युष्मद् शब्द के सभी विभक्तियों में रूप –
अगर इस तालिका को देखा जाएं तो द्वितीया, चतुर्थी और षष्ठी विभक्ति के रूपों में कुछ वैकल्पिक (optional) रूप भी हो सकते हैं। बहुत जगहों पर त्वाम् के स्थान पर त्वा (ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे), तुभ्यम् के स्थान पर ते (नमस्ते = नमः ते) ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं।
हिन्दी अर्थों के साथ युष्मद् शब्द के रूप –
संस्कृतानुवाद –
- त्वं आपणं गच्छसि।
– तुम बाजार जाते हो। - रमेशः त्वां पश्यति।
– रमेश तुम्हे देखता है। - त्वया फलं खादितम्।
– तुम्हारे द्वारा फल खाया गया। (तुमने फल खाया।) - रमेशः तुभ्यं फलं ददाति।
– रमेश तुम्हे फल देता है। - रमेशः त्वत् धनं स्वीकरोति।
– रमेश तुम से पैसे लेता है। - रमेशः तव मित्रम् अस्ति।
– रमेश तुम्हारा मित्र है। - जलं त्वयि पतति।
– पानी तुम पर गिर रहा है।
युष्मद् के साथ क्रियापद
युष्मद् शब्द मध्यमपरुष का शब्द कहलाता है। युष्मद् शब्द के साथ जो लकार होगा, वह भी मध्यम पुरुष में ही होगा। जैसे कि – त्वं गच्छसि। युवां गच्छथः। यूयं गच्छथ।
परन्तु यह बात केवल प्रथमा विभक्ति के लिए ही है। द्वितीयादि अन्य विभक्ति यों का कोई भी रूप यदि वाक्य में हो, तो उस का परिणाम क्रियापद पर नहीं होगा। जैसे कि – रमेशः त्वां पश्यति।
इस वाक्य में त्वाम् यह युष्मद् शब्दा का रूप द्वितीया में है। अतः वह क्रियापद के लिए बेअसर है।
उदाहरण
युष्मद्
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एकवचनम्
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द्विवचनम्
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बहुवचनम्
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प्रथमा
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त्वम्
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युवाम्
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यूयम्
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द्वितीया
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त्वाम् / त्वा
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युवाम् / वाम्
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युष्मान् / वः
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तृतीया
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त्वया
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युवाभ्याम्
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युष्माभिः
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चतुर्थी
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तुभ्यम् / ते
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युवाभ्याम् / वाम्
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युष्मभ्यम् / वः
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पञ्चमी
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त्वत्
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युवाभ्याम्
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युष्मत्
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षष्ठी
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तव / ते
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युवयोः / वाम्
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युष्माकम् / वः
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सप्तमी
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त्वयि
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युवयोः
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युष्मासु
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