अयादि सन्धि का वीडिओ –
यदि आप अयादि सन्धि को लिखित रूप में पढ़ना चाहते हैं, तो इस लेख को पढ़ते रहिए।
अयादि संधि के सूत्र
यदि पाणिनीय अष्टाध्यायी का अभ्यास करें तो महर्षि पाणिनी जी ने एचोऽयवायावः इस सूत्र से अयादि संधि को समझाया है। तथापि शालेय छात्रों की मदद के लिए हम यहाँ इस लेख में अयादि सन्धि के चार सूत्र लिख रहे हैं।
- ए + स्वर – ए → अय्
- ओ + स्वर – ओ → अव्
- ऐ + स्वर – ऐ → आय्
- औ + स्वर – औ → आव्
इन चारों सूत्रों में यदि हम देखें, तो पता चलता है कि पूर्व में ए, ओ, ऐ तथा औ ये स्वर देखने मिलते हैं। और इन के पश्चात् कोई भी स्वर* आए तो इनके स्थान पर क्रमशः (रिस्पेक्टिवली) अय्, अव्, आय् तथा आव् ये चार आदेश होते हैं।
( * ) यहाँ एक बात बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि कोई भी स्वर यदि बाद में हो, तो अयादि सन्धि होता है। कोई भी स्वर यानी ए के बाद कोई भी स्वर, चाहे फिर वह स्वयं ए ही क्यों ना हो, वहाँ अयादि संधि होता है। बस हमें ए, ओ, ऐ और औ के बाद कोई एक स्वर चाहिेए।
चलिए अब क्रमशः इन चारों सूत्रों का अभ्यास करते हैं।
१. ए + स्वर – ए → अय्
यह अयादि संधि का पहला सूत्र है। इस सूत्र का अर्थ है –
यदि ए के पश्चात् कोई भी स्वर आता है तो ए के स्थान पर अय् यह आदेश हो जाता है।
अयादि संधि के पहले सूत्र के उदाहरण
ने + अन – नयन
इस उदाहरण को समझने का प्रयत्न करते हैं। ने + अन इस स्थिति में ने और अ पास आ रहे हैं।
- ने + अ। ने + अन इस स्थिति में ने और अ पास आ रहे हैं।
- न् + ए + अ। यहाँ ने का विग्रह किया है। जिससे की हमें पता चलता है कि यहाँ ए + अ ऐसी स्थिति प्राप्त हो रही है।
- न् + अय् + अ। हमारे सूत्र के अनुसार ए के पश्चात् स्वर होने से हम ने ए के स्थान पर अय् यह आदेश किया है।
- नय। और न् + अय् + अ इन तीनों को जोड़ कर नय बनता है।
नयन। अन्ततः हमें नयन यह शब्द मिल जाता है। जिसका अर्थ होता है आँख।
इसी प्रकार से अयादि संधि के पहले सूत्र के अन्य उदाहरण पठनीय भी हैं।
- हरे + ए – हरये (ए+ए)
- गणपते + ए – गणपतये (ए+ए)
- चे + अन – चयन (ए+अ)
- मुने + अः – मुनयः (ए+अ)
- ऋषे + अः – ऋषयः (ए+अ)
२. ओ + स्वर – ओ → अव्
यह अयादि संधि का दूसरा सूत्र है। इस सूत्र का अर्थ है –
यदि ओ के पश्चात् कोई भी स्वर आता है तो ओ के स्थान पर अव् यह आदेश हो जाता है।
अयादि संधि के दूसरे सूत्र के उदाहरण
भो + अन – नयन
इस उदाहरण को समझने का प्रयत्न करते हैं। भो + अन इस स्थिति में भो और अ पास आ रहे हैं।
- भो + अ। भो + अन इस स्थिति में ने और अ पास आ रहे हैं।
- भ् + ओ + अ। यहाँ भो का विग्रह किया है। जिससे की हमें पता चलता है कि यहाँ ओ + अ ऐसी स्थिति प्राप्त हो रही है।
- भ् + अव् + अ। हमारे सूत्र के अनुसार ओ के पश्चात् स्वर होने से हम ने ओ के स्थान पर अव् यह आदेश किया है।
- भव। और भ् + अव् + अ इन तीनों को जोड़ कर भव बनता है।
भवन। अन्ततः हमें भवन यह शब्द मिल जाता है।
इसी प्रकार से अयादि संधि के दूसरे सूत्र के अन्य उदाहरण पठनीय भी हैं।
