नश्चापदान्तस्य झलि ८।३।२४॥
म् का और न् का, जो पद के अन्त में नहीं है, अनुस्वार होता है झल् में
संस्कृत कक्षा में शीतल चन्द्रप्रकाश
म् का और न् का, जो पद के अन्त में नहीं है, अनुस्वार होता है झल् में
पदान्त म् का अनुस्वार होता है हल् परे रहने पर
झलों का चर् होता है खर् में।
स्तु का ष्टु से ष्टु होता है।
स्तु का श्चु से श्चु होता है।
झल् की जगह जश् आदेश हो जाता है।
अष्टाध्यायी में छः प्रकार के सूत्र पाए जाते हैं। – संज्ञा च परिभाषा च विधिर्नियम एव च। अतिदेशोऽधिकारश्च षड्विधं सूत्रलक्षणम्॥
सूत्रच्छेदः उः अण् रपरः सूत्रार्थ उः – ऋ का अण् – अ इ उ रपर – र से पर अगर ऋ का अण् तो वह र पर होता है। सरल अर्थ ऋ लृ का अण् र् ल् देवर्षिः – देव + ऋषिः देव + ऋषिः दे (व + ऋ) षिः दे (व् + अ + … Read more
सूत्रच्छेदः आत् गुणः अनुवृत्तिः अचि अधिकारः एकः पूर्वपरयोः सम्पूर्णं सूत्रम् आत् (एकः पूर्वपरयोः) गुणः (अचि) सूत्र का अर्थः आत् – अ से एकः – एक पूर्वपरयोः – पूर्व और पर (दोनों की) जगह पर गुणः – अ, ए, ओ अचि – अच् में उदाहरणम् गण + ईशः – गणेशः ग (ण + ई)शः ग (ण् … Read more
सूत्रच्छेदः एचः अयवायावः अनुवृत्तिः एचः अयवायावः (अचि) · एचः – एच् के · अयवायावः – अय् अव् आय् आव् (होते हैं) · अचि – अच् में उदाहरणम् हरे + ए – हरये · हरे + ए …. परः संनिकर्षः संहिता। · ह (र् + ए + ए) …. एचोऽयवायावः। · ह (र् + अय्अव्आय्आव् + … Read more