रुत्व सन्धि

इस सन्धि में विसर्ग के स्थान पर रुँ यह आदेश होता है। तथापि यहां जो उँ यह स्वर है वह इत् होने की वजह से उसका लोप हो जाता है। अतः केवल र् बचता है। अर्थात् विसर्ग के स्थान पर केवल र् इतना ही आदेश बाकी रह जाता है। इसीलिए बहुतेरे लोग इस सन्धिकार्य को … Read more

उत्व सन्धि

यहां एक और बात ध्यान में रखनी है कि विसर्ग का उत्व होने के बाद (यानी उ बनने के बाद) विसर्ग के पूर्ववर्ती अ के साथ गुण सन्धि के कारण ओ बन जाता है। अतः उत्व सन्धि में सन्धि प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होगी

विसर्ग का श् ष् स् । सत्वसन्धि। विसर्गस्य स्थाने श् ष् स्।

विसर्गस्थाने श्/ष्/स् यह विसर्ग संधि है। इस संधि में भले ही विसर्ग के स्थान पर श्, ष् अथवा स्  ऐसे आदेश होते हैं।  तथापि बहुत बार इस संधि को सत्व संधि कहा जाता है। सत्व सन्धि के अभ्यास में हमें कुल चार सूत्र पढने हैं।  इन चारों सूत्रों को याद करने से काम बन जाएगा। … Read more

विसर्ग का लोप कैसे होता है? विसर्गलोप सन्धि

विसर्ग का लोप कैसे होता है?   प्रस्तावना   विसर्ग का लोप समझने से पहले हमें लोप किसे कहते हैं यह समझना जरूरी है।  लोप की व्याख्या अष्टाध्यायी में दी गई है – अदर्शनं लोपः।१।१।६०॥  यह सूत्र कहता है कि  और दर्शन यानी लोप है।  और दर्शन यानी न दिखना।  गायब हो जाना। इसे ही … Read more