भ्वादिगण धातु १-२००
भ्वादि गण पाणिनीय धातुपाठ में पहला गण है। इस गण का आरंभ भू धातु से होता है। इसीलिए इस गण का नाम भ्वादि (भू + आदि) गण है। इस लेख में भ्वादि गण के धातु क्र॰ १ से २०० तक दिए गए हैं।
संस्कृत कक्षा में शीतल चन्द्रप्रकाश
भ्वादि गण पाणिनीय धातुपाठ में पहला गण है। इस गण का आरंभ भू धातु से होता है। इसीलिए इस गण का नाम भ्वादि (भू + आदि) गण है। इस लेख में भ्वादि गण के धातु क्र॰ १ से २०० तक दिए गए हैं।
महर्षि पाणिनि जी ने अपने धातुपाठ में लगभग २००० धातुएं समाविष्ट की है। इन सभी धातुओं का यह संग्रह यहा मौजूद है। आशा है कि संस्कृतप्रेमी, शिक्षक तथा छात्रों को मददगार साबित हो। भ्वादि गण १।१ भू सत्तायाम् १।२ एधँ वृद्धौ १।३ स्पर्धँ सङ्घर्षे १।४ गाधृँ प्रतिष्ठालिप्सयोर्ग्रन्थे च १।५ बाधृँ लोडने विलोडने १।६ नाधृँ याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु … Read more