यह संधि संस्कृत के साथ साथ हिन्दी मराठी आदि अन्य भारतीय भाषाओ में भी लागू होता है। इस संधि का नाम है – अनुनासिकत्व संधि। तथापि इस संधि को वर्गीय-प्रथमवर्णस्य पञ्चमवर्णे परिवर्तनम् इस नाम से भी जाना जाता है। हिन्दी भाषा में वर्गीय प्रथमाक्षर का पंचम वर्ण में परिवर्तन इस नाम से जानते हैं।
इस सन्धि में वर्गीय प्रथम वर्ण के स्थान पर उस ही वर्ग का पंचम वर्ण आदेश हो जाता है। और सारे वर्गीय पंचम वर्ण अनुनासिक होते हैं, अतः इस सन्धि को अनुनासिकत्व सन्धि भी कहते हैं।
यह सन्धि जश्त्व सन्धि का अपवाद है।
अनुनासिकत्व सन्धि का सूत्र
वर्गीय प्रथमवर्ण + अनुनासिक = वर्गीय प्रथमवर्ण —> वर्गीय पञ्चमवर्ण
- वर्गीय प्रथमवर्ण – क्। च्। ट्। त्। प्॥
- अनुनासिक – ङ्। ञ्। ण्। न्। म्॥ …..*
- वर्गीय पञ्चमवर्ण – ङ्। ञ्। ण्। न्। म्॥ …..*
इस सूत्र का अर्थ समझने का प्रयत्न करते हैं। इसमें कहा है कि यदि वर्गीय प्रथम वर्ण (क् च् ट् त् प्) के बाद कोई भी अनुनासिक (ङ् ञ् ण् न् म्) आता है, तो वर्गीय प्रथमवर्ण के स्थान पर
सरल सूत्र
क्/च्/ट्/त्/प् + ङ्/ञ्/म्/न्/म् = क्/च्/ट्/त्/प् —> ङ्/ञ्/म्/न्/म्
वीडिओ से अनुनासिकत्व सन्धि को समझिए
वीडिओ १
वीडिओ २
अनुनासिकत्व सन्धि के उदाहरण
बृहत् + मुम्बई
- त् + म्
- त् – वर्गीय प्रथम
- म् – अनुनासिक
ङ्/ञ्/म्/न्/म्+ म्- न् + म्
बृहन्मुम्बई
जगत् + नाथः
- त् + न्
- त् – वर्गीय प्रथम
- न् – अनुनासिक
ङ्/ञ्/म्/न्/म्+ न्- न् + न्
जगत् + नाथः – जगन् + नाथः – जगन्नाथः
वाक् + मयम्
- क् + म्
- क् – वर्गीय प्रथम
- म् – अनुनासिक
- ङ्/
ञ्/म्/न्/म्+ म् - ङ् + म्
वाक् + मयम् – वाङ् + मयम् – वाङ्मयम्
जश्त्व सन्धि का अपवाद
जश्त्व vs अनुनासिकत्व
हम दोनों सन्धियों की तुलना करते हैं –
जश्त्व सन्धि का सूत्र
वर्गीय प्रथमवर्ण + मृदुवर्ण = वर्गीय प्रथमवर्ण —> वर्गीय तृतीयवर्ण
अनुनासिकत्व सन्धि का सूत्र
वर्गीय प्रथमवर्ण + अनुनासिक = वर्गीय प्रथमवर्ण —> वर्गीय पञ्चमवर्ण
यहां समस्या यह है कि अनुनासिक वर्ण भी मृदु होते हैं।
मृदु वर्ण किसे कहते हैं?
- सभी स्वर
- वर्गीय व्यंजनों में तीसरा, चौथा और पांचवा वर्ण
- अवर्गीय व्यंजनों में य्, र्, ल् और व्
अनुनासिक कौन हैं?
- वर्गीय व्यंजनों में पांचवा वर्ण
उदाहरण
जगत् + नाथ
- त् – वर्गीय प्रथम
- न् – मृदु + अनुनासिक
जगद्नाथः … मृदु
जगन्नाथः … अनुनासिक
ऐसी स्थिति में आप को अनुनासिकत्व सन्धि करना चाहिए।
अनुनासिकत्व सन्धि का अभ्यास
जगत् + माता
- जगन्माता
जगत् + आधारः
- जगदाधारः
वाक् + मात्रम्
- वाङ्मात्रम्
वाक् + देवी
- वाग्देवी
अच् + नास्ति
- अञ्नास्ति।
अच् + अन्तः
- अजन्तः
वाङ्मय
- वाक् + मय
- वाङ् + मय
- वाङ्मय
जगन्नाथ
- जगत् + नाथ
- जगन् + नाथ
- जगन्नाथ
षण्मुख
- षट् + मुख
- षण् + मुख
- षण्मुख
अभ्यास
अन्य उदाहरणों की मदद से अनुनासिकत्व सन्धि का अभ्यास कीजिए।
- तत् + मय – तन्मय
- विद्युत् + नगरी – विद्युन्नगरी
- मत् + मित्र – मन्मित्र
- श्रीमत् + नारायण – श्रीमन्नारायण (नारायण हरि हरि)
- सम्राट् + मौर्य – सम्राण्मौर्य
- सकृत् + नष्ट – सकृन्नष्ट
- दिक् + मध्ये – दिङ्मध्ये