भ्वादिगण धातु १-२००

भ्वादि गण पाणिनीय धातुपाठ में पहला गण है। इस गण का आरंभ भू धातु से होता है। इसीलिए इस गण का नाम भ्वादि (भू + आदि) गण है। इस लेख में भ्वादि गण के धातु क्र॰ १ से २०० तक दिए गए हैं।

अजादि गण ४५

पाणिनीय व्याकरण के पाँच भाग हैं। – १. सूत्रपाठ (अष्टाध्यायी) २. धातुपाठ ३. फिटसूत्र ४. उणादिसूत्र और ५. गणपाठ। गणपाठ पाणिनि जी ने गणपाठ में समान लक्षणों वाले शब्दों को एकत्रित कर के उन के गण (Group) किए हैं। इन में से एक गण है – अजादि गण अजादि गण पाणिनीय सूत्रपाठ (यानी अष्टाध्यायी) में अजादि गण … Read more

यवादि गण २५२

पाणिनीय व्याकरण के पाँच भाग हैं। – १. सूत्रपाठ (अष्टाध्यायी) २. धातुपाठ ३. फिटसूत्र ४. उणादिसूत्र और ५. गणपाठ। गणपाठ पाणिनि जी ने गणपाठ में समान लक्षणों वाले शब्दों को एकत्रित कर के उन के गण (Group) किए हैं। इन में से एक गण है – यवादि गण यवादि गण पाणिनीय सूत्रपाठ (यानी अष्टाध्यायी में … Read more

पाणिनीय धातुपाठ। पारायण के लिए

महर्षि पाणिनि जी ने अपने धातुपाठ में लगभग २००० धातुएं समाविष्ट की है। इन सभी धातुओं का यह संग्रह यहा मौजूद है। आशा है कि संस्कृतप्रेमी, शिक्षक तथा छात्रों को मददगार साबित हो। भ्वादि गण १।१ भू सत्तायाम् १।२ एधँ वृद्धौ १।३ स्पर्धँ सङ्घर्षे १।४ गाधृँ प्रतिष्ठालिप्सयोर्ग्रन्थे च १।५ बाधृँ लोडने विलोडने १।६ नाधृँ याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु … Read more

अष्टाध्यायी सूत्रों के प्रकार

अष्टाध्यायी में छः प्रकार के सूत्र पाए जाते हैं। – संज्ञा च परिभाषा च विधिर्नियम एव च। अतिदेशोऽधिकारश्च षड्विधं सूत्रलक्षणम्॥