- देवेन
- रामेण
णत्वम्। णत्वसन्धिः।
इस के पीछे णत्व कारणीभूत है।
जिस की मदद से हम जान पाएगे कि न् से ण् कब बनता है। वैसे तो महर्षि पाणिनीजी ने अष्टाध्यायी में णत्व विधान से सम्बन्धित बहुत सारे सूत्र लिखे हैं। किन्तु हम छात्रों के लिए तीन सूत्र तथा एक वार्तिक पर्याप्त है।
कुल मिला कर हमें तीन नियम पढने हैं।
ध्यान रहें पाणिनीय सूत्र तथा वार्तिक छात्रों की अधिक जानकारी हेतु है। माध्यमिक शिक्षा स्तर के छात्रों की परीक्षा में सामान्यतः सूत्र नहीं पूछे जाते हैं। यदि ऐसे छात्र, जिन की परीक्षा में पाणिनीय सूत्र नहीं पूछे जाते हैं, उन्हे यदी सूत्र समझने में परेशानी हो, तो केवल नियम को समझ ने का प्रयत्न कीजिए।
नियम १
सूत्र – रषाभ्यां नो णः समानपदे। ८.४.१॥
वार्तिक – ऋवर्णात् नस्य णत्वं वाच्यम् ।
पाणिनीय अष्टाध्यायी का सूत्र तथा कात्यायन जी का वार्तिक इन दोनों के अर्थ को मिलाकर हमारा पहला नियम बनता है –
- यदि एक ही पद में ऋ, र्, ष् से परे न् के स्थान पर ण् आदेश हो जाता है।
उदा॰
- पुष् + ना + ति = पुष्णाति।
उदा॰
- ऋषिः + नमति। … यहाँ रुत्व सन्धि होगा।
- ऋषिर् + नमति। …. यहाँ मुनिः तथा नमति ये दोनों अलग – अलग पद हैं। अतः णत्व नहीं होगा।
- ऋषिर्नमति।
- रामेण
- र् + आ + म् + ए + ण् + अ
यहाँ र् और न् के बीच तीन वर्ण हैं। तथापि णत्व होता है। - पुष्पाणि
- प् + उ + ष् + प् + आ + ण् + इ
यहाँ भी ष् तथा न् के बीच दो वर्ण। तथापि णत्व होता है।
इस प्रश्न का समाधान दूसरा नियम करता है।ऽ
नियम २
सूत्र क्रमांक से पता चल सकता है कि यह सूत्र पहले सूत्र के तुरन्त बाद पढ़ा गया है।
पहला सूत्र कहता है – एक ही पद में ऋ/र्/ष् से परे न् के स्थान पर ण् आदेश होता है।
और अब दूसरा सूत्र कहता है – स्वर, कवर्ग, पवर्ग तथा य्, व्, ह् के बीच में रहने पर भी (णत्व) होगा।
कुल मिला कर अब दूसरा नियम यह बनता है –
- ऋ/र्/ष् तथा न् के बीच में स्वर, कवर्ग, पवर्ग, य्, व्, ह् ये वर्ण बीच में रहने पर भी णत्व हो सकता है।
- स्वर – अ। आ। इ। ई। उ। ऊ। ऋ। ॠ। ऌ। ॡ। ए। ऐ। ओ। औ
- कवर्ग – क्। ख्। ग्। घ्। ङ्।
- पवर्ग – प्। फ्। ब्। भ्। म्।
उदा॰
- रामेण
- र् + आ + म् + ए + ण् + अ
यहाँ र् और न् के बीच – आ, म्, ए – ये वर्ण हैं। इन में आ तथा ए स्वर हैं तथा म् यह पवर्ग का व्यंजन हैं। अतः इन वर्णों के बीच में रहने पर भी णत्व हो सकता है। - पुष्पाणि
- प् + उ + ष् + प् + आ + ण् + इ
यहाँ भी ष् तथा न् के बीच प् और आ हैं। इन दोनों के बीच में रहते णत्व हो सकता है। - पर्णानि
- प् + अ + र् + ण् + आ + न् + इ
इस उदारण में र् तथा न् के बीच – ण् और आ है। इऩ में से ण् के बीच में रहते णत्व नहीं हो सकता। क्यों कि ण् – स्वर, कवर्ग, पवर्ग, य्, व्, ह् इन में से नहीं है।
नियम ३
- पद के अन्त में णत्व नहीं होता है।
उदा॰
- रामान्
- वृक्षान्
- कुर्वन्
- चरन्
- रामेण
- र् + आ + म् + ए + ण् + अ
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