रुत्व सन्धि
इस सन्धि में विसर्ग के स्थान पर रुँ यह आदेश होता है। तथापि यहां जो उँ यह स्वर है वह इत् होने की वजह से उसका लोप हो जाता है। अतः केवल र् बचता है। अर्थात् विसर्ग के स्थान पर केवल र् इतना ही आदेश बाकी रह जाता है। इसीलिए बहुतेरे लोग इस सन्धिकार्य को … Read more