एकशेष द्वन्द्व समास

यह लेक द्वन्द्व समास की शृंखला का तीसरा लेख है। इस से पूर्व हम ने दो लेख पढ़े हैं जिन में हम ने क्रमशः इतरेतर द्वन्दव समास और समाहार द्वन्द्व समास का अध्ययन किया था।

इस लेख में हम एकशेष द्वन्द्व समास का अध्ययन करने वाले हैं।

एकशेष द्वन्द्व समास के स्वरूप की कल्पना समझने के लिए इन वाक्यों को पढ़िए –

  1. छात्र और छात्राएँ विद्यालय मेंपढ़ते हैं।
  2. विद्यालय मेंशिक्षक और शिक्षिकाएँ पढ़ाते हैं।
  3. बच्चे और बच्चियाँ मैदान में खेल रहे हैं।
  4. घोड़े और घोडियाँ दौड़ते हैं।
  5. देव और देवियाँ स्वर्ग में रहते हैं।

आप देख सकते हैं कि ऊपर लिखे सभी वाक्य व्याकरण की दृष्टि से और अर्थ की दृष्टि से भी बिल्कुल सही हैं। परन्तु जरा सोचिए कि क्या हम व्यवहार में ऐसे ही वाक्यों का प्रयोग करते हैं?

उत्तर है – नहीं।

हम इन ही वाक्यों का प्रयोग कुछ इस प्राकर से करते हैं।

  1. छात्र विद्यालय में पढ़ते हैं।
  2. विद्यालय में शिक्षक पढ़ाते हैं।
  3.  बच्चें मैदान में खेल रहे हैं।
  4. घोड़े दौड़ते हैं।
  5. देव स्वर्ग में रहते हैं।

अब इन वाक्यों में लिखित – छात्र, शिक्षक, बच्चें, घोडे तथा देव इन शब्दों के अर्थों पर विचार कीजिए। भलेही ये पुँल्लिङ्ग शब्द हों। फिर भी ये शब्द अपने में समाहित स्त्रीलिङ्ग को भी दिखाते हैं। जैसे कि –

  • छात्र विद्यालय में पढते हैं। इसका अर्थ छात्र और छात्राएँ दोनों भी विद्यालय में पढते हैं। ऐसा निकलता है।
  • विद्यालय में शिक्षक पढाते हैं। इसका अर्थ केवल पुरुष शिक्षक पढाते हैं ऐसा बिल्कुल नहीं है। अपितु उनके साथ साथ शिक्षिकाएँ भी पढाती हैं।
  • बच्चे मैंदान में खेल रहे हैं। इसका अर्थ केवल बच्चें नहीं अपितु बच्चियाँ भी होता है।
  • घोडे दौडते हैं। यदि हम कहे कि घोडे दौड़ते हैं तो घोडियाँ दौड़ती नहीं हैं क्या? जब हम सामान्य बात करते हैं कि – घोडे दौडते हैं। तो उसमें घोडियाँ भी अभिप्रेत होती हैं।
  • और जब हम कहते हैं कि – देव स्वर्ग में रहते हैं। तो देवियाँ कहाँ रहेगी? यह ज़ाहिर सी बात है कि देवियाँ भी स्वर्ग में ही रहेगी।

तो कुल मिलाकर हमार तात्पर्य यह निकल कर आता है कि जब हम सामान्यतः लडका–लडकी, स्त्री–पुरुष, देव–देवी इत्यादि स्त्रीलिङ्ग–पुँल्लिङ्ग की बात एकसाथ करते हैं तो स्त्रीलिङ्ग वाली चीज को छुपा कर पुँल्लिङ्ग के ही सहारे बोलते हैं।

यही है एकशेष द्वन्द्व समास।

एक बार पुनः आसान शब्दों में समझ लीजिए कि –

एकशेष द्वन्दव समास क्या है?

‘शेष’ इस शब्द का अर्थ है बाकी बचना।

और ‘एकशेष’ इस शब्द का अर्थ होता है – किसी अकेले एक का ही बाकी रह जाना।

जब पुँल्लिंग का शब्द उस ही के स्त्रीलिंग शब्द के साथ एक ही वाक्य में और एक ही विभक्ति में होता है तब उन दोनों में एकशेष द्वन्द्व समास हो जाता है जिस से पुँल्लिङ्ग का शब्द ही अकेला बाकी बच जाता है। परन्तु वह पुँल्लिंग शब्द ही स्त्रीलिंग शब्द का वाचक होता है।

एकशेष द्वन्द्व समास की प्रक्रिया

बालकः च बालिका च।

१. प्रथम चरण है ‘ च – च ‘ को हटाना। हमेशा की तरह।

बालकः बालिका

२. द्वितीय चरण में विभक्ति बाहर निकालनी है। यह हम पूर्वोक्त समासों में करते ही आएँ हैं।

बालक बालिका x प्रथमा

३. तृतीय चरण में हमें प्रथमा विभक्ति को वचन लगाना है। प्रस्तुत उदाहरण में दो शब्दों से समास बना है। अतः यह समास द्विवचन में होगा।

बालक बालिका x ( प्रथमा + द्विवचन )

४. चतुर्थ चरण सबसे महत्त्वपूर्ण है। अब हमें एकशेष करना है। अर्थात् स्त्रीलिङ्ग शब्द को छुपाना है।

बालक x ( प्रथमा + द्विवचन )

५. पंचम चरण अन्तिम हैं। अब हमें यह प्रथमा द्विवचन बालक को जोडना है। और हमारा अन्तिम उत्तर सिद्ध हो जाएगा।

बालकौ।

एकशेष द्वन्दव समास के उदाहरण

उदाहरण १)

