शब्दों का नपुंसकलिंग और एकवचन में परिवर्तन

अव्ययीभाव समास में शब्दों को नपुंसकलिंग और एकवचन में परिवर्तित करना पड़ता है। अतः अव्ययीभाव समास का अध्ययन करनेवाले छात्रों को ये नियम समझना बहुत आवश्यक है।

अव्ययीभाव समास में शब्दों को नपुंसकलिंग और एकवचन में परिवर्तित करना पड़ता है। अतः अव्ययीभाव समास का अध्ययन करनेवाले छात्रों को ये नियम समझना बहुत आवश्यक है।

नियम –

  1. यदि शब्द अकारान्त (a) है तो नपुंसकलिंग में भी अकारान्त ही रहेगा और उसके एकवचन में म् प्रत्यय लगता है।
    – रामस्य पश्चात् – अनुरामम्
    – रामस्य समीपम् – उपरामम्
    – रामेण सह – सरामम्
    – – छात्र शिक्षक के साथा मैदान में खेलते हैं।
    – – छात्राः शिक्षकेण सह क्रीडाङ्गणे क्रीडन्ति।
    – – छात्राः सशिक्षकं क्रीडाङ्गणे क्रीडन्ति।
  2. यदि शब्द आकारान्त (ā) है तो नुपंसकलिंग में वह शब्द अकारान्त बन जाता है और उसके एकवचन में म् प्रत्यय लगता है।
    – सीतायाः पश्चात् – अनुसीतम्
    – लतायाः समीपम् – उपलतम्
    – शिक्षिकया सह – सशिक्षिकम्
    – – छात्र शिक्षिका के साथ मैदान में खेलते हैं।
    – – छात्राः शिक्षिकया सहितं/सह क्रीडाङ्गणे क्रीडन्ति।
    – – छात्राः सशिक्षिकं क्रीडाङ्गणे क्रीडन्ति।
  3. यदि शब्द इकारान्त अथवा उकारान्त है तो नपुंसकलिंग में भी वे इकारान्त और उकारान्त ही रहेंगे परन्तु एकवचन में उनको कोई भी प्रत्यय नहीं लगेगा। अर्थात् म् भी नहीं लगेगा।
    – मुनेः पश्चात् – अनुमुनि
    – विष्णोः पश्चात् – अनुविष्णु
    – सूर्यस्य समीपम् – उपसूर्यम्
    – भानोः समीपम् – उपभानु
    – रवेः समीपम् – उपरवि
  4. यदि शब्द ईकारान्त ( īkārānta ) अथवा ऊकारान्त ( ūkārānta ) तो नपुंसकलिंग में वे ह्रस्वान्त बनेंगे। अर्थात् क्रमशः इकारान्त ( ikārānta ) और उकारान्त ( ukārānta ) बनेंगे। और एकवनच में उनको कोई भी प्रत्यय नहीं लगेगा। अर्थात् म् नहीं लगेगा।
    – नदी के पास मन्दिर है।
    – नद्याः समीपं मन्दिरम् अस्ति। – उपनदि मन्दिरम् अस्ति।
    – उपनदी upanadī – उपनदि upanadi
    रज्ज्वाः समीपम् – उपरज्जू uparajjū – उपरज्जु uparajju
  5. यदि शब्द ऋकारान्त है तो नपुंसकलिंग में वह ऋकारान्त ही होता है और उसके एकवनच में उसको कोई भी प्रत्यय नहीं लगता है।
    – पितुः समीपम् – उपपितृ
    – नेतुः पश्चात् – उपनेतृ
    – – लोग नेता के पीछे पीछे चलते हैं।
    – – जनाः नतुः पश्चात् चलन्ति।
    – – जनाः अनुनेतृ चलन्ति।





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