इस लेख में हम स्वरसन्धि के प्रकारों को पढ़ेंगे।
स्वरसन्धि किसे कहते हैं इस विषय में हमने – सन्धि के प्रकार इस लेख में पढ़ लिया है। अतः हमें पता है कि जब पूर्व वर्ण और उत्तर वर्ण दोनों भी स्वर होते हैं, तब वह सन्धि स्वरसन्धि होता है। सामान्यतः स्वरसन्धि के विषय में निम्न सन्धि पढ़ाए जाते हैं।
स्वरसन्धि के आठ प्रकार होते हैं –
- यण्
- अयादि
- सवर्णदीर्घ
- गुण
- वृद्धि
- पूर्वरूप
- पररूप
- प्रकृतिभाव
इन आठों सन्धियों के सूत्र और कुछ उदाहरण यहां संक्षेप में दे रहे हैं। तथापि यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं, तो संलग्न कड़ी पर क्लिक कर के विस्तृत लेख पर जा सकते हैं।
यण् सन्धि
यण् सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
यण् सन्धि के चार सूत्र हैं –
- इ/ई + अन्यस्वर – इ/ई -> य्
- उ/ऊ + अन्यस्वर – उ/ऊ -> व्
- ऋ/ॠ + अन्यस्वर – ऋ/ॠ -> र्
- ऌ + अन्यस्वर – ऌ -> ल्
यण् सन्धि के उदाहरण
उपर्युक्त चारों सूत्रों के अनुसार हम यण् सन्धि के क्रमशः चार उदाहरण दे रहे हैं –
- इति + आदि – इत्यादि
- भानु + अस्त – भान्वस्त
- पितृ + आज्ञा – पित्राज्ञा
- ऌ + आकृति – लाकृति
यण् सन्धि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए –
अयादि सन्धि
अयादि सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
अयादि सन्धि के चार सूत्र हैं –
- ए + स्वर – ए -> अय्
- ओ + स्वर – ओ -> अव्
- ऐ + स्वर – ऐ -> आय्
- औ + स्वर – औ -> आव्
अयादि सन्धि के उदाहरण
उपर्युक्त चारों सूत्रों के अनुसार हम अयादि सन्धि के क्रमशः चार उदाहरण दे रहे हैं –
- ने + अन – नयन
- भो + अति – भवति
- नै + अक – नायक
- रौ + अन – रावण
अयादि सन्धि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए –
सवर्ण-दीर्घ सन्धि
सवर्ण-दीर्घ सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
सवर्ण-दीर्घ सन्धि के चार सूत्र हैं –
- अ/आ + अ/आ – आ
- इ/ई + इ/ई – ई
- उ/ऊ + उ/ऊ – ऊ
- ऋ/ॠ + ऋ/ॠ – ॠ
सवर्ण-दीर्घ सन्धि के उदाहरण
उपर्युक्त चारों सूत्रों के अनुसार हम सवर्ण-दीर्घ सन्धि के क्रमशः चार उदाहरण दे रहे हैं –
- देव + आलय – देवालय
- मुनि + इन्द्र – मुनीन्द्र
- भानु + उदय – भानूदय
- पितृ + ऋण – पितॄण
सवर्ण-दीर्घ सन्धि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए –
गुण सन्धि
गुण सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
गुण सन्धि के चार सूत्र हैं –
- अ/आ + इ/ई – ए
- अ/आ + उ/ऊ – ओ
- अ/आ + ऋ/ॠ – अर्
- अ/आ + ऌ – अल्
गुण सन्धि के उदाहरण
उपर्युक्त चारों सूत्रों के अनुसार हम गुण सन्धि के क्रमशः चार उदाहरण दे रहे हैं –
- देव + ईश – देवेश
- सूर्य + उदय – सूर्योदय
- महा + ऋषि – महर्षि
- तव + ऌकार – तवल्कार
गुण सन्धि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए –
वृद्धि सन्धि
वृद्धि सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
वृद्धि सन्धि के दो सूत्र हैं –
- अ/आ + ए/ऐ – ऐ
- अ/आ + ओ/औ – औ
वृद्धि सन्धि के उदाहरण
उपर्युक्त दोनों सूत्रों के अनुसार हम वृद्धि सन्धि के क्रमशः दो उदाहरण दे रहे हैं –
- सदा + एव – सदैव
- वन + औषधि – वनौषधि
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पूर्वरूप सन्धि
पूर्वरूप सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
पूर्वरूप सन्धि के दो सूत्र हैं –
- पदान्त ए + अ – ए
- पदान्त ओ + अ – ओ
पूर्वरूप करने के बाद संस्कृत लिखान की परम्परा के अनुसार अवग्रह (ऽ) भी लिखा जाता है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है।
पूर्वरूप सन्धि के उदाहरण
उपर्युक्त दोनों सूत्रों के अनुसार हम पूर्वरूप सन्धि के क्रमशः दो उदाहरण दे रहे हैं –
- वने + अस्मिन् – वनेस्मिन् / वनेऽस्मिन्
- सो + अपि – सोपि / सोऽपि
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पररूप सन्धि
पररूप सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
पररूप सन्धि के दो सूत्र हैं –
- अकारान्त उपसर्ग + ए – ए
- अकारान्त उपसर्ग + ओ – ओ
पररूप सन्धि के उदाहरण
उपर्युक्त दोनों सूत्रों के अनुसार हम पररूप सन्धि के क्रमशः दो उदाहरण दे रहे हैं –
- प्र + एजते – प्रेजते
- उप + ओषति – उपोषति
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प्रकृतिभाव सन्धि
प्रकृतिभाव सन्धि के सूत्र और उदाहरण –
प्रकृतिभाव सन्धि का सूत्र –
- ईकारान्त पद + स्वर – प्रकृतिभाव
- ऊकारान्त पद + स्वर – प्रकृतिभाव
- एकारान्त पद + स्वर – प्रकृतिभाव
प्रकृतिभाव सन्धि के उदाहरण
उपर्युक्त तीनों सूत्रों के अनुसार हम प्रकृतिभाव सन्धि के क्रमशः तीन उदाहरण दे रहे हैं –
- हरी + आगच्छतः – हरी आगच्छतः
- साधू + आगच्छतः – साधू आगच्छतः
- बालिके + आगच्छतः – बालिके आगच्छतः
पररूप सन्धि के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए –
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