यह सूत्र परसवर्ण संधि का पहला सूत्र है। हालांकि परसवर्ण संधि को सीखने के लिए इन तीनों सूत्रों का अध्ययन होना आवश्यक है –
- 8.4.58. अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः।
- 8.4.59. वा पदान्तस्य।
- 8.4.60. तोर्लि।
इस लेख में हम 8.4.58. अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः। इस सूत्र का अध्ययन कर रहे हैं। बाकी दोनों सूत्रों का भी अध्ययन हम आने वाले लेखों में करेंगे।
8.4.58. अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः – इस सूत्र का वीडिओ
यदि आप को 8.4.58. अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः इस सूत्र को वीडिओ से समझना चाहते हैं तो वीडिओ यहाँ है। अन्यथा आप हमारे इस लेख को भी पढ़ना जारी रख सकते हैं।
सूत्र का शब्दार्थ
- अनुस्वारस्य – अनुस्वार का
- ययि – यय् में (यय् प्रत्याहार परे होने पर)
- परसवर्णः – परसरवर्ण होता है।
सूत्र का हिन्दी अर्थ
अनुस्वरा का यय् प्रत्याहार परे होने पर परसवर्ण होता है।
परसवर्ण किसे कहते हैं?
- पर – बाद में आने वाला (following)
- सवर्ण – तुल्यास्यप्रयत्नं सवर्णम्।
बाद में आनेवाले वर्ण का सवर्ण = परसवर्ण
गणितीय पद्धति
अनुस्वारः + यय् = अनुस्वारः à परसवर्णः
उदाहरण
1. मुच् (मुञ्चति – छोड़ता है।)
- (मुंच्) + अ + ति।
- म् + उ + (
अनुस्वारः+ च्) - म् + उ + (परसवर्णः + च्)
- यहाँ पर ‘च्’ है। अतः च् का सवर्ण अनुस्वार के स्थान पर होगा।
- च् के सवर्ण – इ/ई/च्/छ्/ज्/झ्/ञ्/य्/श्
- म् + उ + (
इ/ई/च्/छ्/ज्/झ्/ञ्/य्/श्+ च्)- अनुस्वार का उच्चारण स्थान – नासिका।
- ञ् का उच्चारण स्थान – नासिका।
- म् + उ + ञ् + च्
- = मुञ्च्
- मुंच् + अ + ति
- मुञ्च् + अ + ति
- = मुञ्चति।
2. पठंति
पठंति
- ठ् + अ + (अनु॰ + त्) + इ
- अनु॰ + त्
- परसवर्णः + त्
- यहाँ परवर्ण ‘त्’ है। अतः त् के सवर्ण होगे – ऌ/त्/थ्/द्/ध्/न्/ल्/स्
- ऌ/त्/थ्/द्/ध्/न्/ल्/स् + त्
- अनु॰ = नासिका और न् = नासिका
- न् + त्
- ठ् + अ + (अनु॰ + त्) + इ
- ठ् + अ + न् + त् + इ
- = ठन्ति
- पठंति
- = पठन्ति।
अभ्यास
- पंडितः – पण्डितः
- अंकः – अङ्कः
- जगदंबा – जगदम्बा
- शंखः – शङ्खः