हरिः ॐ
नवंबर महीने में CBSE कक्षा 10 की प्रथम सत्र परीक्षाएं होने वाली हैं। दि॰ 22 को संस्कृत विषय की परीक्षा होना निर्धारित है।
जिन छात्रों ने इस परीक्षा में संस्कृत को द्वितीय भाषा के रूप में संस्कृत को चुना है। उन की मदद के लिए हम ने निःशुल्क ऑनलाईन संस्कृत कक्षा का आयोजन किया है।
समय
प्रतिदिन सायं ८.३०
माध्यम
Zoom
लिंक
शाङ्करो मधुकरः is inviting you to a scheduled Zoom meeting.
Topic: शाङ्करो मधुकरः’s Personal Meeting Room
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Meeting ID: 832 422 7712
Passcode: 123456
आप से अनुरोध है कि इस को अधिक से अधिक छात्रों तक पहुँचाएं।
हम चाहते हैं कि स्कूलों में अधिकांश विद्यार्थी संस्कृत विषय का चयन करें।
भारत में त्रिभाषा सूत्र के अनुसार तीन भाषाएं पढ़ाई जाती हैं। एतदनुसार बहुत सारे विद्यालयों में संस्कृत भाषा को द्वितीय भाषा अथवा तृतीय भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है। और हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा छात्रा संस्कृत भाषा को अपनाएं। क्योंकि संस्कृत ही एक ऐसी भाषा है जो सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोने के लिए सक्षम है।
इस लिए छात्रों को ज़रूरत है उचित मार्गदर्शन की। विद्यालयों में तो विद्यालय द्वारा नियुक्त संस्कृत शिक्षक होते ही हैं। उनका मार्गदर्शन छात्रों को मिलता ही है। परन्तु साथ में किसी मित्र जैसी हमारी मदद काम आ सकती है। इस विषय में एक श्लोक पढ़िए –
आचार्यात् पादम् आदत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया।
पादं सब्रह्मचारिभ्यः पादं कालक्रमेण च॥
श्लोका का कहना है कि विद्यार्थी अपने विषय के बारे में जितना भी कुछ सीखता है उसमें से एक चौथाई (१/४) हिस्सा ही वह आचार्य (शिक्षक) से सीखता है। दूसरा चौथाई हिस्सा उसे अपनी बुद्धि से समझना पड़ता है। और तीसरा चौथाई हिस्सा सब्रह्मचारिभ्यः यानी अपने सहपाठी मित्रों के साथ चर्चा करके सीखता है। और अन्तिम, यानी चौथा, चौथाई हिस्सा कालक्रम से यानी बीतता हुआ समय उसे सिखाता है। अर्थात् अनुभव से।
यहाँ सब्रह्मचारिभ्यः यह शब्द बहुत महत्त्वपूर्ण है।
शिष्यः सब्रह्मचारिभ्यः पादम् आदत्ते।
आप हमें अपना सहपाठी मित्र समझ सकते हैं। क्योंकि हम अभी भी अपने आप को एक छात्र ही समझते हैं। जिस तरह से छात्र अपना चौथाई हिस्सा अपने मित्रों से समझता है, ठीक उसी प्रकार हम आपकी मदद करने में उत्सुक हैं।
It is very nice step sir.
मैं चाहता हूँ कि इसका लाभ अधिक से अधिक छात्रों को मिले।