तृतीया तत्पुरुष समास

प्रायः क्त-प्रत्ययान्त पद समर्थ तृतीया विभक्ति वाले पद से समास करके तृतीया तत्पुरुष समास बनाता है। अतः तृतीया तत्पुरुष समास सीखने से पहले आप को क्त प्रत्यय तथा तृतीया विभक्ति के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।

जैसे कि –

  • पठ् यह धातु है। यानी पढ़ना।

पठ् धातु को क्त प्रत्यय लग कर क्तप्रत्ययान्त रूप बनता है –

  • पठित। यानी पढ़ा हुआ।

पठित से हम ऐसे वाक्य बना सकते हैं –

  • छात्रेण पठितः श्लोकः उत्तमः अस्ति।

यहाँ छात्रेण और पठित का समास हो सकता है।

  • छात्रपठितः श्लोकः उत्तमः अस्ति।

इसका अर्थ है –

  • छात्र के द्वारा पढ़ा गया श्लोक अच्छा है।

ठीक ऐसे ही अन्य उदाहरणों में भी देखा जा सकता है।

तृतीया तत्पुरुष समास के उदाहरण

इन सभी उदाहरणों में उत्तरपद क्त-प्रत्यय लगाकर बनाया है।

रावणः रामहतः

  • रामेण हतः
  • राम के द्वारा मारा गया

महाभारतं गणेशलिखितम् अस्ति।

  • गणेशेन लिखितम्
  • गणेश के द्वारा लिखा हुआ

वैद्यः रोगपीडितस्य सैनिकस्य उपचारं करोति।

  • रोगेण पीडितस्य
  • रोग के द्वारा पीडित का

मेघदूतं कविस्तुतं काव्यम् अस्ति।

  • कविभिः स्तुतम्
  • कवियों के द्वारा प्रशंसित। यहाँ अनेकों कवियों की अपेक्षा होने के कारण तृतीया बहुवचन आया।

प्रातः मम गृहं सूर्यप्रकाशितं भवति।

  • सूर्येण प्रकाशितम्

रात्रौ आकाशः चन्द्रशोभितः भवति।

  • चन्द्रेण शोभितः

ध्यान रखिए कि कुछ धातुओं में क्त-प्रत्यय लगाते समय इडागम नहीं होता है।

उदाहरण

दृश् – दृष्ट

  • नेत्रदृष्टः – नेत्राभ्यां दृष्टः

वच् – उक्त

  • शास्त्रोक्तः – शास्त्रोक्तः

युज् – युक्त

  • बुद्धियुक्तः – बुद्ध्या युक्तः

पुष् – पुष्ट

  • जलपुष्टः – जलपुष्टः

कृ – कृत

  • पाणिनिकृतम् – पाणिनिना कृतम्

तथापि कुछ तृतीया तत्पुरुष समासों में उत्तरपद क्त-प्रत्ययान्त नहीं होता है।

उदाहरण

  • नेत्रहीनः – नेत्राभ्यां हीनः
  • विद्याहीनः – विद्यया हीनः
  • देवसदृशः – देवेन सदृशः
  • देवसमः – देवेन समः
  • पितृसमः – पित्रा समः

इन उदाहरणों में उत्तरपद क्तप्रत्ययान्त ना होने के बावजूद भी पूर्वपद को तृतीया विभक्ति लगा कर समासच्छेद किया है।

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