नश्चापदान्तस्य झलि ८।३।२४॥
म् का और न् का, जो पद के अन्त में नहीं है, अनुस्वार होता है झल् में
संस्कृत कक्षा में शीतल चन्द्रप्रकाश
म् का और न् का, जो पद के अन्त में नहीं है, अनुस्वार होता है झल् में
पदान्त म् का अनुस्वार होता है हल् परे रहने पर
झलों का चर् होता है खर् में।
यर् का अनुनासिक में अनुनासिक विकल्प से होता है।
स्तु का ष्टु से ष्टु होता है।
स्तु का श्चु से श्चु होता है।