षष्ठी तत्पुरुष समास

षष्ठी विभक्ति का कारक अर्थ होता है – सम्बन्ध

और ऐसे षष्ठी विभक्ति वाले किसी भी शब्द का सामर्थ्य के अनुसार योग्य पद के साथ समास कर सकते हैं।

जैसे कि –

रामः दशरथस्य पुत्रः अस्ति।

राम दशरथ का पुत्र है।

इस वाक्य में दशरथस्य इस षष्ठ्यन्त पद का पुत्रः इस पद के साथ समास हो सकता है। और यदि हम चाहे, तो इन दोनों में समास कर सकते हैं।

समास कार्य में पूर्वपद की विभक्ति का लोप होता है।

यहाँ समास इन दोनों पदों में हो रहा है –

  • दशरथस्य पुत्रः।

इस में पूर्वपद है – दशरथस्य

यहाँ षष्ठी विभक्ति का लोप करने के बाद हमारे पास बचता है – दशरथ

समास कार्य में पूर्वपद और उत्तरपद में सन्धि होता है।

  • दशरथस्य पुत्रः।
  • दशरथ पुत्रः। ….. पूर्वपद की विभक्त का लोप।
  • दशरथ + पुत्रः। ….. पूर्वपद और उत्तरपद में सन्धिः। (ध्यान रखिए – सन्धि और सन्धिकार्य में अन्तर होता है।
  • दशरथपुत्रः

इस प्रकार हमारा समासकार्य सम्पन्न हुआ है। और हमें अन्ततः दशरथपुत्रः ऐसा शब्द मिला है।

  • रामः दशरथस्य पुत्रः अस्ति।
  • रामः दशरथपुत्रः अस्ति।

अर्थात्

  • रामः दशर

चूँकि इस वाक्य में षष्ठी विभक्ति का लोप हुआ था इसीलिए यह समास – षष्ठी तत्पुरुष समास है।

षष्ठी तत्पुरुष समास के उदाहरण

  • रावणः लङ्कायाः पतिः अस्ति।
    रावण लंका का पति है।
  • रावणः लङ्कापतिः अस्ति।
    रावण लंकापति है।
  • प्रतिदिनं प्रातः सूर्यस्य उदयः भवति।
    हररोज सुबह सूर्य का उदय होता है।
  • प्रतिदिनं प्रातः सूर्योदयः भवति।
    हररोज सुबह सूर्योदय होता है।
  • प्रतिदिनं प्रातः सूर्यस्य उदयः भवति।
    हररोज सुबह सूर्य का उदय होता है।
  • प्रतिदिनं प्रातः सूर्योदयः भवति। …सूर्य + उदय – सूर्योदय (गुणसन्धि)
    हररोज सुबह सूर्योदय होता है।
  • सा देवी जगतः माता अस्ति। …जगत् + षष्ठी – जगतः
    वह देवी दुनिया की माता है।
  • सा देवी जगन्माता अस्ति। …जगत् + माता – जगन्माता। (अनुनासिकत्व सन्धि)
    वह देवी जगन्माता है।
  • इन्द्रः देवानां राजा अस्ति।

इन्द्र देवों के राजा हैं।

  • इन्द्रः देवराजः अस्ति।
    इन्द्र देवराज हैं।

राजन् इस शब्द का समास में राज ऐसा रूप होता है।

  • राज्ञः पुत्रः उद्यानं गच्छति।
    राजा का पुत्र बग़ीचे में जाता है।
  • राजपुत्रः उद्यानं गच्छति।
    राजपुत्र बगीचे में जाता है।

राज्ञः यह शब्द राजन् शब्द की षष्ठी है। राज्ञः – राजा का। समास में षष्ठी विभक्ति का लोप होने पर राजन् यह मूल प्रातिपदिक शब्द प्राप्त होता है। उसके बाद – राजन्+पुत्रः। इस स्थिति में न् का लोप होकर – राज+पुत्रः ऐसा सन्धि हो कर – राजपुत्रः ऐसा समस्त शब्द हमें मिलता है।

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