अव्ययपदानि
चेत्
चेत् को उभयान्वयी अव्यय (Conjuction)माना जाता है। अर्थ अर्थात् ये चेत् दो वाक्यों को जोड़ सकता है। इसका प्रयोग यदि-तर्हि (if…..then…..) के जैसा होता है। जैसे कि – मेघाः आगच्छन्ति चेत् वर्षा भविष्यति। – अगर बादल आते हैं, तो बारिश होंगी। ध्यान रखिए – चेत् के साथ यदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जैसे कि … Read more
यदि-तर्हि
इन दोनों अव्ययों को उभयान्वयी अव्यय (Conjuction) माना जाता है। अर्थ यदि तर्हि अर्थात् ये यदि-तर्हि दो वाक्यों को जोड़ सकते हैं। इनका प्रयोग if…..then….. के जैसा होता है। जैसे कि – यदि तर्हि के उदाहरण संस्कृत से हिन्दी में यदि तर्हि के उदाहरण यदि मेघाः आगच्छन्ति, तर्हि वर्षा भविष्यति। यदि जलम् अस्ति, तर्हि जीवनम् … Read more
यावत्-तावत्
इन दोनों अव्ययों को उभयान्वयी अव्यय (Conjuction) माना जाता है। अर्थ यावत् जबतक तावत् तबतक अर्थात् ये यावत्-तावत् दो वाक्यों को जोड़ सकते हैं। जैसे कि – उदाहरण यावत् मेघाः सन्ति, तावत् वर्षा भविष्यति। जबतक बादल हैं, तबतक बारिश होंगी। यावत् जलम् अस्ति, तावत् जीवनम् अस्ति। जबतक पानी है, तबतक जीवन है। यावत् परिश्रमिणः मनुष्याः … Read more
अपि
यदि अपि इस अव्यय को किसी वाक्य के पहले स्थान पर लिखा या बोला जाए तो वह वाक्य प्रश्न बन जाता है।
कुतः
कुतः एक संस्कृत अव्यय है। यह प्रश्नार्थक अव्यय है। इसका अर्थ इस प्रकार है –
इतस्ततः (इतः-ततः)
यह दिखने में एक अव्यय है। परन्तु वस्तुतः ये दो अव्यय हैं जो सत्व सन्धि से जुड़े हैं।
सहसा
सहसा एक संस्कृत अव्यय है। इसका अर्थ इस प्रकार है –
शनैः
शनैः इस अव्यय की द्विरुक्ति हो सकती है। यानी हम इस अव्यय को एक ही वाक्य में दो बार बोल सकते हैं।