बहुव्रीहि समास के प्रकार
बहुव्रीहि समास के दो प्रकार होते हैं। व्यधिकरण बहुव्रीहि समास समानाधिकरण बहुव्रीहि समास व्यधिकरण बहुव्रीहि समास के प्रकार – द्वितीया तृतीया चतुर्थी पञ्चमी षष्ठी सप्तमी
संस्कृत कक्षा में शीतल चन्द्रप्रकाश
बहुव्रीहि समास के दो प्रकार होते हैं। व्यधिकरण बहुव्रीहि समास समानाधिकरण बहुव्रीहि समास व्यधिकरण बहुव्रीहि समास के प्रकार – द्वितीया तृतीया चतुर्थी पञ्चमी षष्ठी सप्तमी
सप्तमी तत्पुरुष समास
षष्ठी तत्पुरुष समास
पञ्चमी तत्पुरुष समास प्रस्तुति Presentation
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प्रायः क्त-प्रत्ययान्त पद समर्थ तृतीया विभक्ति वाले पद से समास करके तृतीया तत्पुरुष समास बनाता है। अतः तृतीया तत्पुरुष समास सीखने से पहले आप को क्त प्रत्यय तथा तृतीया विभक्ति के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। जैसे कि – पठ् यह धातु है। यानी पढ़ना। पठ् धातु को क्त प्रत्यय लग कर क्तप्रत्ययान्त रूप … Read more
जिस समास में पूर्वपद को द्वितीया विभक्ति लगाने से समास का सही विग्रह होता है उस समास को द्वितीया तत्पुरुष समास कहते हैं। यूँ तो हम जानते हैं कि द्वितीया विभक्ति किस-किस अर्थों में प्रयुक्त होती है। परन्तु समासप्रकरण में कुछ खास शब्द हैं जो यदि समास के उत्तरपद में हो, तो हम पूर्वपद को … Read more
अभाव के अर्थ में निर् इस अव्यय का प्रयोग होता है।
विग्रहसूत्र (पूर्वपद + तृतीया) सहितम् सहितम् इस शब्द का अर्थ सहितम् इस शब्द अर्थ – साथ (With) ऐसा होता है। सहितम् इस शब्द की उपपद विभक्ति – तृतीया सीता राम के साथ वन जाती है। सामान्य परिस्थिति में इव वाक्य में मौजूद – राम के साथ इस का अनुवाद रामस्य सहितम् ऐसा हो सकता था। … Read more
अव्ययीभाव समास में अनु का सूत्र – (पूर्वपदम् + षष्ठी) पश्चात् / योग्यम् अनु इस अव्यय के दो अर्थ होते हैं – पश्चात् योग्यम्। अर्थात् अनु यह अव्यय पश्चात् अथवा योग्यम् इन दोनों अर्थों में इस्तेमाल किया जा सकता है। हम क्रमशः दोनों अर्थों के बारे में पढ़ेगे। १. पश्चात् इस अर्थ में अनु का … Read more