! यज्ञ कीजिए।
उहसंहार
इस प्रकार से हमने भानु के माध्यम से उकारान्त पुँल्लिंग शब्दों के रूपों को समझाने की चेष्टा की है। भानु को आधार मानकर आप शन्तनु। राहु। केतु। रघु॥ वगैरह शब्दों का भी संस्कृत वाक्यों में प्रयोग कीजिए और नवनवीन वाक्य बनाईए।
Bhanu shabda roop, Sanskrit shabda roop, Ukarant pulling shabda roop