वृद्धि सन्धि
आ, ऐ, औ इन तीनों स्वरों को वृद्धि कहते हैं। तथा प्रस्तुत सन्धि में आदेश रूप में ऐ और औ ये दोनों स्वर आते हैं। इसीलिए इस सन्धि को वृद्धि सन्धि कहते हैं।
संस्कृत कक्षा में शीतल चन्द्रप्रकाश
आ, ऐ, औ इन तीनों स्वरों को वृद्धि कहते हैं। तथा प्रस्तुत सन्धि में आदेश रूप में ऐ और औ ये दोनों स्वर आते हैं। इसीलिए इस सन्धि को वृद्धि सन्धि कहते हैं।
इको यण् अचि। इस सूत्र में अचि यह पद है। इस पद की अनुवृत्ति इन दोनों सूत्रों में होती है। एचोऽयवायावः (अचि)। आद् गुणः (अचि)। परन्तु वृद्धिरेचि इस सूत्र में अचि की अनुवृत्ति नहीं है। अपितु आद्गुणः से आद् की अनुवृत्ति होती है। और अचि की अनुवृत्ति की जगह पर एचि यह नया पद इस … Read more
सूत्रच्छेदः उः अण् रपरः सूत्रार्थ उः – ऋ का अण् – अ इ उ रपर – र से पर अगर ऋ का अण् तो वह र पर होता है। सरल अर्थ ऋ लृ का अण् र् ल् देवर्षिः – देव + ऋषिः देव + ऋषिः दे (व + ऋ) षिः दे (व् + अ + … Read more
सूत्रच्छेदः आत् गुणः अनुवृत्तिः अचि अधिकारः एकः पूर्वपरयोः सम्पूर्णं सूत्रम् आत् (एकः पूर्वपरयोः) गुणः (अचि) सूत्र का अर्थः आत् – अ से एकः – एक पूर्वपरयोः – पूर्व और पर (दोनों की) जगह पर गुणः – अ, ए, ओ अचि – अच् में उदाहरणम् गण + ईशः – गणेशः ग (ण + ई)शः ग (ण् … Read more
सूत्रच्छेदः एचः अयवायावः अनुवृत्तिः एचः अयवायावः (अचि) · एचः – एच् के · अयवायावः – अय् अव् आय् आव् (होते हैं) · अचि – अच् में उदाहरणम् हरे + ए – हरये · हरे + ए …. परः संनिकर्षः संहिता। · ह (र् + ए + ए) …. एचोऽयवायावः। · ह (र् + अय्अव्आय्आव् + … Read more
इकः – इक् का यण् – यण् (होता है) अचि – अच् में इकः स्थाने यण् स्यात् अचि संहितायां विषये। इकों के स्थान पर यण् होता है स्वरों के सन्धि के विषय में। सुध्युपास्यः – सुधी + उपास्यः सुधी + उपास्यः। ….. परः सन्निकर्षः संहिता। सुध् + ई + उपास्यः। …. इको यणचि। सुध् + … Read more