1.1.7. हलोऽनन्तराः संयोगः

संयोग को ही हिन्दी व्याकरण में संयुक्ताक्षर कहते हैं। यानी इस सूत्र से हमे पता चलता है कि संयुक्ताक्षर किसे कहते हैं। मराठी भाषा में इस संयोग को जोडाक्षर कहते हैं। हलोऽनन्तराः संयोगः इस सूत्र में संयोग इस संज्ञा के बारे में बताया है। यानी इस सूत्र में बताया है कि संयोग किसे कहते हैं। … Read more

1.1.60. अदर्शनं लोपः

यह सूत्र हमें बताता है कि संस्कृत व्याकरण में लोप किसे कहते हैं। लोप यह एक संज्ञा है। संज्ञा का अर्थ होता है किसी भी मूर्त या अमूर्त वस्तु को दिया गया नाम। अब प्रश्न है कि – लोप यह किस चीज का नाम है? अदर्शनं लोपः। इस सूत्र के अनुसार किसी का अदर्शन होना … Read more

1.3.3. हलन्त्यम्

हलन्त्यम् यह सूत्र एक संज्ञा सूत्र है। पाणिनीय अष्टाध्यायी में इस सूत्र का क्रमांक है – १.३.३। हलन्त्यम् यह सूत्र ‘इत् संज्ञा विधायक’ सूत्र है। हलन्त्यम् सूत्र से हम पता चलता है कि इत् किसे कहते हैं। संज्ञा शब्द का अर्थ होता है – नाम। यानी किसी चीज को यदि कोई नाम दिया जाए तो … Read more

माहेश्वर सूत्र

माहेश्वर सूत्र

पाणिनीय पद्धति से संस्कृत व्याकरण सीखने के लिए सर्वप्रथम माहेश्वर सूत्र पढ़ना बहुत आवश्यक होता है। इन माहेश्वर सूत्रों की ही मदद से प्रत्याहार बनते हैं। १४ माहेश्वर सूत्र निम्न हैं १. अइउण् । २. ऋऌक् । ३. एओङ् । ४. ऐऔच् । ५. हयवरट् । ६. लण् । ७. ञमङणनम् । ८. झभञ् । … Read more

वर्णों का उच्चारण काल अर्थात् किस वर्ण की कितनी मात्राएं होती हैं?

हमारी संस्कृत वर्णमाला में स्वर और व्यंजन ऐसे दो स्पष्ट विभाग दिखते हैं। इन में से स्वरों के तीन प्रकार हैं – ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत। निम्न कारिका में तीनों प्रकार के स्वरों के और व्यंजनों के काल के बारे में जानकारी मिलती है। कारिका एकमात्रो भवेद्ध्रस्वो द्विमात्रो दीर्घ उच्यते।त्रिमात्रस्तु प्लुतो ज्ञेयः व्यञ्जनं त्वर्धमात्रिकम् ॥ … Read more

नदी किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण में नदी संज्ञा

संस्कृत व्याकरण में नदी यह संज्ञा क्या है? पानी के प्रवाह को व्यवहार में नदी कहते हैं। परन्तु संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से नदी यह एक अलग संकल्पना है। आप ने नदी, देवी, वधू इ॰ शब्दों के षष्ठी बहुवचन देखे होंगे – नदीनाम्, देवीनाम्, वधूनाम् इत्यादि। परन्तु जगत्, भवत्, सर्व इ॰ शब्दों के षष्ठी बहुवचन … Read more

प्रातिपदिक किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण में प्रातिपदिक संज्ञा

संस्कृत व्याकरण में प्रत्यय बहुत जगहों पर होते हैं। परन्तु इस प्रत्ययों का अधिकारी कौन है? किसे प्रत्यय लगते हैं? क्या हम किसी भी शब्द को संस्कृत का कोई भी प्रत्यय लगा सकते हैं? संस्कृत को छोडिए। क्या अंग्रेजी के जो कोई भी प्रत्यय (suffix) हैं, वे किसी भी शब्द से हो सकते हैं? – … Read more

वृद्धि किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण में वृद्धि संज्ञा

वैसे तो वृद्धि इस शब्द का अर्थ होता है बढ़ौतरी होना। परन्तु संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से देखा जाए तो यह एक संज्ञा है। संस्कृत भाषा के तीन स्वर ऐसे हैं जिन को वृद्धि इस नाम से जानते हैं। वृद्धि संज्ञा का सूत्र अष्टाध्यायी में इस सूत्र के द्वारा वृद्धि संज्ञा का विधान किया है … Read more

गुण – संस्कृत व्याकरण में गुणसंज्ञा

गुण संज्ञा का सूत्र पाणिनीय अष्टाध्यायी में बिल्कुल दूसरा ही सूत्र गुण इस संज्ञा की व्याख्या करता है – अदेङ्गुणः। १। १। २॥ इस सूत्र के अनुसार अ, ए और ओ इन तीनों स्वरों को गुण कहते हैं। गुण संज्ञा और गुण सन्धि में अन्तर संज्ञा का अर्थ होता है – नाम। अ, ए और … Read more

संयोग किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण का संयुक्ताक्षर

What is Samyoga in Sanskrit grammar? संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से संयोग यह एक संज्ञा है। जिसे हिन्दी में संयुक्ताक्षर कहते हैं, उसे ही संस्कृत व्याकरण में संयोग इस संज्ञा से जानते हैं। मराठी में इसे जोडाक्षर भी कहते हैं। संयोग का पाणिनीय सूत्र Panini’s sutra of Samyoga हलोऽनन्ततराः संयोगः। १। १। ७॥ इस सूत्र … Read more