भाव वाच्य / भावे प्रयोग

क्रियाओं के दो प्रकार होते हैं – सकर्मक अकर्मक कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग तो सकर्मक और अकर्मक इन दोनों क्रियाओं के साथ होता है। जैसे कि – सकर्मक – बालक रोटी खाता है। बालकः रोटिकां खादति। अकर्मक – बालक हँसता है। बालकः हसति। अकर्मक वाक्यों का वाच्यपरिवर्तन कैसे कहते हैं? अकर्मक वाक्यों से कर्तृवाच्य और … Read more

कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग

कर्मवाच्य कर्मणि प्रयोग Passive voice

अपेक्षित पूर्वज्ञान

संस्कृत भाषा में वाच्य परिवर्तन / प्रयोग (Voice) को प्रयोग इस नाम से भी जाना जाता है। जिसे अंग्रेजी में Voice कहते हैं। संस्कृत भाषा में तीन वाच्य (प्रयोग) होते हैं – कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active voice) कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive voice) भाववाच्य / भावे प्रयोग (Impersonal voice) इस लेख में हम केवल … Read more

संस्कृत प्रश्ननिर्माण २

विशेषण के लिए कीदृश शब्द की मदद से प्रश्ननिर्माण करना

वृद्धि सन्धि

आ, ऐ, औ इन तीनों स्वरों को वृद्धि कहते हैं। तथा प्रस्तुत सन्धि में आदेश रूप में ऐ और औ ये दोनों स्वर आते हैं। इसीलिए इस सन्धि को वृद्धि सन्धि कहते हैं।

सह। अव्ययीभाव समास॥

विग्रहसूत्र (पूर्वपद + तृतीया) सहितम् सहितम् इस शब्द का अर्थ सहितम् इस शब्द अर्थ – साथ (With) ऐसा होता है। सहितम् इस शब्द की उपपद विभक्ति – तृतीया सीता राम के साथ वन जाती है। सामान्य परिस्थिति में इव वाक्य में मौजूद – राम के साथ इस का अनुवाद रामस्य सहितम् ऐसा हो सकता था। … Read more

लङ् लकार। भूतकाल। संस्कृत॥

लङ् लकार भूतकाल संस्कृत प्रथम पुरुष

अनु । अव्ययीभाव समास ॥

अव्ययीभाव समास में अनु का सूत्र – (पूर्वपदम् + षष्ठी) पश्चात् / योग्यम् अनु इस अव्यय के दो अर्थ होते हैं – पश्चात् योग्यम्। अर्थात् अनु यह अव्यय पश्चात् अथवा योग्यम् इन दोनों अर्थों में इस्तेमाल किया जा सकता है। हम क्रमशः दोनों अर्थों के बारे में पढ़ेगे। १. पश्चात् इस अर्थ में अनु का … Read more