संस्कृत भाषा में सप्तमी विभक्ति का कारक अर्थ होता है – अधिकरण
सामर्थ्य के अनुरूप सप्तमी विभक्ति वाला शब्द समास कर लेता है।
सप्तमी तत्पुरुष समास की पहचान
वैसे तो इस बात का कोई पक्का नियम तो नहीं है। फिर भी हम कुछ निरीक्षण कर सकते हैं।
पूर्वपद में कोई स्थान निर्देशक शब्द का होना
निम्न उदाहरणों को पढ़िए।
- मार्गस्थितः
- ग्रामनिवासः
- वनभ्रमणम्
- पङ्कमग्नः
- जलमग्नः
- ध्यानरतः
- गायनतल्लीनः
इऩ उदाहरणों में पूर्वपद हैं – मार्ग, ग्राम और वन। ये शब्द किसी स्थान को बता रहे हैं। इसीलिए यहाँ सप्तमी विभक्ति का लोप हुआ होगा ऐसा अनुमान हम लगा सकते हैं। और पूर्वपद को सप्तमी लगाकर समासविग्रह कर सकते हैं।
- मार्गस्थितः – मार्गे स्थित
मार्ग में स्थित - ग्रामनिवासः – ग्रामे निवासः
गांव में निवास - वनभ्रमणम् – वने भ्रमणम्
जंगल में घूमना - पङ्कमग्नः – पङ्के मग्नः
कीचड़ में फँसा हुआ - जलमग्नः – जले मग्नः
पानी में डूबा हुआ - ध्यानरतः – ध्याने रतः
ध्यान में रममाण - गायनतल्लीनः – गायने तल्लीनः
गाने में तल्लीन
उत्तरपद में कोई विशेषण होना
यदि उत्तरपद में कोई विशेषण हो, तो भी हम सप्तमी तत्पुरुष होने का अन्दाजा लगा सकते हैं। ध्यान रहे – ऐसे उदाहरणों में अधिकतर पूर्वपद को सप्तमी बहुवचन होता है। जैसे कि –
- वसिष्ठः मुनिश्रेष्ठः अस्ति।
इस उदाहरण में वसिष्ठ मुनि की बात हो रही है। वसिष्ठ कैसे हैं? – वसिष्ठ मुनिश्रेष्ठ हैं। यहाँ श्रेष्ठ (अच्छे) यह विशेषण उत्तरपद में है। अर्थात यह समास सप्तमी तत्पुरुष हो सकता है।
- वसिष्ठः मुनिषु श्रेष्ठः अस्ति।
वसिष्ठ मुनियों में श्रेष्ठ हैं।
अन्य उदाहरण
दुर्योधनः कौरववीरः अस्ति।
- दुर्योधनः कौरवेषु वीरः अस्ति।
- दुर्योधन कौरवों में वीर है।
व्यासः शास्त्रपण्डितः अस्ति।
- व्यासः शास्त्रेषु पण्डितः अस्ति।
- व्यास शास्त्रों में पण्डित हैं।
सैनिकः शस्त्रपण्डितः अस्ति।
- सैनिकः शस्त्रेषु पण्डितः अस्ति।
- सैनिक शस्त्रों में पण्डित है।
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हमेशा पूर्वपद सप्तमी बहुवचन ही हो।
जैसे कि –
सैन्यं युद्धनिपुणम् अस्ति।
- सैन्यं युद्धे निपुणम् अस्ति।
- सैन्य युद्ध में निपुण है।
युधिष्ठिरः द्यूतपटुः अस्ति।
- युधिष्ठिरः द्यूते पटुः अस्ति।
- युधिष्ठिर द्यूत (खेलने) में पटु है।
सः तर्ककुशलः अस्ति।
- सः तर्के कुशलः अस्ति।
- वह तर्क में कुशल है।