विसर्गस्थाने श्/ष्/स्
यह विसर्ग संधि है। इस संधि में भले ही विसर्ग के स्थान पर श्, ष् अथवा स् ऐसे आदेश होते हैं। तथापि बहुत बार इस संधि को सत्व संधि कहा जाता है।
सत्व सन्धि के अभ्यास में हमें कुल चार सूत्र पढने हैं। इन चारों सूत्रों को याद करने से काम बन जाएगा।
२. विसर्गः + ट्/ठ्/ष् = विसर्गः ⟶ ष्
३. विसर्गः + त्/थ्/स् = विसर्गः ⟶ स्
४. विसर्गः + श्/ष्/स् = विसर्गः ⟶ विसर्गः (विकल्पेन)
इन सूत्रों को समझने के लिए इस आकृति की सहायता हो सकती है।
सूत्र तथा आकृति का अध्ययन करने के बाद यह बात स्पष्ट होती है कि चौथा सूत्र समझना बहुत जरूरी है। क्योंकि चौथे सूत्र की उपस्थिति उपर्युक्त तीनों सूत्रों में होती है। अर्थात् श् ष् स् के मामले में संधि कार्य में दो उत्तर मिलते हैं। और दोनों उत्तर सही होंगे।
सूत्रों का निरीक्षण किया जाए तो एक बात स्पष्ट रूप से दिखती है कि इससे पहले जो उत्व, रुत्व, लोप इ॰ विसर्ग संधि हमने पढ़े थे, उन में विसर्ग से पहले क्या है? यह देखना भी जरूरी था। जैसे कि उत्व के लिए विसर्ग से पहले अ यह स्वर होना जरूरी था, रुत्व के लिए अ तथा आ को छोड़कर अन्य स्वर होना जरूरी था। परंतु इस सत्व संधि में विसर्ग से पहले क्या है यह देखने की जरूरत नहीं है। केवल विसर्ग के बाद क्या आया है यह देखना जरूरी है। और सूत्र में जो बताया है वह वर्ण यदि विसर्ग के बाद आते हैं तो हमारा काम हो जाएगा और हम संधि कार्य कर पाएगे।
सत्व संधि का वीडिओ
इस सत्व संधि को हमने इस वीडिओ के माध्यम से समझाने का प्रयत्न किया है। यदि आप चाहे तो इस वीडिओ को देख सकते हैं। अन्यथा इस लेख को पढना जारी रखिए।
धन्यवाद।
सत्व संधि का अभ्यास
अब हम बारी-बारी से पढ़ते हैं।
१. विसर्गः + च्/छ्/श् = विसर्गः ⟶ श्
यह सूत्र कहता है कि यदि विसर्ग के बाद च् छ् अथवा श् इनमें से कोई भी एक व्यंजन आ जाए तो विसर्ग श् में बदल जाता है।
उदाहरण –
बालकः + चित्रं पश्यति।
- बालकः + चित्रम्
- बालकश् + चित्रम्
- बालकश्चित्रम्
प्रस्तुत उदाहरण में विसर्ग के बाद च् यह व्यंजन है। अतः विसर्ग के स्थान पर श् यह व्यंजन आ गया है।
वृक्षः + छायां ददाति।
- वृक्षः + छायाम्
- वृक्षश् + छायाम्
- वृक्षश्छायाम्
प्रस्तुत उदाहरण में विसर्ग के बाद छ् यह व्यंजन है। अतः विसर्ग के स्थान पर श् यह आदेश हुआ है।
हरिः + शयनं करोति।
- हरिः + शयनम्
- हरिश् + शयनम्
- हरिश्शयनम् / हरिः शयनम्
प्रस्तुत उदाहरण में विसर्ग के बाद श् यह व्यंजन है। अतः विसर्ग श् से बदल गया। और हमें हरिश्शयनम् यह उत्तर मिल गया। परंतु इस संधि का हमने बताएं चौथे नियम के अनुसार विकल्प से हरिः शयनम् ऐसा एक और उत्तर हो सकता है।
२. विसर्गः + ट्/ठ्/ष् = विसर्गः ⟶ ष्
यह सूत्र कहता है कि, यदि विसर्गके बाद ट् ठ् अथवा श् इनमें से कोई भी एक व्यंजन आ जाए तो विसर्ग ष् में बदल जाता है।
उदाहरण –
रामः + टीकते।
- रामः + टीकते
- रामष् + टीकते
- रामष्टीकते।
रामः + ठक्कुरः।
- रामः + ठक्कुरः
- रामष् + ठक्कुरः
- रामष्ठक्कुरः
रामः + षष्ठः
- रामः + षष्ठः
- रामष् + षष्ठः / रामः षष्ठः
- रामष्षष्ठः / रामः षष्ठः
यहां नियम क्रमांक २ कहता है कि विसर्ग का ष् बनेगा। और नियम क्रमांक ४ कहता है कि विसर्ग का विसर्ग ही रहेगा। दोनों उत्तर सही है।
३. विसर्गः + त्/थ्/स् = विसर्गः ⟶ स्
यह कहता है कि विसर्ग के बाद यदि त् थ् अथवा स् इनमें से कोई भी एक व्यंजन आ जाए तो विसर्ग स् में बदल जाता है।
उदाहरण –
बालकः + तरति।
- बालकः + तरति
- बालकस् + तरति
- बालकस्तरति
बालकः + थुडति।
- बालकः + थुडति
- बालकस् + थु़डति
- बालकस्थुडति
गुरुः + साक्षात् परब्रह्म।
- गुरुः + साक्षात्
- गुरुस् + साक्षात् / गुरुः साक्षात्
- गुरुस्साक्षात् / गुरुः साक्षात्
इस उदाहरण में नियम क्रमांक ३ कहता है कि विसर्ग का स् बनेगा और नियम क्रमांक ४ कहता है कि इस विसर्ग का विसर्ग ही बने रहेगा। दोनों उत्तर सही है।
श् के बारे में एक विशेष बात।
श् का व्यंजन के साथ संयोग बनाने के दो तरीके हैं। और दोनों भी तरीके से ही हैं।
इस चित्र में दोनों तरीकों से श् का संयोग बना कर दिखाया गया है।
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