1.3.9. तस्य लोपः

तस्य लोपः इस सूत्र को समझने के लिए सर्वप्रथम हमें यह समझना पड़ेगा कि इत् किसे कहते हैं। पाणिनीय अष्टाध्यायी में उपदेशेऽजनुनासिक इत्। (१.३.२) इस सूत्र से लेकर न विभक्तौ तुस्माः। (१.३.८) इन सात सूत्रों में बताया है कि इत् इसे कहते हैं। और यदि बात लघुसिद्धान्तकौमुदी की करें तो लघुसिद्धान्त कौमुदी में हलन्त्यम् इस … Read more

1.1.71. आदिरन्त्येन सहेता

यह सूत्र एक संज्ञासूत्र है जो प्रत्याहार-संज्ञा का विधान करता है। यानी इस सूत्र से हमे पता चलता है कि प्रत्याहार किस प्रकार से होता है। सूत्र का पदच्छेद आदिः अन्त्येन सह इता अनुवृत्तिसहित सूत्र आदिः अन्त्येन इता सह स्वस्य रूपस्य (बोधकः भवति) शब्दार्थ अर्थात् – आदि आखरी इत् के साथ खुद के रूप का … Read more

1.4.14. सुप्तिङन्तं पदम्

यह सूत्र हमें ‘पद’ संज्ञा के बारे में बताता है। बहुत बार हिन्दी में पद और शब्द इन दोनों को समानार्थक मानते हैं। परन्तु इन दोनों में भेद है। किसी भी सार्थक ध्वनि को शब्द कहते हैं। परन्तु संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से देखा जाए तो पद एक भिन्न संज्ञा है। इस संज्ञा को सुप्तिङन्तं … Read more