  1. देवः च देवी च – देवौ।
  2. अश्वः च अश्वा च – अश्वौ।
  3. गायकः च गायिका च – गायकौ।
  4. नर्तकः च नर्तकी च – नर्तकौ।
  5. पुत्रः च पुत्री च – पुत्रौ।
  6. वृद्धः च वृद्धा च – वृद्धौ।

उपर्युक्त उदाहरणों में केवल दो सदस्य थे। अतः अन्तिम उत्तर द्विवचन में है। परन्तु यह समास बहुवचन में भी जा सकता है। तदर्थं निम्नलिखित उदाहरण देखें।

उदाहरण २)

  1. बालकाः च बालिकाः च – बालकाः।
  2. देवाः च देव्यः च – देवाः।
  3. छात्रौ च छात्रे च – छात्राः।
  • इस उदाहरण में छात्रौ औरो छात्रे ये दोनों शब्द द्विवचन में हैं। परन्तु दो छात्र और दो छात्राएँ कुल मिलाकर चार संख्या होती है। इसीलिए यह समास बहुवचन में जाता है।

एकशेष द्वन्दव समास की विशेषताएँ

अन्ततः हम यह कह सकते हैं कि –

  • एकशेष द्वन्द्व समास हमेशा पुँल्लिङ्ग में ही रहेगा। क्योंकि इस में स्त्रीलिङ्ग का लोप होकर (छुपकर) केवल पुँल्लिङ्ग ही बाकी बचता है। इस समास में इतरेतर समास जैसे अन्तिम शब्द को देखकर लिङ्ग निर्धारित नहीं किया जाता है।
  • समास में उपस्थित सदस्यों की संक्या के अनुसार समस्त पद का वचन बनेगा। जैसे की –
    • बालकः च बालिका च – बालकौ।
      • यहाँ एक बालक और एक बालिका है। तो कुल संख्या बनी दो। अतः द्विवचन।
    • बालकौ च बालिका च – बालकाः।
      • यहाँ दो बालक और एक बालिका है। कुल संख्या तीन। अतः बहुवचन।
    • बालकः च बालिके च – बालकाः।
      • एक बालक और दो बालिकाएँ। कुल संख्या तीन। फलतः बहुवचन।
    • बालकौ च बालिके च – बालकाः।
      • दो बालक, दो बालिकाएँ। कुल संंख्या चार। फलतः बहुवचन।
    • बालकाः च बालिकाः च – बालकाः।
      • बहुत सारे बालक, बहुत सारी बालिकाएँ। परिणामतः बहुवचन।

एकशेष द्वन्दव समास के कुछ विशेष उदाहरण

  1. नरः च नारी च – नरौ।
  2. माता च पिता च – पितरौ।
  3. पतिः च पत्नी च – दम्पती।

एकशेष द्वन्द्व समास में पुँल्लिंग का लोप

यदि आप स्त्रीवादी हैं तो संभवतः आप यह सोच सकते हैं कि हमेशा स्त्रियों पर ही अन्याय क्यों? स्त्रीलिंग का ही लोप क्यों?

हालांकि इस में स्त्रियों पर अत्याचार की कोई बात नहीं है। संस्कृत के विद्वानों ने अपने मन से व्याकरण की रचना नहीं की है। अपितु उन को लोक में जिस तरह का व्यवहार दिखा उस के अनुसार ही व्याकरण के नियमों को लिखा है।

फिर भी यदि आप एकशेष द्वन्द्व समास के पुँल्लिंग का लोप देख कर खुश होना ही चाहते हैं तो खुश हो जाईए। संस्कृत भाषा (संस्कृत ही क्यों? लगभग सभी भाषाएं) में एक जगह ऐसी भी है। जहाँ एकशेष द्वन्द्व समास में पुँल्लिंग का भी लोप होता है।

जैसे कि –

  • किसान की भैंसे जंगल में चरने गई हैं।

यहाँ आप सोच सकते हैं कि क्या केवल दूध देने वाली भैंसे ही चरने गई होगी? उन में तो एक भैंसा भी हो सकता है।

  • गोरक्षण संस्थान में लगभग २०० गाएँ हैं।

यहाँ भी आप कल्पना कर सकते हैं कि २०० गायों में कुछ सांड भी तो होंगे।

यानी इन दोनों (भैंसो और गायों) के उदाहरण में एकशेष समास हुआ है। परन्तु यहाँ स्त्रीलिंगशब्द का लोप नहीं हुआ है। अपितु पुँल्लिंगशब्द का लोप हुआ है।

ठीक इस ही प्रकास से अन्य पशुओं के साथ भी एकशेष द्वन्द्व समास में पुँल्लिंगशब्द का लोप हो सकता है।

और हाँ। यह नियम भी पाणिनीय अष्टाध्यायी का है। मैं ने खुद ही निरीक्षण कर के नहीं बनाया है। हमारे ऋषि – महर्षि बहुत महान थे। उन्हों ने हर चीज का विचार किया है।

एकशेष द्वन्द्व समास में पुँल्लिंगशब्द के लोप का पाणिनीय सूत्र –

ग्राम्यपशुसङ्घेष्वतरुणेषु स्त्रीः। १।२। ७३॥

पाणिनीय अष्टाध्यायी

इस सूत्र के बारे में अधिक जानने के लिए इस सूत्र पर क्लिक करें –

https://ashtadhyayi.com/sutraani/1/2/73

उपसंहार

इस प्रकार से हम ने एकशेष द्वन्दव समास को समझाने का प्रयत्न किया है। यदि आप को कोई शंका समस्या अथवा प्रश्न हो तो हमें टिप्पणी (कॉमेंट) के द्वारा बताने का कष्ट अवश्य ही करें।

धन्यवाद

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