- पो + अन – पवन (ओ+अ)
- भानो + ए – भानवे (ओ+ए)
- साधो + ए – साधवे (ओ+ए)
- भानो + अः – भानवः (ओ+अ)
- विष्णो + अः – विष्णवे (ओ+अ)
इस प्रकार से हमने अयादि संधि का दूसरा सूत्र सीखा है। अब हम अयादि संधि का तीसरा सूत्र सीखते हैं।
३. ऐ + स्वर – ऐ → आय्
यह अयादि संधि का तीसरा सूत्र है। इस सूत्र का अर्थ है –
यदि ऐ के पश्चात् कोई भी स्वर आता है तो ऐ के स्थान पर आय् यह आदेश हो जाता है।
अयादि संधि के तीसरे सूत्र के उदाहरण
गै + अन – गायन
इस उदाहरण को समझने का प्रयत्न करते हैं। गै + अन इस स्थिति में गै और अ पास आ रहे हैं।
- गै + अ। गै + अन इस स्थिति में गै और अ पास आ रहे हैं।
- ग् + ऐ + अ। यहाँ गै का विग्रह किया है। जिससे की हमें पता चलता है कि यहाँ ऐ + अ ऐसी स्थिति प्राप्त हो रही है।
- ग् + आय् + अ। हमारे सूत्र के अनुसार ऐ के पश्चात् स्वर होने से हम ने ऐ के स्थान पर आय् यह आदेश किया है।
- गाय। और ग् + आय् + अ। इन तीनों को जोड़ कर गाय बनता है।
गायन। अन्ततः हमें गायन यह शब्द मिल जाता है।
इसी प्रकार से अयादि संधि के तीसरे सूत्र के अन्य उदाहरण पठनीय भी हैं।
- नै + अक – नायक (ऐ+अ)
- तस्मै + ओदनम् – तस्मायोदनम् (ऐ+आ)
- तस्यै + इदम् – तस्यायिदम् (ऐ+इ)
इस प्रकार से हम ने अयादि संधि का तीसरा सूत्र सीख लिया है। अब हम अयादि संधि का चतुर्थ सूत्र सीख रहे हैं।
२. ओ + स्वर – ओ → अव्
यह अयादि संधि का चतुर्थ सूत्र है। इस सूत्र का अर्थ है –
यदि औ के पश्चात् कोई भी स्वर आता है तो औ के स्थान पर आव् यह आदेश हो जाता है।
अयादि संधि के दूसरे सूत्र के उदाहरण
पौ + अन – पावन
इस उदाहरण को समझने का प्रयत्न करते हैं। पौ + अन इस स्थिति में पौ और अ पास आ रहे हैं।
- पौ + अ। पौ + अन इस स्थिति में ने और अ पास आ रहे हैं।
- प् + औ + अ। यहाँ पौ का विग्रह किया है। जिससे की हमें पता चलता है कि यहाँ औ + अ ऐसी स्थिति प्राप्त हो रही है।
- प् + आव् + अ। हमारे सूत्र के अनुसार औ के पश्चात् स्वर होने से हम ने औ के स्थान पर आव् यह आदेश किया है।
- पाव। और प् + आव् + अ इन तीनों को जोड़ कर पाव बनता है।
पावन। अन्ततः हमें पावन यह शब्द मिल जाता है।
इसी प्रकार से अयादि संधि के दूसरे सूत्र के अन्य उदाहरण पठनीय भी हैं।
- तौ + अपि – तावपि (औ+अ)
- तौ + उभौ – तावुभौ (औ+उ)
- तौ + इव – ताविव (औ+इ)
- तौ + एव – तावेव (औ+ए)
- नौ + इक – नाविक (औ+इ)
- कलौ + इह – कलाविह (औ+इ)
- भूमौ + इह – भूमाविह (औ+इ)
अयादि संधि का बाधक
पूर्वरूप संधि अयादि संधि का बाधक संधि है।
यानी अयादि संधि का सूत्र लगने के बावजूद भी अयादि संधि का सूत्र पीछे हटकर पूर्वरूप संधि होता है। अतः इस बात को भी समझना आवश्यक है।
पूर्वरूप संधि को आप इस लेख में पढ़कर समझ सकते हैं –
https://kakshakaumudi.in/सन्धि/स्वरसन्धि/पूर्वरूप-सन्धि/
उपसंहार
इस प्रकार से हम ने अत्यंत सरल भाषा में अयादि संधि को सिखाने का प्रयत्न किया है। यदि आप को कोई भी शंका, समस्या अथवा प्रश्न हो, तो हमें जरूर बताएं।
धन्यवाद