संस्कृत शब्द रूप

संस्कृत भाषा पढ़नेवाले छात्रों के लिए राम, लता, मुनि आदि शब्दों का कण्ठस्थीकरण एक महत्त्वपूर्ण चीज है। इस लेख में हम प्राथमिक स्तर पर पढ़नेवाले छात्रों के लिए आवश्यक शब्दरूपों की तालिकाएं दे रहे हैं।

सभी तालिकाएं एक ही स्थान पर होने की वजह से छात्रों के लिए यह सुविधाजनक है।

संस्कृत शब्दरूपों की तालिकाओं का परस्पर संबंध

संस्कृत शब्दरूपों की तालिकाओं की संख्या बहुत ही ज्यादा है। तरह-तरह के शब्द हैं – अकारान्त, उकारान्त, इकारान्त, हलन्त इत्यादि। उसमें भी पुँल्लिंग के अलग, स्त्रीलिंग के अलग और नपुंसकलिंग के भी अलग-अलग रूप होते हैं।

शब्दरूपों की इतनी बड़ी संख्या को देख कर छात्र घबरा जाते हैं। परन्तु छात्रों को चिन्ता नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इन सभी तालिकाओं में परस्परसंबंध भी बहुत है। यदि आप शुरुआती तीन-चार संस्कृत शब्दरूपों की तालिकाओं को कण्ठस्थ कर लेते हैं, तो बाकी शब्दरूप भी अपने आप याद हो जाते हैं। क्योंकि इन तालिकाओं में बहुत सारी समानताएं हैं।

जैसे कि –

  • इकारान्त और उकारान्त शब्दरूप लगभग समान ही होते हैं। केवल इकारान्त शब्दों में जहाँ य् होता है, वही उकारान्त शब्दरूपों में य् की जगह पर व् होता है।
  • पुँल्लिंग और नपुंसकलिंग के रूपों में केवल प्रथमा और द्वितीया ही भिन्न होती है। बाकी तृतीया से लेकर सभी रूप समान ही होते हैं।

इनके अलावा भी बहुत सारी समानताएँ होती हैं। केवल आप इनको पढ़ना शुरू करें। बाकी समानताएं आप लोगों के अपने आप ही दिख जाएंगी।

संस्कृत शब्दरूपों का कण्ठस्थीकरण कैसे करें?

एक बार जब आप ने किसी शिक्षक से (अथवा वीडिओ से) शब्दों के योग्य उच्चारण ज्ञात कर लेने के बाद, धीरे-धीरे तालिकाओं को बार-बार रटना आरंभ कीजिए।

ध्यान रहे कि एक बार यदि आप आरंभ करते हैं, तो एक ही तालिका को कम-अज-कम १५ बार रटिए। हालांकि यह संख्या बंधनकारी नहीं है। आप अपनी क्षमता के अनुसार कम या ज्यादा हो सकता है। तात्पर्य यह है कि एक ही तालिका को बहुत बार एक ही बैठक में रटना है।

बहुत बार अनेक छात्र ऊब जाते हैं। ऐसी स्थिति में आप इन तालिकाओं को संगीत के साथ अलग-अलग तालों में, रागों में गा भी सकते हैं। इन तालिकाओं का गायन करने से कुछ नवीनता का अनुभव हो सकता है। इनको गाते-गाते नृत्य भी किया जा सकता है।

संस्कृत शब्दरूपों का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए

सर्वप्रथम इन तालिकाओं को बहुत ही अच्छे तरह से पढ़ लीजिए। तथा प्रत्येक शब्दरूप के योग्य उच्चारण किसी अच्छे शिक्षक से ज्ञात करें। (यदि कोई शिक्षक ना मिले, तो कक्षा कौमुदी.in पर आदर्श उच्चारण युक्त वीडिओ आप देख सकते हैं।) अन्यथा यदि आप अशुद्ध उच्चारण एक बार मुख में धारण कर लेते हैं, तो उन को बाद में शुद्ध करना बहुत ही कठिन हो जाता है।

तो अब इन शब्दरूपों को रटना (रटनाभ्यास) शुरू करें –

अकारान्त पुँल्लिंग शब्दरूप

  • उत्तम पुरुष वाच्यपरिवर्तनम्
    अहम् आवाम् वयम् इन तीनों को उत्तम पुरुष कहते हैं।   एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथमा अहम् (मैं) आवाम् (हम दोनों) वयम् (हम सब) द्वितीया माम् (मुझे) आवाम् (हम  दोनों को) अस्मान् (हम सब को) तृतीया मया (मेरे द्वारा) आवाभ्याम् (हम दोनों के द्वारा) अस्माभिः (हम सब के द्वारा) लट् लकार – उत्तमपुरुषी प्रत्यय परस्मैपद – … Read more
  • मध्यम पुरुष वाच्य
    सूत्र कर्तृवाच्य – (कर्ता + प्रथमा) (कर्म + द्वितीया) (क्रिया – धातु + परस्मैपद/आत्मनेपद) कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के अनुरूप होती है। कर्मवाच्य – (कर्ता + तृतीया) (कर्म + प्रथमा) (क्रिया – धातु + य + आत्मनेपद) कर्मवाच्य में क्रिया कर्म के अनुरूप होती है। उदाहरण   १ २. २+ प्रथमा त्वम् – सि/से युवाम् … Read more

आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दरूप

  • संस्कृत शब्द रूप
    संस्कृत भाषा के प्रायः सभी शब्दों के रूप इस लेख में आप पढ़ सकते हैं।

अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दरूप

  • वर्णों का उच्चारण काल अर्थात् किस वर्ण की कितनी मात्राएं होती हैं?
    हमारी संस्कृत वर्णमाला में स्वर और व्यंजन ऐसे दो स्पष्ट विभाग दिखते हैं। इन में से स्वरों के तीन प्रकार हैं – ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत। निम्न कारिका में तीनों प्रकार के स्वरों के और व्यंजनों के काल के बारे में जानकारी मिलती है। कारिका एकमात्रो भवेद्ध्रस्वो द्विमात्रो दीर्घ उच्यते।त्रिमात्रस्तु प्लुतो ज्ञेयः व्यञ्जनं त्वर्धमात्रिकम् ॥ … Read more
  • संस्कृत वर्णमाला में ळ
    ज़्यादातर दाक्षिणात्य भाषाओं में ळ यह व्यंजन देखा जाता है। लेकिन जहा तक संस्कृत की बात करते हैं तो किंचित् सोचना पडता है। वेद संस्कृत के प्राचीनतम साहित्य हैं। और ऋग्वेद की शुरआत में ही – ओ३म् अग्निमीळे पुरोहितम् …. इस तरह से पहले मन्त्र में ळ का प्रयोग (अर्थात्, बाद में भी बहुत बार) … Read more
  • व्यंजन किसे कहते हैं?
    व्यंजन की व्याख्या उस ध्वनि को व्यंजन कहते हैं जिसका उच्चारण करने के लिए किसी स्वर की आवश्यकता होती है। जैसे – क् हम क् यह ध्वनि मुंह से नहीं निकाल सकते। हमें इसके लिए किसी स्वर की आवश्यकता होगी। फिर चाहे वह आगे हो या पीछे। जैसे – क् + अ – क अ … Read more
  • व्यंजन – संस्कृत वर्णमाला
    संस्कृत वर्णमाला की दृष्टि से व्यंजनों का अभ्यास
  • संस्कृत वर्णमाला – स्वर
    संस्कृत वर्णमाला की दृष्टि से स्वरों का अध्ययन

इकारान्त पुँल्लिंग शब्दरूप

  • नदी किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण में नदी संज्ञा
    संस्कृत व्याकरण में नदी यह संज्ञा क्या है? पानी के प्रवाह को व्यवहार में नदी कहते हैं। परन्तु संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से नदी यह एक अलग संकल्पना है। आप ने नदी, देवी, वधू इ॰ शब्दों के षष्ठी बहुवचन देखे होंगे – नदीनाम्, देवीनाम्, वधूनाम् इत्यादि। परन्तु जगत्, भवत्, सर्व इ॰ शब्दों के षष्ठी बहुवचन … Read more
  • प्रातिपदिक किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण में प्रातिपदिक संज्ञा
    संस्कृत व्याकरण में प्रत्यय बहुत जगहों पर होते हैं। परन्तु इस प्रत्ययों का अधिकारी कौन है? किसे प्रत्यय लगते हैं? क्या हम किसी भी शब्द को संस्कृत का कोई भी प्रत्यय लगा सकते हैं? संस्कृत को छोडिए। क्या अंग्रेजी के जो कोई भी प्रत्यय (suffix) हैं, वे किसी भी शब्द से हो सकते हैं? – … Read more

इकारान्त स्त्रीलिंग शब्दरूप

    इकारान्त नपुंसकलिंग शब्दरूप

      ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्दरूप

        उकारान्त पुँल्लिंग शब्दरूप

          उकारान्त स्त्रीलिंग शब्द

          • यदा – तदा
            यदा ….. तदा ….. उदाहरण जब बारिष होती है तब फलस होती है। जब रोगी औषध लेता है तब वह स्वस्थ होता है। जब छात्र पढ़ता है तब वह उत्तीर्ण होता है। जब सूर्य अस्त होता है तब रात होती है। जब शिक्षक आते हैं तब वे पढ़ा ते हैं। जब छात्र पुस्तक देखता है … Read more
          • मनस् शब्द रूप Manas Shabda Roop in Sanskrit
            मनस् शब्द एक सकारान्त शब्द है। यह एक नपुंसकलिंग का शब्द है। सकारान्त किसे कहते हैं? What is Sakārānta जिस शब्द के अन्त में स् यह ध्वनि होती है वह सकारान्त शब्द होता है। अन्य सकारान्त शब्द अन्य भी सकारान्त शब्द हैं। उनके भी रूप मनस् शब्द के समान चलते हैं। जैसे कि – तेजस्, … Read more

          All shabda roop in Sanskrit

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