माहेश्वर सूत्र

माहेश्वर सूत्र

पाणिनीय पद्धति से संस्कृत व्याकरण सीखने के लिए सर्वप्रथम माहेश्वर सूत्र पढ़ना बहुत आवश्यक होता है। इन माहेश्वर सूत्रों की ही मदद से प्रत्याहार बनते हैं। १४ माहेश्वर सूत्र निम्न हैं १. अइउण् । २. ऋऌक् । ३. एओङ् । ४. ऐऔच् । ५. हयवरट् । ६. लण् । ७. ञमङणनम् । ८. झभञ् । … Read more

नदी किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण में नदी संज्ञा

संस्कृत व्याकरण में नदी यह संज्ञा क्या है? पानी के प्रवाह को व्यवहार में नदी कहते हैं। परन्तु संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से नदी यह एक अलग संकल्पना है। आप ने नदी, देवी, वधू इ॰ शब्दों के षष्ठी बहुवचन देखे होंगे – नदीनाम्, देवीनाम्, वधूनाम् इत्यादि। परन्तु जगत्, भवत्, सर्व इ॰ शब्दों के षष्ठी बहुवचन … Read more

प्रातिपदिक किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण में प्रातिपदिक संज्ञा

संस्कृत व्याकरण में प्रत्यय बहुत जगहों पर होते हैं। परन्तु इस प्रत्ययों का अधिकारी कौन है? किसे प्रत्यय लगते हैं? क्या हम किसी भी शब्द को संस्कृत का कोई भी प्रत्यय लगा सकते हैं? संस्कृत को छोडिए। क्या अंग्रेजी के जो कोई भी प्रत्यय (suffix) हैं, वे किसी भी शब्द से हो सकते हैं? – … Read more

वृद्धि किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण में वृद्धि संज्ञा

वैसे तो वृद्धि इस शब्द का अर्थ होता है बढ़ौतरी होना। परन्तु संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से देखा जाए तो यह एक संज्ञा है। संस्कृत भाषा के तीन स्वर ऐसे हैं जिन को वृद्धि इस नाम से जानते हैं। वृद्धि संज्ञा का सूत्र अष्टाध्यायी में इस सूत्र के द्वारा वृद्धि संज्ञा का विधान किया है … Read more

अनीयर् प्रत्यय

इन उदाहरणों को पढ़िए – रामेण वनं गमनीयम्। राम ने वन जाना चाहिए। रावणेन सीता चोरणीया। रावण ने सीता को चुराना चाहिए। मारुतिना सीता शोधनीया। हनुमान जी ने सीता को खोजना चाहिए। रामेण रावणः मारणीयः। राम ने रावण को मारना चाहिए। इन वाक्यों में अधोरेखांकित पदों को ध्यान से पढ़िए। इन पदों में अनीयर् इस … Read more

मतुप् प्रत्यय

मान् वान् और वती ये प्रत्ययरूप हिन्दी, मराठी, बंगाली आदि भाषाओं सो सामान्य रूप से पाए जाते हैं। ये मतुप् इस संस्कृत प्रत्यय के रूप हैं।

वृद्धि सन्धि

आ, ऐ, औ इन तीनों स्वरों को वृद्धि कहते हैं। तथा प्रस्तुत सन्धि में आदेश रूप में ऐ और औ ये दोनों स्वर आते हैं। इसीलिए इस सन्धि को वृद्धि सन्धि कहते हैं।

नश्चापदान्तस्य झलि ८।३।२४॥

म् का और न् का, जो पद के अन्त में नहीं है, अनुस्वार होता है झल् में

यरोऽनुनसिकेऽनासिको वा ८।४।४५॥

यर् का अनुनासिक में अनुनासिक विकल्प से होता है।

अनु । अव्ययीभाव समास ॥

अव्ययीभाव समास में अनु का सूत्र – (पूर्वपदम् + षष्ठी) पश्चात् / योग्यम् अनु इस अव्यय के दो अर्थ होते हैं – पश्चात् योग्यम्। अर्थात् अनु यह अव्यय पश्चात् अथवा योग्यम् इन दोनों अर्थों में इस्तेमाल किया जा सकता है। हम क्रमशः दोनों अर्थों के बारे में पढ़ेगे। १. पश्चात् इस अर्थ में अनु का … Read more